खुलासा यही हुआ है कि सूरज पाल पहले उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हुआ था।  और करीब 18 साल तक पुलिस के खुफिया विभाग यानी लोकल इंटेलिजेंस यूनिट जिसे एलआईयू भी कहा जाता है, वहां अपनी सेवाएं दीं। उनकी पोस्टिंग राज्य के दर्जन भर थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में रही है। लेकिन लोगों को वो गुप्तचर यानी इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) का पूर्व कर्मचारी ही बताते हैं। 1998 में वीआरएस लेने के बाद अचानक एक रोज सूरज पाल ने ऐलान किया कि उनका सीधा साक्षात्कार भगवान से हुआ। भगवान की प्रेरणा से उन्होंने जान लिया कि यह शरीर उसी परमात्मा का अंश है। बस तभी से खुद को आध्यात्म का सेवक बताकर उन्होंने लोगों को ज्ञान बांटने का धंधा शुरू कर दिया।