हादसे का आरोपी मुख्य सेवादार देव प्रकाश मधुकर और अज्ञात सेवादार और आयोजकों को बनाया गया है। देव प्रकाश का भी अभी तक कुछ भी अता-पता नहीं है। लाखों की भीड़ का अंदाजा होने के बावजूद आयोजकों ने मंजूरी लेने में ये बात छिपाई और सिर्फ 80 हजार लोगों के आयोजन की अनुमति ली। पुलिस के मुताबिक, प्रवचन के बाद जब बाबा ने प्रस्थान किया तो श्रद्धालु उनके मार्ग की धूल लेने लगे, लेकिन भीड़ का दबाव इतना ज्यादा था कि धूल लेने झुके या बैठे लोग कुचलते चले गए। एफआईआर के मुताबिक, सेवादारों के कुप्रबंधन की वजह से भगदड़ मची। सेवादारों ने डंडों से भीड़ को जबरन रोकने की कोशिश की, जिससे भीड़ के दबाव में लोग कुचले गए। एफआईआर में कहा गया है कि अस्सी हजार लोगों के मुताबिक पुलिस प्रशासन की तरफ से पुख्ता इंतजाम था, लेकिन जब मामला बेकाबू हुआ तो सेवादारों ने कोई मदद नहीं की उल्टा जिन लोगों के चप्पल और सामान छूटे उन्हें पास के खेतों में फेंककर सबूत मिटाने की कोशिश की।