Year Ender 2023 Court Verdicts : नया साल आना वाला है। 2023 की यादें अभी तक ताजा है। साल 2023 में कोर्ट ने कई ऐसे ऐतिहासिक फैसले सुनाए , जिसने हमें सोचने को मजबूर कर दिया कि न्याय अभी भी जिंदा है, लेकिन कई ऐसे फैसले भी आए, जिसने हमें हिला कर रख दिया। जज आर्डर-आर्डर करते चले गए और हम फैसले सुनते चले गए। सबसे पहले बात सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुए सिविल और आपराधिक मामलों की।
Year Ender: साल 2023 को अदालत के ऐतिहासिक फैसलों की वजह से याद रखा जाएगा!
Year Ender 2023 Court Verdicts : नया साल आना वाला है। 2023 की यादें अभी तक ताजा है। साल 2023 में कोर्ट ने कई ऐसे ऐतिहासिक फैसले सुनाए , जिसने हमें सोचने को मजबूर कर दिया कि न्याय अभी भी जिंदा है, लेकिन कई ऐसे फैसले भी आए, जिसने हमें हिला कर रख दिया।
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प्रतिकात्मक तस्वीर
28 Dec 2023 (अपडेटेड: Dec 28 2023 3:25 PM)
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सुप्रीम कोर्ट ने सिविल और आपराधिक दोनों तरह के मामलों को निपटाया
सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में 95.7% निपटाए गए। अदालत में दर्ज 75,554 मामलों की तुलना में अब तक 72,328 मामलों पर अंतिम फैसला सुना दिया गया। आंकड़े बताते हैं कि देशभर की सभी अदालतों में लंबित कुल मामलों का महज 0.16% ही सुप्रीम कोर्ट में है।
दीवानी मामलों में 61% मुकदमे खारिज किए गए, जबकि 22% निपटाए गए और 17% मामलों में याचिकाओं को स्वीकार किया गया। आपराधिक मामलों में भी सुप्रीम कोर्ट ने 64.4% मामलों को खारिज कर दिया और 13.2% मामलों को स्वीकार किया।
अब बात निठारी केस की। क्या किसी ने ये सोचा था कि इस केस में आरोपियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत मिलेगी, लेकिन ऐसा ही हुआ।
निठारी केस में मिली आरोपियों को बड़ी राहत
निठारी केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपियों को बड़ी राहत दी। 16 अक्टूबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 12 मामलों में दोषी सुरेंद्र कोली और 2 मामलों में मोनिंदर सिंह पंढेर को बरी कर दिया है, जिनमें उन्हें मौत की सजा दी गई थी। पंधेर जेल से बाहर आ गया, जब कि दूसरे आरोपी सुरेंद्र कोली का केस अभी भी अदालत में विचाराधीन है, इसलिए वो अभी तक जेल में है।
निठारी केस नोएडा का चर्चित केस था। कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि अभियोजन पक्ष केस को सिद्ध करने में असफल साबित रहा। इस फैसले ने सबको चौंका कर रख दिया।
न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति एस एच ए रिजवी की खंडपीठ ने ये फैसला सुनाया। कोली पर दर्जनों लड़कियों की नृसंस हत्या व बलात्कार करने के आरोप में एक दर्जन से अधिक मामलों में फांसी की सजा के खिलाफ अपील दाखिल की गई है। पंढेर को भी मामलों में फांसी की सजा मिली है। सीबीआई ने 2005 से 2006 में नोएडा में हुए निठारी मामले में सुरेंद्र कोली को हत्या, अपहरण, बलात्कार और सबूत मिटाने के केस में आरोपी बनाया था। उधर, पंधेर पर मानव तस्करी का भी आरोप लगा था। आरोपियों का कहना था कि इन मामलों में कोई चश्मदीद गवाह मौजूद नहीं है। उन्हें ये सजा सिर्फ वैज्ञानिक और परिस्थितिजनक सबूतों के आधार पर सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने उनकी बातों पर गौर किया।
नोटबंदी के फैसले को भी कोर्ट ने सही माना
2016 में 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के निर्णय की वैधता को चुनौती देने वाली तमाम याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी। इस पर कोर्ट ने अपना फैसला दिया। इस संबंध में दाखिल सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा,' सरकार ने उस वक्त सही निर्णय लिया था।'
धारा 370 हटाने के फैसले पर लगी सुप्रीम Stamp!
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के केंद्र सरकार के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने Right Decision करार दिया। जाहिर है इससे सरकार खुश हुई और अदालत के फैसले का सम्मान हुआ। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा, 'जम्मू कश्मीर के पास भारत में विलय के बाद आंतरिक संप्रभुता का अधिकार नहीं है।' कोर्ट ने ये तक कहा कि Article 370 एक अस्थायी प्रावधान था।
समलैंगिक जोड़े की शादी पर फैसला
17 अक्टूबर को कोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों की शादी को लेकर बड़ा फैसला सुनाया। इनकी शादी को कोर्ट ने गैरकानूनी करार दिया। ये फैसला मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने इस दौरान साफ कहा कि समलैंगिक शादी पर कानून बनाने का हक केवल संसद का है।
दिल्ली सरकार Vs उपराज्यपाल केस
देश की राजधानी दिल्ली में ब्यूरोक्रेसी को कौन नियंत्रित करता है? इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी की सरकार के हक में फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने ये फैसला दिया था, लेकिन केंद्र सरकार को ये फैसला पंसद नहीं आया। लिहाजा, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 को 1 अगस्त को संसद में पेश किया गया । यह विधेयक 3 अगस्त, 2023 को दोनों सदनों से ध्वनिमत से पास हो गया था। इस तरह से दिल्ली सर्विस बिल कानून बन गया।
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