अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है, श्री बाघांबरी गद्दी मठ को लेकर नरेंद्र गिरि का अपने शिष्य आनंद गिरि से विवाद चल रहा था। पुलिस ने अब नरेंद्र गिरि की मौत की जांच शुरू कर दी है। लेकिन सवाल ये है कि आखिर,
कौन थे महंत नरेंद्र गिरि, उनसे पहले उनके शिष्य ने भी क्यों की थी आत्महत्या?
कौन थे Mahant Narendra Giri और उनसे पहले उनके शिष्य ने भी क्यों की थी आत्महत्या, जाने महंत नरेंद्र गिरि से जुड़ी हर ब्रेकिंग न्यूज़, crime news in Hindi, crime stories, photos and videos on Crime Tak.
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21 Sep 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:05 PM)
कौन थे महंत नरेंद्र गिरि?
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महंत नरेंद्र गिरि की निजी जिंदगी के बारे में हर कोई जानना चाहता है, आपको बता दें कि महंत नरेंद्र गिरी संगम तट पर बने लेटे हनुमान मंदिर के महंत थे। अखाड़ा परिषद देश के धार्मिक संतों की एक बहुत बड़ी गद्दी है, अखाड़ा परिषद देश में मौजूद सभी अखाड़ों का मुख्य संगठन है, देशभर में इनके भक्त हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद देश के प्रमुख 13 अखाड़ों की प्रतिनिधि संस्था है। महंत नरेंद्र गिरि इसके दूसरी बार अध्यक्ष चुने गए थे। अखाड़ा परिषद ही एक तरह से महा मंडलेश्वर और बाबाओं को सर्टिफिकेट देती है। कुंभ मेलों में कौन अखाड़ा कब और किस समय स्नान करेगा ये अखाड़ा परिषद ही तय करती है।
देश के 13 अखाड़ों के जिम्मे एक तरह से हिंदू धर्म की रक्षा का भार है। कुंभ और अर्धकुंभ के दौरान अखाड़ों को विशेष सुविधाएं मिलती हैं। सनातन धर्म की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी। तब बद्रीनाथ, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी और द्वारिका पीठ की स्थापना की थी। इसी समय युवा साधुओं के लिए मठ या अखाड़ों की स्थापना हुई। मठ, मंदिरों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जरूरत पडऩे पर इन अखाड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। फिलहाल देश में कुल 13 अखाड़े हैं। 1954 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की स्थापना हुई थी। ये सभी 13 अखाड़े तीन मतों में बंटे हुए हैं।
शिष्य आशीष गिरि ने की थी खुदकुशी?
महंत नरेन्द्र गिरी के करीबी शिष्य आशीष गिरी ने भी गोली मार कर आत्महत्या की थी। वहीं जमीन बेचने की जानकारी होने पर आशीष गिरि ने विरोध किया किया था। लेकिन कुछ दिन बाद दारागंज स्थित अखाड़े के आश्रम में आशीष गिरि ने कमरे में गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। दरअसल 2011 व 2012 में श्री मठ बाघम्बरी गद्दी की जमीन सपा के एक पूर्व विधायक को बेची गई थी। साल 2015 में रायबरेली और 2016 में करछना में निरंजनी अखाड़ा की बिकी जमीन भी चर्चा में आ गई है।
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