40 साल से वॉन्टेड ,1 करोड़ का इनाम, 70 केस; जानें कैसे गिरफ्त में आया नक्सल कमांडर 'बूढ़ा'

40 साल से वॉन्टेड ,1 करोड़ का इनाम, 70 केस, जानें कैसे गिरफ्त में आया नक्सल कमांडर 'बूढ़ा'

CrimeTak

13 Nov 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:09 PM)

follow google news

Prashant Bose arrested by Jharkhand Police: झारखंड पुलिस (Jharkhand Police) ने भाकपा माओवादी के शीर्ष पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा, उनकी पत्नी शीला मरांडी (Sheela marandi) और चार माओवादियों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया. प्रशांत बोस माओवादियों के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो (ERB) का सचिव है. उसकी पत्नी शीला मरांडी माओवादियों की शीर्ष सेंट्रल कमेटी की सदस्य है, साथ ही वह नारी मुक्ति संघ की प्रमुख है. प्रशांत पर झारखंड में एक करोड़ का इनाम घोषित था. वहीं 70 से अधिक केस भी प्रशांत पर दर्ज हैं.

सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय खुफिया एजेंसी आईबी (IB) ने प्रशांत बोस समेत अन्य के पारसनाथ से सरायकेला लौटने की जानकारी दी थी. इसके बाद पुलिस ने एक गाड़ी से प्रशांत बोस, शीला मरांडी, प्रशांत बोस के प्रोटेटेक्शन दस्ता के एक सदस्य व कुरियर का काम करने वाले एक युवक को सरायकेला के मुंडरी टोलनाका के पास से गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद चारों से पूछताछ की जा रही है.

प्रशांत बोस के पास ERB के सचिव के तौर पर बिहार, झारखंड, बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ समेत पूर्वोतर के राज्यों का प्रभार था. 2004 से पहले वह एमसीसीआई का प्रमुख था. तब से प्रशांत बोस संगठन में सेकेंड इन कमान था.

संयुक्त बिहार में लालखंड के दौर में विनोद बिहारी महतो, शिबू सोरेन के महाजनी आंदोलन के वक्त पश्चिम बंगाल से 70 के दशक में प्रशांत बोस गिरिडीह आया था. इसके बाद से एमसीसीआई के प्रमुख बनने से लेकर कई राजनीतिक हत्याओं तक में प्रशांत बोस मास्टरमाइंड की भूमिका में रहा . यही वजह थी कि झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों की पुलिस को ही नहीं बल्कि केंद्रीय एजेंसी सीबीआई और एनआईए तक को प्रशांत बोस की तलाश थी.कोलकाता जाकर प्रशांत करवाता था अपना इलाज

पुलिस को जानकारी मिली है कि प्रशांत की तबीयत कई सालों से खराब थी. बावजूद वह संगठन में सक्रिय था. वह कोल्हान से पारसनाथ जाता था. वहीं से वह इलाज के लिए कोलकाता जाता था, हाल ही में वह कोलकाता से इलाज कराकर लौटा था. भाकपा माओवादियों के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस पांच दशक तक झारखंड, बिहार में माओवादियों का सबसे बड़ा चेहरा रहा.

सुनील महतो, रमेश मुंडा जैसे नेताओं की हत्या में वांटेड

साल 2007 में जमशेदपुर के तत्कालीन झामुमो सांसद सुनील महतो की हत्या प्रशांत बोस के इशारे पर की गई थी. इसके बाद 9 जुलाई 2008 को बुंडू में तत्कालीन विधायक व पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा की हत्या प्रशांत बोस ने करायी थी. इस हत्याकांड को कुंदन पाहन के दस्ते ने प्रशांत बोस के इशारे पर अंजाम दिया था. हत्याकांड में एनआईए को प्रशांत बोस की तलाश थी.

इस केस में एनआईए ने प्रशांत बोस, मिसिर बेसरा, पतिराम मांझी समेत अन्य उग्रवादियों को फरार बताते हुए चार्जशीट दायर की थी. जमशेदपुर के गुड़ाबंधा में नागरिक सुरक्षा समिति के एक दर्जन से अधिक सदस्यों की हत्या, चाईबासा के बलिवा के चर्चित कांड में पुलिसकर्मियों के सबसे बड़े नरसंहार में प्रशांत बोस की भागेदारी थी.

इन इलाकों में रहा सक्रिय

पश्चिम बंगाल में नक्सलवाड़ी आंदोलन के बाद झारखंड में महाजनों के खिलाफ बड़ा आंदोलन शुरू हो गया था. इसी दौर में गिरिडीह में प्रशांत बोस आया, इस दौरान मिसिर बेसरा उर्फ सुनिर्मल जैसे बड़े नक्सली का साथ प्रशांत बोस को मिला. 70 से 90 के दशक तक प्रशांत बोस इसी इलाके में रहा.

इसी दौरान आंदोलन से ही जुड़ी धनबाद के टुंडी की शीला मरांडी से प्रशांत बोस ने शादी भी की . इसके बाद बिहार में मध्य जोन में गया-औरंगाबाद इलाके में प्रशांत बोस की सक्रियता रही. 90 के दशक के अंत में ही चाईबासा के सारंडा, जमशेदपुर के गुड़ाबंधा, ओडिशा के मयूरभंज जैसे इलाकों में भी प्रशांत बोस ने संगठन को खड़ा किया.

    follow google newsfollow whatsapp