Uttarakhand Rat Mining: उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए रेट माइनिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया। हर किसी की जुबान पर यही सवाल है कि आखिर ये रैट माइनिंग तकनीक है। चूहे की तरह माइनिंग किस तरह की जाती है। दरअसल टनल के ऊपर से नीचे की ओर जारी ‘ड्रिलिंग’ के अलावा डिजास्टर मैनेजेमेंट संभाल रहे अधिकारियों ने हाथ से क्षैतिज खुदाई करने का फैसला किया।
क्या है रैट होल माइनिंग सिस्टम, सुरंग में फंसे मजदूरों के लिए वरदान बनी ये रैट माइनिंग तकनीक
Uttarakhand Rat Mining: उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल किया गया वो बेहद चौंकाने वाली है।
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रेस्क्यू जारी
28 Nov 2023 (अपडेटेड: Nov 28 2023 2:11 PM)
ये रैट माइनिंग तकनीक
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राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को जब पता चला कि अमेरिका मशीन आगर के ब्लेड खुदाई के दौरान टूट गए हैं। तो ये फैसला लिया गया कि अब बाकी की खुदाई रेट माइनिंग तकनीक से की जाएगी। यानि ऑगर मशीन के खराब हो जाने के बाद अब हाथ से खुदाई की जाने लगी। ऑगर मशीन से 46.8 मीटर तक क्षैतिज खुदाई की जा चुकी थी, लेकिन उसके बाद इस मशीन के टूट जाने के कारण उससे और खुदाई नहीं की जा सकी थी।
टूटे ऑगर मशीन के ब्लेड
बचाव कार्यों पर अद्यतन जानकारी देते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने यहां संवाददाताओं से कहा, “ऑगर मशीन के टूटे हुए हिस्सों को मलबे से हटा दिया गया है। टूटे हुए हिस्सों को निकालने में कुछ बाधाएं थीं लेकिन उन्हें दुरुस्त कर दिया गया।” उन्होंने कहा, “अब, भारतीय सेना के इंजीनियरों, ‘रैट होल माइनिंग’ और अन्य टेकनिशियन की मदद से हाथ से खुदाई की तकनीक का इस्तेमाल शुरु किया गया है।
काम आई पुरानी तकनीक
दरअसल रैट माइनिंग के तहत पाइप के अंदर मजदूरों को अंदर भेजा जाता है। जो मैनुअल तरीके से सुरंग की खुदाई करते हैं और मलबा इनलेट पाइप के जरिए ही बाहर की तरफ खींचा जाता है। इस तरह कुछ मजदूर सुरंग में आगे की खुदाई करते जाते हैं और मलबा बाहर निकलता रहता है। इस तरह सुरंग में आगे होल होता रहता है।
अब इंतजार खत्म होने वाला है
‘रैट होल’ खनन के माध्यम से 100 से 400 फीट गहरा एक ऊर्ध्वाधर गड्ढा खोदा जाता है। हसनैन ने कहा कि छह सदस्यों का दल जो कि तीन के समूह में काम कर रहा है। लंबवत और हाथ से क्षैतिज ड्रिलिंग दो विधियां हैं, जिन पर इस समय ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सुरंग के बारकोट छोर से क्षैतिज ड्रिलिंग जैसे अन्य विकल्पों पर भी काम किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार 12 नवंबर से सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिकों को सुरक्षित बचाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
(PTI)
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