उत्तराखंड के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत पर ईडी का शिकंजा, मनी लॉंड्रिंग केस में दिल्ली से उत्तराखंड तक ईडी ने छापे मारे

Uttarakhand: ईडी ने धनशोधन की जांच के संबंध में बुधवार को कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत से जुड़े परिसरों पर छापे मारे।

जांच जारी

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07 Feb 2024 (अपडेटेड: Feb 16 2024 1:00 PM)

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Uttarakhand News ED: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धनशोधन की जांच के संबंध में बुधवार को कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत से जुड़े परिसरों पर छापे मारे। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। अधिकारिक सूत्रों ने बताया देहरादून में रावत के आवास सहित उत्तराखंड, दिल्ली और हरियाणा में कई स्थानों पर छापे मारे गए। सूत्रों के अनुसार, दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के परिसर और वीरेंद्र कंडारी और नरेंद्र के. वालिया के तौर पर पहचाने गए व्यक्ति भी इस कार्रवाई के दायरे में आये।

हरक सिंह के घर ईडी की रेड

रावत (63) ने 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) छोड़ दी थी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। ईडी की जांच रावत और उनके सहयोगियों के खिलाफ दो अलग-अलग मामलों और आरोपों से जुड़ी है, जिसमें राज्य के कॉर्बेट बाघ अभयारण्य में पेड़ों की 'अवैध' कटाई और निर्माण तथा नेता एवं उनके परिवार से जुड़े ट्रस्ट द्वारा संचालित एक शैक्षणिक संस्थान के लिए देहरादून जिले में भूमि ‘‘धोखाधड़ी’’ से हासिल करना शामिल है।

15 से अधिक ठिकानों पर छापा

उक्त भूमि को रावत की पत्नी दीप्ति रावत और कुछ अन्य व्यक्तियों द्वारा 'धोखाधड़ी' से हासिल किया गया था और उस पर श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के लिए भवन का निर्माण किया गया था।  उत्तराखंड सरकार के सतर्कता विभाग ने राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में राज्य के वन मंत्री के रूप में रावत के कार्यकाल के दौरान कथित बाघ अभयारण्य 'अनियमितताओं' के संबंध में पिछले साल उनके खिलाफ छापेमारी की थी।

उत्तराखंड से दिल्ली तक छापेमारी

रावत पहले कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का भी हिस्सा रह चुके हैं। उन्होंने अविभाजित उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था, 1996 में बसपा में शामिल हुए और दो साल बाद कांग्रेस में चले गए। कांग्रेस में 18 साल तक रहने के बाद, उन्होंने 2016 में भाजपा में शामिल होने के लिए उत्तराखंड की पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार के खिलाफ विद्रोह किया। उन्हें 2022 में भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए कथित तौर पर खुद के लिए और अपनी बहू के लिए पार्टी के टिकटों पर जोर दिया था।

(PTI)

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