357 दिन बाद इस तरह खुला ब्लाइंड मर्डर केस, 100 डॉक्टरों से पूछताछ, एक पर्ची ने दिया कातिल का सुराग

UP Crime News: कानपुर में 2022 में 15 नवंबर को सैनपारा इलाके में एक अज्ञात लाश मिली थी. पुलिस ने एक पर्ची के सहारे 357 दिन बाद केस को खोल के रख दिया.

जांच में जुटी पुलिस

जांच में जुटी पुलिस

08 Nov 2023 (अपडेटेड: Nov 8 2023 5:15 PM)

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कानपुर से रंजय सिंह की रिपोर्ट

UP Crime News: 357 दिन पहले कानपुर में एक अज्ञात व्यक्ति के कत्ल से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई थी.  पुलिस ने पूरे शहर में पता किया था लेकिन उसकी कई भी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं थी. मृतक के पास से ना कोई पहचान मिली थी ना कोई परिचय पत्र था ना कोई सा सामान था जिसके उसकी कोई पहचान हो सके सैकड़ो लोगों ने उसे बॉडी को देखा लेकिन कोई पहचान नहीं पाया था. बॉडी के पास से पुलिस को कपड़ों में भी किसी टेलर का स्लिप नहीं मिली थी. लेकिन मृतक की बॉडी के पास एक छोटी सी पर्ची जरूर मिली थी. जिसमें लिखा था दिलीप डॉक्टर साहब बांदा.

100 से ज्यादा डॉक्टरो से की पूछताछ

घाटमपुर के एसीपी अशोक शुक्ला का कहना है कि उस समय मैं नया-नया इस क्षेत्र में आया था मैं खुद मौके पर गया था मैंने जांच की तो एक भी सबूत न पाकर मैंने उस पर्ची के सहारे ही कातिलों को खोज निकालने का बेड़ा उठाया. इसके बाद हमने कई टीमें गठित की अब पुलिस के लिए सबसे बड़ा सवाल था कि पहले म्रतक की पहचान की जाए. मृतक की बॉडी का पोस्टमार्टम कराया गया जिसमें उसकी हत्या पाई गई अब 1 क्लू था जो  की वह पर्ची थी यह बंदा के किसी दिलीप की थी जो डॉक्टर के बगल में रहता था. लेकिन कौन सा डॉक्टर यह कोई नहीं जानता था इसके बाद पुलिस ने बांदा में डॉक्टरी करने वाले डॉक्टर से जा जाकर पूछताछ करनी शुरू कर दी इसके साथ-साथ आसपास के जिलों में भी मृतक की बॉडी के फोटो भेज कर शिनाख्त करने की कोशिश की गई लेकिन कहीं से कोई शिनाख्त नहीं हुई पुलिस के लिए सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि दिलीप नाम के किसी भी व्यक्ति की बांदा में कोई गुमशुदी भी दर्ज नहीं थी किसी थाने में दर्ज नहीं थी. अब पुलिस को पहचान करना था तो सिर्फ एक रास्ता था कि बांदा के सभी डॉक्टरों से जाकर मिलती और उनके बगल में रहने वाले किसी दिलीप के बारे में पता करती एसीपी अशोक शुक्ला का कहना है हमारी टीमों ने फिर भी मेहनत की और लगभग 100 से ज्यादा डॉक्टर से हमने बांदा में एक-एक करके पूछा कि आपके बगल में कोई दिलीप रहता है लेकिन कहीं से हमें कुछ भी पता नहीं चल पाया. 

मृतक अक्सर घर से चला जाता था

इसी दौरान एक दिन पुलिस अतर्रा के बबेरू रोड रहने वाले एक डॉक्टर के यहां गई. जहां दिलीप के बारे में पता कर रही थी कि तभी वहां पर बैठे एक व्यक्ति ने अपना नाम रामप्रसाद बताया उसकी डॉक्टर साहब के बगल में दुकान थी उसने कहा मेरे भाई का नाम दिलीप था लेकिन वह कुछ दिनों से कहीं गया हुआ है.  उसका पता नहीं चल रहा है पुलिस ने उससे पूछा कि तुमने इसकी गुमशुदी क्यों नहीं लिखी तो उसने कहा वह अक्सर इस तरह चला जाता है तो हमें पता नहीं चला और लौट के आ जाता है. लेकिन पुलिस ने जब उसकी बॉडी की फोटो दिखाई तो पहचान गया कि यह उसका भाई दिलीप ही है. जिसके बाद पुलिस को मृतक के बारे में जानकारी मिली. लेकिन पुलिस को अभी भी यह पता नहीं चला की उसकी हत्या किसने करी. पुलिस को इसी दौरान पता चला कि दिलीप की शिव शंकर सविता से बड़ी अच्छी दोस्ती थी. 

पैसे ना देने के कारण किया मर्डर

दिलीप ने शिव शंकर को ₹50000 रुपये उधर भी दिए थे.  पुलिस ने शिव शंकर से पूछताछ की तो उसने पैसे की बात को स्वीकार कर लिया.  लेकिन हत्या की बात से इनकार कर गया लेकिन इसी दौरान पुलिस को शिव शंकर के रिश्तेदारी में लगने वाले भाई सुशील सविता का पता चला. इसी दौरान पुलिस ने 15 नवंबर 2022 की क्षेत्र की मोबाइल लोकेशन निकलवाई तो उसमें सुशील का नंबर 14 तारीख की रात में इसी इलाके में पाया गया इसके बाद पुलिस ने जब दोनों के बारे में पता किया तो पता चला घटना वाले दिन इन दोनों के साथ दिलीप को देखा गया. इसके बाद पुलिस ने मंगलवार को कानपुर में इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया जहां इन दोनों ने स्वीकार किया कि ₹50000 ना देने पड़े इसलिए उन्होंने दिलीप का कत्ल किया था और कत्ल का खुलासा न हो इसलिए कानपुर घूमने के बहाने उसको कानपुर लाए थे जहां दारू पिला कर उसका कत्ल करके उसकी पूरी पहचान मिटा दी थी उन्होंने उसकी जेब से उसका सारा सामान निकाल लिया था मृतक मोबाइल नहीं रखता था इसलिए उन्हें भरोसा था कि उसकी पहचान नहीं हो पाएगी.

कातिलों को गिरफ्तार ना होने का था भरोसा

इन कातिलों ने उसकी जेब से एक-एक पहचान की चीज निकल ली थी लेकिन इसके बावजूद एक कहावत है कि अपराध कभी छिपता नहीं कातिल कितना भी चालाक हो वह कोई न कोई सुराक छोड़कर ही जाता है और यह लोग भी बॉडी के पास जब उसका सामान निकाल रहे थे तो उसके सामान के साथ रखी एक पर्ची बॉडी के पास ही गिर गई जो बाद में पुलिस को मिली उसी से पुलिस 357 दिन बाद लगभग 100 डॉक्टर से पूछते हुए कत्ल हुए दिलीप चौरसिया के घर पहुंच गई और फिर उसके बाद इन दोनों कातिलों शिव शंकर सविता और उसके भाई सुशील सविता को भी मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया यह पूरी तरह ब्लाइंड मर्डर था इसमें वास्तव में पुलिस ने एक एक कड़ी जोड़कर मेहनत की और कत्ल का खुलासा किया इसलिए पुलिस कमिश्नर ने खुलासा करने वाली टीम को इनाम भी दिया खुद कातिलों को भरोसा नहीं था कि एक दिन पुलिस उन तक पहुंच जाएगी इसीलिए शिव शंकर सविता कहने लगा हम लोग तो भूल ही गए थे की दिलीप के कत्ल की बात कभी सामने भी आएगी क्योंकि जब उसके घर वाले ही उसके बारे में कोई गुमशुदी नहीं लिख रहे थे तो पुलिस उन तक कैसे पहुंचती.

Note : ये खबर क्राइम तक में internship कर रही निधी शर्मा ने लिखी हैं.

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