ट्रेनी डॉक्टर की 'Deadbody' के पास ही संदीप घोष ने की थी Meeting, चश्मदीद की बताई गई अंदर की बातें भीतर तक झकझोर देंगी

RG Kar Medical College Rape and Murder: कोलकाता रेप और मर्डर केस में अभी तक सुनी सुनाई बातों पर ही कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन अब हम वहां का हाल उस शख्स की जुबानी देखें और समझेंगे जिसने मौके को खुद अपनी आंखों से देखा, खुद अपने कानों से सुना और खुद वहां सब कुछ होते देखा।

CrimeTak

23 Aug 2024 (अपडेटेड: Aug 23 2024 12:06 PM)

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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संदीप घोष के कहने पर उड़ाई गई सुसाइड की खबर

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डॉक्टरों के प्रोटेस्ट ने फेर दिया प्रिंसिपल के प्लान पर पानी

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संदीप घोष ने पूरे मामले को दबाने के लिए किया था प्लान

Kolkata Rape and Murder Case: कोलकाता के RG Kar Medical College में 8 और 9 अगस्त की उस दरम्यानी रात को आखिर हुआ क्या? क्योंकि अब तक ये पूरा किस्सा इधर उधर कयासों की पतंग की डोर से बंधा दिखाई दे रहा था। ज्यादातर लोग सुनी सुनाई बातों पर अपने अंदाजे का तड़का लगाकर ही बताते रहे और लोग वहां की सच्चाई से दूर बस ख्यालों में ही उस वारदात का ख्याल करते रहे। लेकिन अब वहां का सच एक चश्मदीद से सुना तो समझ में आया कि असल में वहां के हालात और पूरी हालत थी क्या। 

आंखों देखा हाल

इसी मेडिकल कॉलेज के एक डॉक्टर हैं, जो उस रात ड्यूटी पर थे और जिन्होंने मौके पर पहुँचकर खुद सब कुछ अपनी आंखों से देखा था। 
9 अगस्त सुबह 6 बजे- 
सुबह के वक्त अस्पताल में डॉक्टरों की ड्यूटी चेंज होने वाली थी। तभी कुछ लोगों को बात करते सुना कि इमरजेंसी बिल्डिंग में PGT के कुछ ट्रेनी डॉक्टरों और स्टूडेंट्स ने सेमिनार हॉल में एक डेड बॉडी देखी है। ये डेड बॉडी वहीं हॉस्पिटल में ही काम करने वाली एक ट्रेनी डॉक्टर की है। इस खबर ने तो जैसे अस्पताल में आग सी लगा दी। हर कदम उसी सेमिनार हॉल की तरफ बढ़ने लगे। लेकिन उन डॉक्टर ने फौरन HOD अरुनभ दत्ता चौधरी और प्रिंसिपल संदीप घोष को इसकी इत्तेला दी। डॉ. घोष ने फौरन वाइस प्रिंसिपल संजय वशिष्ठ को इस बारे में बताया और वो भी सेमिनार हॉल में पहुंचे।

चार लोगों का नाम सबसे खास

वे बताते हैं कि सेमिनार हॉल में पहुंचने वालों में चार नाम सबसे खास थे। यूनिट इंचार्ज और असिस्टेंट प्रोफेसर सुमित कुमार तापादार, एडिशनल मेडिकल सुपरिंटेंडेंट द्वीपायन बिस्वास, पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. सुशांता कुमार रॉय और काउंसिल के मेंबर डॉ. अविक डे। उस समय वहां देखकर तो समझ में नहीं आ रहा था कि ट्रेनी डॉक्टर के साथ क्या हुआ है? लेकिन डेडबॉडी देखकर ये तो साफ साफ लग रहा था कि ये मर्डर है। कॉलेज के हॉस्टलों में सुसाइड की खबर मिलते ही स्टूडेंट्स और डॉक्टर इमरजेंसी बिल्डिंग में पहुंच गए। लाश को देखकर पता लग रहा था कि ये सुसाइड नहीं बल्कि मर्डर है। कुछ 15-20 डॉक्टर और स्टूडेंट्स विरोध करने लगे।

ट्रेनी डॉक्टर की सुसाइड की खबर उड़ाई गई

तभी किसी के मुंह से ये कहते सुना गया कि डॉक्टर सुमित और द्वीपायन को घोष बाबू का खास इंस्ट्रक्शन देकर वहां भेजा गया था। द्वीपायन बिस्वास को मीडिया, स्टूडेंट और डॉक्टर के बीच ये खबर फैलानी थी कि ट्रेनी डॉक्टर ने सुसाइड की है। जबकि डॉक्टर सुमित को पुलिस को डील करने और उन तक रिपोर्ट पहुँचाने की जिम्मेदारी थी। डॉ. सुशांता कुमार और डॉ. अविक डे न तो आरजी कर अस्पताल से हैं और न ही इस केस से उनका कोई लेना-देना। तब सवाल ये उठता है कि वो दोनों वहां क्या कर रहे थे और इन्हें किसने भेजा था।

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असरदार डॉक्टरों को मौके पर बुलाया

असल में डॉ. सुशांता कुमार रॉय पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के वाइस प्रेसिडेंट हैं जबकि डॉ. अविक डे TMC छात्र परिषद के एक्टिव मेंबर हैं। वे IPGMR-SSKM से पीजीटी सर्जरी की पढ़ाई कर रहे हैं। जबकि डॉ. सुशांता कुमार रॉय राज्य स्वास्थ्य विभाग के OSD के पद से रिटायर हुए हैं। मौके पर मौजूद कई छात्रों से भी ये बात कन्फर्म हो गई कि डॉ सुशांता रॉय और अविक डे वहां मौके पर मौजूद थे, मगर वे दोनों पुलिस के वहां पहुँचने से पहले ही वहां से चले गए थे।

'डेडबॉडी' के पास ही मीटिंग

प्रोफेसर ने बताया कि अस्पताल पहुँचने के बाद प्रिंसिपल संदीप घोष ने जब वहां के हालात देखे और भीड़ देखी तो उन्हें लगा कि स्टूडेंट अब प्रोटेस्ट करेंगे और हंगामा खड़ा हो सकता है। तब उन्होंने सुशांता रॉय और अविक डे जैसे कुछ असरदार लोगों को बुलाया। उन सभी ने 'डेडबॉडी' के पास ही मीटिंग की। उस समय देबाशीष शोम भी वहां मौजूद थे। देबाशीष फोरेंसिक डिपार्टमेंट में डेमॉन्स्ट्रेटर हैं।

'नॉर्थ-बंगाल' लॉबी

सुशांता रॉय, अविक डे और संदीप घोष एक ही लॉबी का हिस्सा हैं। जिन्हें मेडिकल की फील्ड में 'नॉर्थ-बंगाल' लॉबी के नाम से जाना जाता है। आरजी कर अस्पताल के ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के एक स्टूडेंट बताते हैं, 'इस लॉबी पर श्यामापदा दास का हाथ है, जो ममता बनर्जी के फैमिली डॉक्टर हैं।

प्रोटेस्ट करने वाले स्टूडेंट्स की डिमांड

संदीप घोष और उनके साथ हॉस्पिटल के तमाम असरदार लोगों ने मिलकर घटना पर पर्दा डालने के लिए प्लान तैयार किया। लेकिन उनकी मर्जी और प्लान के खिलाफ तब तक स्टूडेंट्स जमा हो चुके थे। सारे स्टूडेंट प्रोटेस्ट करने लगे और दो दो डिमांड सामने रख दी। 
नंबर 1- पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी की जाए। 
नंबर 2- जांच के लिए तीन सदस्यों की कमेटी बनाई जाए।

और मौके पर पहुँच गया मीडिया

अब कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन और प्रिंसिपल के सामने सवाल ये था कि उन्हें ये डिमांड माननी चाहिए या नहीं। ये बात शायद तब किसी तरह मैनेज हो जाती मगर तब तक मौके पर मीडियावाले आ गए।

10:53 पर किया घरवालों को कॉल

प्रोफेसर द्वीपायन बिस्वास को मीडिया, स्टूडेंट और डॉक्टर के बीच इसे सुसाइड का मामला बताने का जिम्मा दिया गया था। उन्होंने पहला कॉल सुबह 10:53 बजे पर परिवार को किया। ट्रेनी डॉक्टर के पिता को बताया कि उनकी बेटी की तबीयत खराब हो गई है। थोड़ी ही देर बाद फैमिली को दूसरा कॉल किया गया। इस बार परिवार को बताया गया कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। हालांकि, ये कॉल किसी महिला ने की थी। वो महिला कौन है, इसका पता नहीं चल सका है।

10.30 बजे पहुँची पुलिस

असिस्टेंट प्रोफेसर सुमित तापादार ने सुबह 10:10 बजे पुलिस को सूचना दी। पुलिस करीब 10:30 बजे मौके पर पहुंची। इसके बाद दोपहर 1 बजे फोरेंसिक टीम पहुंची और क्राइम सीन का एग्जामिनेशन शुरू किया।

दोपहर एक बजे पहुँचा परिवार

दोपहर 1 बजे तक ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता और एक अंकल अस्पताल पहुंचे। सबसे पहले ट्रेनी डॉक्टर की बॉडी उनके अंकल ने देखी। इसके बाद दोपहर तीन बजे के आस पास मजिस्ट्रेट मौके पर पहुंचे। लेकिन उनके आने तक डॉक्टर रास्ता रोककर ही बैठे रहे। क्योंकि स्टूडेंट प्रदर्शनकारियों ने मजिस्ट्रेट से जांच की मांग की।

पोस्टमॉर्टम बाइ च्वाइस

डॉक्टरों की तरफ से दो मांगें रखी गईं। पहली ये कि महिला डॉक्टर का तुरंत पोस्टमॉर्टम किया जाए और उसकी वीडियोग्राफी हो। दूसरा, पोस्टमॉर्टम के लिए तीन लोगों की समिति बनाई जाए, जिसमें प्रदर्शनकारी डॉक्टरों में से कोई भी शामिल हो। संदीप घोष चाहते थे कि पोस्टमॉर्टम फोरेंसिक डिपार्टमेंट के देबाशीष शोम करें। मामला महिला का था, इसलिए कोई महिला डॉक्टर ही पोस्टमॉर्टम कर सकती थीं। 

शाम 6.10 बजे हुआ पोस्टमॉर्टम

लिहाजा तीन सदस्यीय डॉक्टरों की टीम में फोरेंसिक डिपार्टमेंट की मौली बनर्जी, रीना दास और अपूर्बा बिस्वास का नाम सामने आया। शाम 6:10 बजे शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया गया। शाम 7:10 पोस्टमॉर्टम खत्म हुआ।

रात सवा आठ बजे श्मशान घाट ले गए

इसके बाद शाम करीब 7:40 बजे पीड़िता के माता-पिता को ताला पुलिस स्टेशन ले जाया गया। उनके पीछे से 8:15 बजे डॉक्टर का शव श्मशान घाट ले जाया गया। हालांकि इस दौरान पीड़िता के अंकल साथ मौजूद थे। इन सबके बाद रात 11:45 बजे मामले की FIR लिखी गई।

संदीप घोष को सुबह पांच बजे पता चल गई थी घटना?

मेडिकल कॉलेज के कुछ स्टूडेंट्स का तो यहां तक कहना है कि प्रिंसिपल संदीप घोष को इस घटना की जानकारी सुबह 5 बजे ही मिल गई थी। एक स्टूडेंट ने अपनी पहचान छुपाने की शर्त पर बताया कि 'घटना के समय बिल्डिंग में दो सिक्योरिटी गार्ड थे। एक सिक्योरिटी गार्ड अपनी फैमिली का इलाज करा रहा था।वो इमरजेंसी वार्ड की दूसरी मंजिल पर पहुंचा, तब उसने सेमिनार हॉल में ट्रेनी डॉक्टर की लाश देखी। शायद उसने ही संदीप घोष या HOD को बताया। इसके बाद अस्पताल में मौजूद पुलिस वहां गई थी।

आखिर सुसाइड की खबर उड़ाने के पीछे क्या मंशा थी?

अब सवाल ये भी था कि जब डॉक्टर की बॉडी देखकर अंदाजा था कि उनका मर्डर हुआ है, तब सुसाइड की थ्योरी क्यों तैयार की गई? ये बात अब तक सामने नहीं आई है। डॉक्टर की फैमिली को भी यही बताया गया कि उनकी बेटी ने सुसाइड कर लिया है। इसके पीछे क्या मंशा थीं, मामले की जांच कर रही CBI भी यही पता कर रही है।

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