Top Ten Crime 2023 : 365 दिन.. एक साल की पूरी उम्र यही होती है.. 365 दिन.. साल 2023 की उम्र भी यही 365 दिन थी.. बीते 2022 सालों की तरह अब 2023 को भी कैलेंडर के पलटे हुए पन्नो में छुपाने का वक्त आ गया है.. यानि 2023 को अब अलविदा कहने का वक्त आ गया है.. अपने अपने फील्ड के हिसाब से या यूं कहें की अपनी अपनी जिंदगी के हिसाब से हर कोई इन बीते 365 दिनों को यानि साल 2023 को अच्छी बुरी यादों के साथ याद रखेगा या फिर भूलने की कोशिश करेगा.. हमारी फील्ड यानी जुर्म के हिसाब से भी जुर्म के अनगिनत जख्मों के लिए साल 2023 को भुलाया नहीं जा सकता..तो चलिए 2023 को अलविदा कहने और 2024 को अपनी जिंदगी में लाने से पहले उन 10 बड़े जख्मों को कुरेदते हैं जो 2023 ने हमें दिए…आइए जानते हैं साल 2023 में हुई क्राइम की बड़ी घटनाएं…
Crime 2023 : अंजलि से लेकर अतीक तक, वो सनसनी क्राइम की घटनाएं जिसने दहला दिया
India Crime 2023 Top Ten : साल 2023 की 10 बड़ी क्राइम की खबरें. जानिए किन घटनाओं ने दहला दिया.
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India top ten crime 2023
01 Jan 2024 (अपडेटेड: Jan 2 2024 9:17 PM)
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1- पथरीली मौत - अंजलि केस
तमाम पुराने जख्मों और कड़वी यादों को भुला कर ठीक साल भर पहले 2022 की उस आखिरी रात में भी हर किसी ने एक नई उम्मीद के साथ 2023 का स्वागत किया था.. पर कमबख्त साल के पहले दिन ने ही देश की राजधानी दिल्ली की पथरीली सड़कों पर जिस तरह इंसानियत को दम तोड़ते देखा.. उसने नए साल की पहली तारीख को ही खूनी बना दिया था.. नए साल की पहली सर्द रात ही एक मोटरकार के पहियों के नीचे एक लड़की पूरे 12 किलोमीटर तक दिल्ली की पथरीली सड़कों पर तब तक घिसटती रही जब तक के उसके जिस्म की हड्डिया नजर नहीं आने लगी.. 2023 की पहली और नई सुबह ही अंजली की दर्दनाक मौत की कहानी के साथ शुरु हुई थी..
दिल्ली के कुछ नौजवान तब 22 को अलविदा कहने और 23 का स्वागत करने के लिए नशे में चूर थे.. इतने चूर कि उनकी मोटरकार के पहिए के नीचे अंजलि आधे घंटे से ज्यादा फंसकर घिसटती रही और उन्हें कार की बहकती चाल तक का अंदाजा नहीं हुआ..और जब अंदाजा हुआ तो पहियों में उलझी अंजलि को बाहर निकालने के बजाय.. कार की रफ्तार बढ़ा दी..इस एक केस ने तब दिल्ली के कानूनी हलकों में ये बहस छेड़ दी थी कि अंजलि के कातिलों को लापरवाही से हुई मौत यानी सड़क हादसे से जुड़ी धाराओं के तहत सजा दी जाए.. या फिर सीधे-सीधे धारा 302 यानि कत्ल का मुकदमा चलाया जाए..पुलिस ने लोगों के गुस्से को देखते हुए आरोपियों के खिलाफ धारा 302 ही लगाई.. लेकिन अब पूरा साल खत्म हो गया.. पर मुकदमा अभी जारी है.. ना जाने इस मुकदमें के फैसले और अंजलि के कातिलों को सजा देने या दिलाने के लिए और कितने नए सालों का इंतजार करना होगा..
2-फ्रिज-दर-फ्रिज- निक्की केस
हर गुजरता साल आने वाले नए साल को विरासत में कुछ ना कुछ सौंप कर जाता है.. 2022 आफताब और श्रद्धा की फ्रिज वाली कहानी का गवाह बना था.. 2023 ने भी इसी विरासत को आगे बढ़ाया.. श्रद्धा की तरह ही इसी दिल्ली में निक्की यादव नाम की एक लड़की फ्रिज में बंद पड़ी थी.. निक्की का कातिल साहिल आफताब और श्रद्धा की कहानी सुन चुका था.. फ्रिज के नए इस्तेमाल का तरीका भी अब वो सीख चुका था.. आफताब और श्रद्धा की तरह ही निक्की और साहिल भी लिव-इन में रह रहे थे.. पर शादी और कुछ मसलों को लेकर दोनों में झगड़ा हुआ.. श्रद्धा की तरह निक्की भी मारी गई.. और फिर वैसे ही साहिल के ढाबे के फ्रिज में बंद हो गई..
श्रद्धा बदकिस्मत थी जो टुकड़ों में बंट गई.. निक्की थोड़ी किस्मत वाली निकली कि टुकड़ों में बंटने से पहले ही पुलिस ने फ्रिज का दरवाजा खोल दिया.. निक्की इस मामले मे भी खुशनसीब निकली की कम से कम चिता पर उसकी पूरी लाश थी.. श्रद्धा को तो अभी भी अपने अंतिम संस्कार का इंतजार है.. क्योंकि श्रद्धा के नाम पर उसके हिस्से की बची-कुची हड्डियां केस के नाम पर ना जाने दिल्ली पुलिस के किस मालखाने में बंद पड़ीं हैं..
3-फ्रिज से कुकर तक
मुंबई केस 2022 ने श्रद्धा की शक्ल में पूरे देश में फ्रिज की ऐसी तस्वीर पेश की कि बस पूछिए मत.. देश के अलग-अलग शहरों में ना जाने कितने ही फ्रिज से कितनी ही श्रद्धा निकली.. पर इसी बीच मुंबई के एक फ्लैट से तीन बाल्टी, एक टब और एक कुकर में सरस्वती निकली.. आफताब ने शायद हर कातिल को कत्ल नहीं बल्कि लाश छुपाने का नया आइडिया दे दिया था.. मुंबई के मनोज साहनी ने इस आइडिया में अपना आइडिया भी शामिल कर दिया.. अपनी लिव-इन पार्टनर सरस्वती के कत्ल के बाद वो लाश के टुकड़ों को बाल्टियों और टब में रखता फिर थोड़ा-थोड़ा हिस्सा कुकर में उबालता.. और रात के अंधेरे में भूखे कुत्तों का पेट भरता.. इस अपार्टमेंट से जब ये खौलता हुआ सच बाहर आया तो पूरी सोसायटी के लोगों ने उल्टियां कर दी थी.. इसके बाद बकायदा पूरी सोसायटी की धुलाई की गई.. तब कहीं जाकर यहां जिंदगी दोबारा आबाद हुई..
4-शर्मनाक -मणिपुर हिंसा
2023 ने मणिपुर का एक ऐसा चेहरा दिखाया जिसे आंखो से ओझल करने में ना जाने और कितने नए सालों तक इंतजार करना पड़ेगा.. एक ही राज्य,एक ही घऱ, सब अपने लोग, लेकिन हवा, पानी, जमीन, नदी, पहाड़, जंगल, बस्ती, शहर के बंटवारे ने ऐसी आग लगाई कि देखते ही देखते कई बस्तियां शमशान का मंजर दिखाने लगीं.. अपनों ने ही अपने जैसे 200 से ज्यादा इंसानों की जान ले ली..हजारों जख्मी हुए.. हजारों बेघर.. दो समुदायों के बीच एक अदालती फैसले ने पहले ही नफरत के बीज बो दिए थे.. बाकि कसक सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस एक वीडियो ने निकाल दिया.. मणिपुर की इन तीन महिलाओं या लड़कियों को जिस बेेशर्मी से बेशर्म अंदाज में खुलेआम सड़कों पर बिना कपड़ों के दौड़ाया गया.. उन्हें पीटा गया.. उसके बाद खूबसूरत और शांत मणिपुर की पूरी तस्वीर ही बदल गई.. 23 विदा ले रहा है लेकिन मणिपुर से आंसुओं और आहों की विदाई कब होगी ये अब 24 ही बता सकता है..
5-तमाशबीन- साक्षी केस
हालांकि अकेले 2023 को इस वारदात के लिए कोसना 23 के साथ इंसाफ नहीं होगा... 23 के पिछले सालों ने भी कई बार तमाशबीनों के ऐसे मंजर पेश कर रखे हैं..मगर ये 2023 ही था जिसने हमें दिखाया.. सुनाया और बताया कि अब हम बस कहने के लिए इंसान बचे हैं.. वरना इंसानियत तो कबका दम तोड़ चुकी है.. एक अकेली निहत्थी लड़की उस दिल्ली की इक गली से गुजर रही थी.. जिस दिल्ली से देश चलता है.. एक लड़का अचानक उस लड़की का रास्ता रोकता है.. बेतहाशा खंजर से उस पर वार करता है.. पत्थरों से कुचलता है.. बीच-बीच में रुकता है.. थकता है.. फिर शुरु हो जाता है.. कई मिनट तक रूह तक को कंपकंपा देने वाली ये लाइव तस्वीर मौके से गुजर रहे इंसान नाम के दर्जनों इंसान बेहद करीब से अपनी नंगी आंखो से देखते हैं..
लेकिन क्या मजाल कि उनमें से किसी की दो अदद हाथ साक्षी नाम की उस लड़की को उस वहशी से बचाने के लिए आगे आ जाते.. शायद सााक्षी को भी लगा होगा.. कि मुर्दों की इस बस्ती में मुर्दों जैसा जीने से तो बेहतर है कि मर जाओ.. और सचमुच साक्षी मर गई.. ये 2023 ही था जिसने एक कातिल को कत्ल करते हुए और कत्ल करने के बाद लाश के करीब खड़े होकर नाचते हुए देखा.. इस बार भी शहर वही दिल्ली था.. इस बार भी तमाशबीन उसी दिल्ली के लोग थे.. एक नाबालिग लड़का एक नाबालिग लड़के को भरी बस्ती के अंदर चाकू से गोदता रहता है.. लेकिन सैकड़ों लोगों से आबाद इस बस्ती का एक भी मददगार हाथ आगे नहीं आता.. उल्टे लोग अपने-अपने घरों की खिड़कियां और दरवाजे बंद कर लेते हैं..
6-जेल या अड्डा- तिहाड़ मर्डर केस
पहली चीज तो ये कि दुनिया के किसी भी जेल से अमूमन कोई तस्वीर बाहर ही नही आती.. मगर 2023 को ये भी देखना था.. फिलहाल मशहूर से कुख्यात बन चुके तिहाड़ से 23 में एक ऐसी तस्वीर बाहर आई जिसने लोगों की इस पूरी गलतफहमी को ही गलत साबित कर दिया.. कि जेल में कभी ऐसा नहीं हो सकता.. टिल्लू ताजपुरिया नाम के एक गैंगस्टर को कभी एक जमाने में एशिया की सबसे सुरक्षित जेल यानि तिहाड़ के अंदर जिस तरह दौड़ा-दौड़ा कर मारा गया वैसा तो अमूमन गली मुहल्लों में भी देखने को नहीं मिलता.. बंद जेल के अंदर तमाम कातिल पहले से ही बंद थे.. तिहाड़ के तमाम सुरक्षाकर्मी पहले से ही अपनी अपनी जगह मुस्तैद थे.. यहां तो इस बात की भी गुंजाइश या शिकायत नहीं थी कि पुलिस मौके पर देर से पहुंचती है.. इन सबके बावजूद तमाम सुरक्षाकर्मियों के बीच अदालत से सजा पाने से पहले ही तिहाड़ के रिश्वतखोर अफससर और कर्मचारियों ने ताजपुरिया को मौत की सजा दे दी..बेशक खंजर किसी और के हाथ में था.. पूरे 2023 में तिहाड़ हर महीने सुर्खियों में ही रहा..कम से कम ये अच्छा हुआ.. अच्छा इसलिेए हुआ कि तिहाड़ की वजह से रिश्वतखोरी ने भी खूब नाम कमा लिया..
7- सबसे बड़ी घुसपैठ- संसद भवन
वजह और मकदस का पता नहीं लेकिन 2023 ने 94 साल पुरानी एक तस्वीर और कहानी फिर से दिखा दी.. तरीके और मुद्दे को बेशक सही नहीं ठहराया जा सकता.. पर इसे इत्तेफाक कहें या साजिश का एक हिस्सा कि दो लोग संसद भवन की विजिटर गैलरी से ठीक उसी तरह सदन में कूदते हैं जैसे 94 साल पहलेे भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त अंग्रेजों के राज में संसद भवन में कूदे थे.. 2023 के 22 साल पुराने रिश्तेदार 2001 ने पहली बार संसद की दहलीज पर आतंक को देखा था.. इत्तेफाक से उसी घटना को उस रोज पार्लियामेंट में याद किया जा रहा था और ठीक तभी दो लोग सुरक्षा के तमाम लंबे-चौड़े ताम-झाम को अपने जूतों तले रौंदते हुए संसद की दहलीज पार कर गए थे.. ये वाक्या आंखे खोलने वाला है.. अगर इस तरह दो आम लोग संसद में घुस सकते हैं तो ये संसद की सुरक्षा को लेकर एक बेहद चिंता की बात है.. उम्मीद है 2001 और 2023 के बाद संसंद भवन से फिर कभी ऐसी तस्वीर बाहर नहीं आएगी..
8-इंडियन मनी हाइस्ट- दिल्ली की सबसे बड़ी चोरी
2023 के पूर्व 2021-2022 ने मनी हाइस्ट नाम की एक बैंक चोरी पर बनी ओटीटी सीरीज को दुनिया के कोने कोने में पहुंचा कर खूब वाहवाही दिलवाई थी.. अब ऐसे में 2023 कहां पीछे रहने वाला था.. उसने एक कदम आगे बढ़कर एक सच्ची चोरी को देश के कोने कोने तक पहुंचा दिया.. कमाल का चोर था ये और गजब की चोरी थी.. एक अकेला चोर अपने गांव से अंजान दिल्ली शहर में पहुंचता है.. जौहरी की एक दुकान पर उसकी नजर पड़ती है.. उसी वक्त उसका इरादा पक्का हो जाता है.. इतना पक्का कि पहले गांव का रिटर्न टिकट खरीदता है..फिर एक रात छत के रास्ते जौहरी की उस दुकान में घुस जाता है.. दुकान में ही डिनर करता है.. फिर चादर तान कर सो जाता है.. क्योंकि अगले दिन दुकान बंद रहने वाली थी.. अगली सुबह उठकर पहले नाश्ता पानी करता है फिर काम पर लग जाता है.. पूरे 25 करोड़ रुपए के जेवरात वो अपने साथ लाए बैग में भरता है और फिर छत के उसी रास्ते से होते हुए पहले बस अड्डा और फिर अपन् गांव जा पहुंचता है.. देश के इतिहास में इसससे पहले एक अकेले चोर ने इससे बड़ी चोरी कभी नहीं की थी.. ये अलग बात है कि कुछ दिन बाद ही वो पकड़ा जाता है और तमाम जेवरात फिर से उसी शोरूम की शोभा बढ़ाने पहुंच जाते हैं..
9-डबल क्रॉस- सुखदेव केस
2023 ने एक सबक ये भी पढ़ाया कि जब मौत आनी होती है तो कातिल घर तक भी पहुंच सकता है.. राजपूत करनी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी अपने घर में बैठे थे..तभी 3 मेहमान शादी का कार्ड देने के बहाने घर में दाखिल होते हैं.. 10 मिनट तक बातचीत करते हैं फिर अचानक घर में ही गोलियां चलनी शुरु हो जाती हैं.. सुखदेव सिंह को मारने के लिए घऱ के अंदर 3 शूटर आए थे.. इत्तेफाक से घर के अंदर सीसीटीवी कैमरा लगा था..कैमरा ना होता तो शायद डबल क्रॉस की ये असली कहानी भी कभी सामने ना आ पाती.. वो कैमरा ही था जिसने दिखाया कि सुखदेव सिंह पर गोली चलाते चलाते एक शूटर ने अचानक अपने एक साथी शूटर पर भी गोलियां चलानी शुरु कर दी.. सुखदेव सिंह के साथ साथ शूटरों का एक साथी भी मारा गया.. बाद में पुलिस ने जब कत्ल की कड़ियां जोड़नी शुरु की तो इस कत्ल की एक कड़ी भी सीधे गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई से जाकर जुड़ा.. पता चला कि उसी के गुर्गों ने सुखदेव सिंह को गोली मारी थी..
10- द अनटोल्ड स्टोरी- अतीक-अशरफ केस
2023 की किसी एक वारदात ने अगर सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी.. बार-बार सबसे ज्यादा कोई एक तस्वीर दिखाई तो वो यही है.. 2023 से पहले के उसके किसी भी पूर्वज ने ऐसा मंजर नहीं देखा या दिखाया था जब पुलिस कस्टडी में होने के बावजूद 2 मुजरिमों की हत्या कर दी गई हो.. अतीक-अशरफ डबल मर्डर केस यकीनन 2023 की सबसे बड़ी वारदात थी.. क्योंकि इस वारदात ने पुलिस के काम और नियत दोनों पर सवाल उठाए थे.. पुलिस कस्टडी में अतीक और अशरफ की मौत दरअसल उस कहानी का क्लाइमेक्स था जिस कहानी की शुरुआत उमेश पाल की हत्या से हुई थी.. उमेश पाल को उसी के घर के दरवाजे पर गोली मार दी गई थी.. कत्ल के पीछे नाम आया अतीक और उसके गुर्गों का.. लंबे वक्त से अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद अतीक तब गुमनामी के दौर से गुजर रहा था.. उमेश पाल के कत्ल ने अचानक उसे फिर से सुर्खियों में ला दिया..
अहमदाबाद से प्रयागराज तक का पूरा सफर उसने मीडिया के कैमरों में तय किया.. उसके इस सफर ने कई बार विकास दुबे के सफर की याद ताजा कर दी थी.. हरेक को लगा था कि विकास दुबे की तरह ही अतीक की भी गाड़ी पलटेगी.. पर लोग अतीक की गाड़ी के पलटने का इंतजार करते रहे.. और उधर एक बाइक पलट गई.. अतीक सुरक्षित प्रयागराज पहुंच चुका था.. सारा ध्यान उसी की तरफ था.. पर तभी बाप की जगह बेटे असद की झांसी के करीब उस वक्त पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई जब वो बाइक पर अपने साथी के साथ जा रहा था.. असद की मौत को अभी दो दिन भी पूरे नहीं हुए थे.. की ठीक उसी दिन जिस रोज उसे प्रयागराज के कब्रिस्तान में दफनाया गया.. उसी कब्रिस्तान से चंद किलोमीटर दूर एक अस्पताल के दरवाजे पर यूपी के 16 पुलिसवालों के सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए 3 लड़के आते हैं और उन्हीं पुलिसवालों के सामने बेहद करीब से अतीक और अशरफ को गोली मार देते हैं.. जिस वक्त इन दोनों को गोली मारी जा रही थी तब आजतक का कैमरा इस मंजर को कैद कर रहा था..
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