राजस्थान के चुरू में हुई हत्याओं का सच आया सामने, एक-एक करके किसने दिया तीनों को जहर!

Rajasthan Churu Case: राजस्थान के चुरू में तीन हत्याओं का सच सामने आ गया है। इस घर के मुखिया ने ही एक-एक करके तीन हत्याएं की थी। तीनों को जहर दिया गया था। आइये जानते हैं पूरी कहानी।

Rajasthan Churu Case Accused

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26 Mar 2024 (अपडेटेड: Mar 26 2024 6:45 PM)

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चुरू से विजय चौहान की रिपोर्ट


Rajasthan Churu Case: राजस्थान के चुरू में तीन हत्याओं का सच सामने आ गया है। इस घर के मुखिया ने ही एक-एक करके तीन हत्याएं की थी। तीनों को जहर दिया गया था। आइये जानते हैं पूरी कहानी।

28 दिनों के अंदर-अंदर इस घर में तीन लोगों की बेहद रहस्यमयी अंदाज में मौत हो जाती है। और फिर तीसरी मौत के बाद उससे भी अजीब एक सिलसिला शुरू होता है। एक ऐसा सिलसिला जिसकी चर्चा इस घर से निकल कर पहले पूरे राज्य और फिर देश के अलग-अलग हिस्सों में होने लगती है। कहानी राजस्थान के चुरू की है। चुरू के भैंसाली गांव में मौत और ख़ौफ़ के इस सिलसिले की शुरुआत हुई 31 जनवरी से, जब घर की दादी यानी 82 साल की बुजुर्ग महिला कस्तूरी की अचानक मौत हो गई। 31 जनवरी की सुबह करीब छह बजे उन्हें खून की उल्टियां शुरू हुईं और इससे पहले कि लोग उन्हें अस्पताल ले कर जाते, उनकी जान चली गई। 12 दिनों का वक़्त गुजरा था कि मौत ने घर में फिर से दस्तक दी। इस बार घर के चार साल के बच्चे गर्वित की जान चली गई। उसे भी सुबह 6 बजे उल्टी हुई थी और अस्पताल ले जाने से पहले ही उसने भी दम तोड़ दिया, लेकिन अभी घरवाले इस दोहरे सदमे से ऊबर पाते, तब तक 15 दिन गुजरते गुजरते घर का दूसरा चिराग भी बुझ गया। 28 फरवरी को घर के सात साल के बड़े बेटे अनुराग यानी मासूम गर्वित के बड़े भाई की भी मौत हो गई। तरीका वही था। सुबह उसे खून की उल्टियां हुईं और इससे पहले कि घरवाले उसे अस्पताल लेकर जाते, उसका इलाज करवाते, उसकी भी मौत हो गई।

पहले मौतें, फिर आग लगना शुरू हुआ

यानी मौतों का ये तरीक़ा ही अपने-आप में शक पैदा करता था, लेकिन अभी घरवाले मौत के पीछे की वजहों को टटोल पाते, अपनों को गंवाने का सच जान पाते, तब तक घरवालों पर आग का कहर टूटना शुरू हो गया। आखिरी मौत के ठीक एक दिन बाद यानी 29 फरवरी को घर में आग लगने की शुरुआत हो गई। आग कभी दीवार पर टंगे कपड़ों में लगती, कभी बिस्तर में, कभी पशुओं के चारे में तो कभी किसी और चीज़ में। हालत ये है हो गई पीड़ित परिवार के साथ-साथ गांव के तमाम लोग भी आग के इस रहस्यमयी सिलसिले से घबराने लगे। घरवालों ने घर का सारा सामान ही बाहर निकाल दिया, ताकि आग लगने पर उसे फौरन बुझाया जा सके। उधर, गांव वालों दो ट्रैक्टरों पर स्प्रे करने वाली दो मशीनें और पानी की टंकी का इंतजाम कर लिया, ताकि आग लगने पर उसे फौरन बुझा लिया जाए।

...जब सीसीटीवी का डीवीआर ही जल गया

लेकिन कहानी में असली ट्विस्ट तो तब आया, जब मौत और आग के इस सिलसिले का सच जानने के लिए जब घरवालों ने सीसीटीवी कैमरे लगाए, तो एक दिन कैमरे का डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर यानी डीवीआर ही जल गया। गौर करने वाली बात ये है कि घऱ में सीसीटीवी कैमरे 3 मार्च को लगाए गए। इसके बाद घर में एक बार भी आग नहीं लगी, बल्कि इस दौरान घर के बाहर पशुओं के बाड़े में आग लगी। पांच मार्च को अचानक घर में फिर से आग लगी और इस बार आग सीधे कैमरे के डीवीआर में ही लगी, जिसके बाद अब घरवालों को इसके पीछे किसी साजिश का शक होने लगा है, क्योंकि जिस तरह से डीवीआर में आग लगी है, उससे दो बातें साफ हैं। अव्वल तो इस साजिश के पीछे जो भी है, वो घर में सीसीटीवी कैमरा लगने से नाराज़ है और दूसरा उसने सबूत मिटाने के लिए सीधे डीवीआर को ही फूंक दिया है।

जहर से हुई थी तीनों मौतें

इस रहस्यमयी आग और उससे पहले की तीन रहस्यमयी मौतों की खबरें जब सुर्खियां बनने लगीं, तब कहानी में पुलिस की एंट्री होती है। शुरुआती तफ्तीश में ही पुलिस को शक होता है कि घर में लगने वाली रहस्यमयी आग और घर में हुई तीन मौतों का आपस में कोई ना कोई कनेक्शन है, लेकिन इस कनेक्शन को जोड़ें कैसे? तो पुलिस को इसका रास्ता भी मिल गया। दरअसल, घर में हुई पहली दोनों मौत के बाद घरवालों ने दोनों का ही अंतिम संस्कार कर दिया था। लिहाजा, सबूत मिलने की कोई गुंजाइश नहीं थी, लेकिन इत्तेफाक से जिस 4 साल के बच्चे गर्वित की मौत हुई थी, उसकी कम उम्र को देखते हुए घरवालों ने उसे दफ्ना दिया था। ये जानकारी मिलते ही पुलिस ने गर्वित की लाश को कब्र से बाहर निकल कर उसका पोस्टमार्टम कराने के लिए डीएम से जरूरी इजाजत ले ली। इसी के बाद गर्वित की लाश का पोस्टमार्टम हुआ और विसरा जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेज दिया गया। जैसे ही इन दोनों की रिपोर्ट आई, पूरी रहस्यमयी कहानी ही पलट गई। गर्विंत की मौत जहर से हुई थी। अब चूंकि जिस तरह से गर्वित की मौत हुई थी, ठीक उसी तरह से गर्वित की दादी और बड़े भाई की भी मौत हुई थी, यानी तीनों मौत एक जैसी थी। यानी तीनों को ही जहर दिया गया था, पर ये जहर किसने दिया, और इन मौत का घर के रहस्यमयी आग से क्या रिश्ता? तो इसका जो सच अब सामने आया है, उसे सुन कर हर कोई सन्न है।

साजिश के तहत हुई हत्याएं

जी हां, ये आग एक साजिश थी और घर में हुई तीन मौत एक सीरियल किलिंग थी। यानी तीन क़त्ल और कातिल कोई और नहीं बल्कि इसी घर का मुखिया और मरने वाले दोनों बच्चों का बाप भूप सिंह ही था। अपने दो बेटों के साथ-साथ अपनी दादी का क़त्ल भी भूप सिंह ने ही किया। भूप सिंह ने ये तीन तीन कत्ल कैसे किए, घर में रहस्यमयी आग कैसे लगाई, पहले उसका सच जान लीजिए।

गर्वित की पोस्टमार्टम और विसरा रिपोर्ट से ये पता चला है कि गर्वित की मौत की वजह बार्बीटुरेट नाम का जहर है। अब पुलिस के सामने ये सवाल था कि ये जहर उसे कौन दे सकता है? या ऐसे जहर की जानकारी किसको हो सकती है? शक के घेरे में आने वाले तमाम लोगों के साथ-साथ पुलिस के घर के लोगों को भी रडार पर रखे हुए थी। इसी दौरान पता चला कि भैंसली गांव में भूप सिंह की मेडिकल की दुकान है साथ ही उसने जीएनएम का कोर्स भी कर रखा है। इतना ही नहीं वो कुछ साल पहले राजगढ़ के भगवानी देवी अस्पताल में कंपाउंडर का काम भी कर चुका था। यानी भूप सिंह को दवा और जहर की पूरी जानकारी थी। लिहाजा शक के बिनाह पर पुलिस ने भूप सिंह और उसकी पत्नी को हिरासत में ले कर पूछताछ करनी शुरू कर दी, लेकिन शुरुआत पूछताछ में ही साफ हो गया कि भूप सिंह की पत्नी को कुछ पता नहीं। असली कातिल तो भूप सिंह ही है। भूप सिंह ने सबसे पहले अपनी दादी को खांसी की दवा में जहर मिला कर दिया। इसके बाद वही जहर बारी-बारी से अपने दोनों बच्चों को दिया।

28 दिन के अंदर घर के तीन लोगों की मौत कहीं शक ना पैदा कर दे, इसीलिए भूप सिंह ने अब एक और साजिश रची। गांव में वैसे ही इन मौतों को लेकर बातें होनी शुरू हो गई थी। लिहाजा मौका देखते ही उसने इन तीनों मौतों को जादू टोना और तंत्र मंत्र से जोड़ने का फैसला किया। एक्स कंपाउंडर भूप सिंह को सोडियम के बारे में पता था। अब उसने तीसरी मौत के अगले दिन से ही घर के अलग-अलग हिस्सों में अदृश्य सोडियम से आग लगाने का सिलसिला शुरू कर दिया। कपड़े, बिस्तर, खूंटी, जानवरों के चारे और रसोई में इसी तरह अब हर दूसरे तीसरे दिन अपने-आप आग लगने का सिलसिला शुरू हो गया। यहां तक कि आग लगने की वजह जानने के लिए जब घर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए, तो उस कैमरे के डीवीआर तक में आग लग गई। गांव के लोग खुद इस रहस्यमयी आग के गवाह बन गए।

तीन मौत की कहानी इन रहस्यमयी आग के आगे झुलस चुकी थी, लेकिन तभी पुलिस की एंट्री होती है। भूप सिंह को सच पता था, अब वो घबरा जाता है। पुलिस के पहरे की वजह से आग लगने का सिलसिला भी बंद हो चुका था। पर भूप सिंह से एक बड़ी गलती हो चुकी थी। दादी और बड़े बेटे की चिता के साथ वो सारे सबूत राख कर चुका था, लेकिन बच्चों की मौत को लेकर गांव के रस्म के आगे वो तीसरे सबूत को मिटा नहीं पाया। उसे गर्वित की लाश दफ्नानी पड़ी और उसी एक लाश का सिरा पकड़ कर पुलिस तीन क़त्ल की कहानी का खुलासा कर देती है।

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