अरविंद यादव की रिपोर्ट
'दृश्यम' की तर्ज पर ठिकाने लगाई लाश, Planning भी गजब की थी, पर इस छोटी सी गलती से 6 महीने बाद खुला राज
Chhattisgarh Drishyam Style Murder: छत्तीसगढ़ के महासमुंद में एक मर्डर की गुत्थी सुलझाने का दावा पुलिस ने किया है। पुलिस के मुताबिक कत्ल के बाद लाश को बिलकुल दृश्यम फिल्म की तर्ज पर ठिकाने लगा दी गई थी लेकिन एक बेहद मामूली सी बात ने सारा राज फाश कर दिया और कातिल को कानून के शिकंजे में पहुँचा दिया।
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30 May 2024 (अपडेटेड: May 30 2024 7:32 PM)
Chhattisgarh Crime: दृश्यम फिल्म जब आई थी तो सस्पेंस मूवी में दिलचस्पी रखने वाले सबसे ज्यादा खुश हुए थे क्योंकि फिल्म में आखिरी दम तक ये राज नहीं खुल पाता कि आखिर लाश कहां गई। आखिरी सीन से पहले जाकर ये पता चलता है कि जिस लाश की तलाश की जा रही है वो असल में कहां ठिकाने लगाई गई। छत्तीसगढ़ के महासमुंद से ठीक इसी तरह का वाकया सामने आया जिसमें कातिल ने एक लाश को फिल्म की ही तर्ज पर ठिकाने तो लगाया। लेकिन लगता है कि कातिल उस फिल्म को ढंग से देखने से चूक गया। तभी तो एक छोटी और बेहद मामूली सी गलती ने कातिल को सलाखों के पीछे पहुँचा दिया।
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सबक सिखाने के लिए पुलिस कर रही कुंडली तैयार
पुलिस ने जिसे कत्ल के इल्जाम में पकड़ा वो यूं तो ज्योतिषी का काम करता है, लेकिन अब पुलिस उसकी कुंडली तैयार कर रही है। जबकि उसका साथ देने वाली एक टीचर थी, मगर पुलिस ने अब उसे भी पकड़ने के बाद कानून का सबक याद दिलाया है।
लाश ठिकाने लगाने की Planning
महासमुंद नगर में हत्या की एक वारदात अंजाम दी गई लेकिन फिल्म ‘दृश्यम’ की तर्ज पर लाश को ठिकाने लगाया गया। हत्यारे ने बड़े ही सुनियोजित तरीके से शव को प्लास्टिक के कई लेयर में लपेटा, जिससे कि बदबू बाहर न जा सके। फिर उसे अपने किचन में गाड़ दिया। कहने को वो ज्योतिषी था मगर खुद अपनी ही किस्मत की लकीरें ही नहीं पढ़ सका और जिसके कहने पर उसने हत्या के बाद लाश को बड़े ही प्लानिंग से ठिकाने लगाया उसकी एक गलती ने सारे किए कराए पर पानी फेर दिया।
Building में किराएदार और ज्योतिष का Office
किस्सा कुछ हूं है कि 40 साल का यूपेश चंद्राकर किसान था और खदान का भी काम करता था। जबकि उसकी बीवी ज्योति एक टीचर थी। यूपेश की एक बेटी भी है। उसकी पढ़ाई लिखाई की फिक्र की वजह से वो अपने पैतृक मकान को छोड़कर महासमुंद में आकर एक किराए के मकान में रहने लगा। पड़ोस में और भी किराए दार थे जिनमें एक मुकुंद त्रिपाठी नाम का भी किराएदार था जो ज्योतिषी का काम करता था। अपने काम को ढंग से करने की गरज से मुकुंद त्रिपाठी ने उसी बिल्डिंग में एक और हिस्सा किराए पर ले रखा था जिसमें उसका दफ्तर था।
पुलिस को पहली बार हुआ शक
इसी बीच बिल्डिंग में रहने वाले दूसरे किराएदारों को महसूस हुआ कि मुकुंद त्रिपाठी और युपेश के बीच अक्सर झगड़ा होता रहता था, छोटी छोटी बात पर दोनों उलझा करते थे। इसी बीच 8 दिसंबर 2023 को यूपेश अचानक लापता हो गया। यूपेश की पत्नी ज्योति ने अपने पति की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई। मगर यूपेश का कहीं कोई पता नहीं चला। पुलिस भी यूपेश का पता नहीं लगा सकी। करीब 6 महीने का वक्त गुजर गया। लेकिन न तो यूपेश का कहीं कोई पता चला न ही किसी ने उसकी सुध ली। बस ये बात पुलिस को अखर गई। आखिर एक बीवी कैसे अपने पति की गुमशुदगी को इस तरह नज़रअंदाज कर सकती है और छह महीने के दौरान एक बार फिर पुलिस से पूछने तक नहीं आई।
Mobile Detail ने खोल दी पोल
बस यहां से पुलिस का शक ज्योति पर टिक गया। तो उसने ज्योति की खुफियागीरी शुरू कर दी। पुलिस को पड़ोसी किराएदार मुकुंद त्रिपाठी पर पहले से ही शक था लेकिन कोई सुराग या सबूत नहीं था लिहाजा पुलिस ने उससे कभी कुछ नहीं पूछा। पुलिस ने जब ज्योति के मोबाइल की डिटेल खंगाली तो आंखें खुल गईं। क्योंकि ज्योति की अपने पड़ोसी ज्योतिषी मुकुंद त्रिपाठी से लगातार कई कई घंटों बात होती रहती थी। तब पुलिस ने न सिर्फ इन दोनों के बारे में सब खंगालना शुरू किया बल्कि उस लोहानी बिल्डिंग पर भी अपनी नज़र टिका दी।
ज्योतिषाचार्य के नक्षत्र खराब
एक रोज ज्योतिष मुकुंद त्रिपाठी के शनि की दृष्टि वक्र हुई और पुलिस ने उन्हें दबोच लिया। पहले तो ज्योतिष मुकुंद त्रिपाठी अपने ही जंतर मंतर से पुलिस को बरगलाने की कोशिश में लगे रहे। मगर जब पुलिस ने उन्हें कानून का मंत्र पढ़कर सुनाया तो बिलकुल रट्टू तोते की तरह मुकुंद त्रिपाठी ने पूरा किस्सा कह सुनाया। असल में मुकुंद त्रिपाठी और ज्योति आपस में बात करते थे और मुकुंद अक्सर यूपेश की गैरमौजूदगी में घर भी आता जाता था जिसको लेकर यूपेश ने अपनी पत्नी ज्योति से ऐतराज भी जाहिर किया था।
पहले झगड़ा फिर गुमशुदा
लेकिन न मुकुंद त्रिपाठी ने बात मानीं और न ही ज्योति ने यूपेश के ऐतराज पर गौर किया। मुकुंद त्रिपाठी और ज्योति के बीच पनपते इस रिश्ते की वजह से जब पानी सिर से ऊपर जाता दिखने लगा तो यूपेश ने मुकुंद त्रिपाठी से झगड़ा शुरू किया। 8 दिसंबर को मुकुंद ने यूपेश की हत्या कर दी। और उसकी लाश को ठिकाने लगाने का ऐसा जतन किया कि कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था।
दृश्यम Style में लाश दफ्न की
पहले तो वो प्लास्टिक के कई बैग लाया और यूपेश की लाश को उसी प्लास्टिक के बैग में यूपेश चंद्राकर की लाश को इस तरह पैक किया ताकि बदबू बाहर न फैले। इसके बाद लाश को लपेटकर उसने उसे अपने दफ्तर के एक हिस्से में रख दिया। इसके बाद मुकुंद त्रिपाठी ने अपने किराए के मकान के किचन और बाथरूम के बीच की खाली जगह पर चार से पांच फुट का गड्ढा खोदा और लाश को उसमें दफ्न कर दिया। लाश ठीक से गलकर खत्म हो जाए इसलिए उसने ऊपर से ढेर सारा नमक डाल दिया। और उस गड्ढे को भरकर सीमेंट करके फिर से फर्श बना दिया।
पुलिस खंगाल रही हर एंगल
इस खुलासे के बाद पुलिस मौके पर पहुँची और उस जगह को खुदवाया जहां से यूपेश तो नहीं अलबत्ता एक कंकाल जरूर मिला। लाश लगभग 40 फीसदी डिकम्पोज हो चुकी थी। पुलिस ने मृतक के भाई मनीष चंद्राकर को बुलाकर मृतक की पहचान की। फिलहाल शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया गया है। पुलिस ने कहा कि, पोस्टमार्टम के बाद ही यूपेश की मौत की वजह का खुलासा हो सकेगा। प्रेम-प्रसंग के एंगल से भी इस मामले की जांच की जा रही है। यही वजह है कि पुलिस इस मामले में आरोपी और मृतक की पत्नी से पूछताछ कर रही है। किसी की हत्या कर इस तरह लाश को दफन करना एक व्यक्ति का काम नहीं हो सकता इसमें और भी लोग शामिल हो सकते हैं। इसलिए पुलिस हर एंगल से मामले की जांच कर रही है।
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