Hindenburg Report Update: हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा 10 फरवरी से सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट

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09 Feb 2023 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:36 PM)

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अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट की वजह से मचे हंगामे के बाद अब एक याचिका देश की सबसे बड़ी अदालत में दाखिल हुई है, जिसमें इल्ज़ाम लगाया गया है कि उस विदेशी कंपनी ने देश की आर्थिक विकास की कहानी को तबाह और बर्बाद करने के लिए एक ऐसी साज़िश रची जिससे मुल्क के अमन और चैन को नुकसान पहुँचा है। जाहिर है कि ये इल्जाम बेहद संगीन है ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर इस मामले में सुनवाई शुक्रवार को होनी तय हो गईहै। 

सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में इस बात की भी मांग की है कि देश की शीर्ष अदालत के किसी सेवानिवृत न्यायाधीश की निगरानी में इस रिपोर्ट की जांच कराई जाए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। याचिका में गुहार लगाई गई है कि देश की सबसे बड़ी अदालत इसके लिए केंद्र सरकार को एक समिति गठित करने का भी निर्देश दे सकती है। 

हिंडनबर्ग रिसर्च के मुखिया नाथन एंडरसन और अडानी ग्रुप के प्रमुख गौतम अडानी

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की आड़ में देश के साथ साजिश करने की जो याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है उस पर अब देश की सबसे बड़ी अदालत ने सुनवाई करने का फैसला भी कर लिया है। वकील एमएल शर्मा और विशाल तिवारी की तरफ से दाखिल की गई इस जनहित याचिका को तुरंत सूचीबद्ध कर दिया गया है। 

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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने जनहित याचिका पर सहमति जताते हुए इसके साथ दूसरी याचिकाओं को भी जोड़ने का निर्देश दे दिया है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट में मांग की गई है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में जिस तरह से अडानी ग्रुप पर जो अनियमतिता के आरोपों की जांच करने के लिए किसी रिटायर्ड जज की निगरानी में कराए जाने की भी बात की गई है। 

दरअसल हिंडनबर्ग रिसर्च की तरफ से एक रिपोर्ट 24 जनवरी को जारी की गई थी जिसमें अडानी समूह पर फर्जी लेन देन के साथसाथ शेयरों की कीमतों में हेर फेर करने और उन्हें वास्तविक मूल्य से कहीं ज्यादा मुल्य के लिए जोड़तोड़ करने के संगीन इल्ज़ाम लगाए गए हैं। इस रिपोर्ट आने के बाद से ही शेयर बाजार में तेज गिरावट देखी गई जिसकी वजह से निवेशकों का सात दिनों के भीतर करीब 11 लाख करोड़ रुपया डूब गया। और इस रिपोर्ट का असर ये हुआ कि फोर्ब्स की सूची में तीसरे नंबर के दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची से गौतम अडानी देखते ही देखते टॉप 20 की सूची से भी बाहर हो गए थे। 

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