राहुल गांधी को ट्रायल कोर्ट ने अधिकतम सजा दे दी लेकिन वजह नहीं बताई: Supreme Court

Stays Rahul Gandhi's conviction: सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाते हुए ट्रायल कोर्ट पर सख्त टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी को अधिकतम सजा तो दे दी लेकिन वजह नहीं बताई

सांकेतिक तस्वीर

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04 Aug 2023 (अपडेटेड: Aug 4 2023 3:15 PM)

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Rahul Gandhi's conviction: देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने एक रुके हुए फैसले पर आखिरकार अपना फैसला सुना ही दिया और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को एक सुप्रीम राहत प्रदान की। साथ ही साथ सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर राहुल गांधी को देश की सबसे बड़ी पंचायत यानी संसद में जाने का रास्ता साफ कर दिया। 

राहुल गांधी को मिली सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत

गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर रोक

मोदी सरनेम वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है और राहुल गांधी को मानहानि केस में मिली सजा पर अब रोक लगाकर उनकी संसद सदस्यता को बहाल करने का रास्ता खोल दिया है। 

हिदायतों के साथ सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट में जज ने राहुल गांधी को बड़ी राहत देने वाला फैसला सुनाते हुए कुछ हिदायतें भी दी हैं। जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में सुनवाईकी थी। राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में दलील देते हुए कहा था कि खुद शिकायतकर्ता यानी बीजेपी के एमएलए पूर्णेश मोदी का मूल सरनेम ही मोदी नहीं है। उनका असली उपनाम भुताला है। ऐसे में ये मामला बन कैसे गया। सिंघवी ने कोर्ट को ये भी बताया कि राहुल ने जिन लोगों का नाम लिया उन्होंने केस नहीं किया। उन्होंने कहा कि यह लोग कहते हैं कि मोदी नाम वाले 13 करोड़ लोग हैं लेकिन ध्यान से देखा जाए तो समस्या सिर्फ बीजेपी से जुड़े लोगों को ही हो रही है। 

जनप्रतिनिधि का उठा सवाल

अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में राहुल का पक्ष रखते हुए कहा कि इस मामले में मानहानि केस की अधिकतम सजा दे दी गई। इसका नतीजा ये हो गया कि राहुल गांधी अगले 8 सालों तक जनप्रतिनिधि नहीं बन सकते। अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि गुजरात हाईकोर्ट ने करीब 66 दिनों तक आदेश सुरक्षित रखा। जिसका नतीजा ये हुआ कि राहुल लोकसभा के दो सत्रों में शामिल नहीं हो सके। 

सजा तो दे दी वजह विस्तार से नहीं बताई

मुकदमे की सुनवाई करते हुए जस्टिस गवई ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ट्रायल जज ने इस मामले में अधिकतम सजा तो दे दी लेकिन इसका कारण विस्तार से नहीं बताया। जस्टिस गवई ने ये भी कहा कि ऐसी सजा का असर ये होता है कि इससे सिर्फ एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि पूरा निर्वाचन क्षेत्र का अधिकार पर असर होता है। 

ट्रायल जज की टिप्पणी थी

सुप्रीम कोर्ट में इस बात पर भी बहस हुई कि ट्रायल जज ने अपने फैसले में जो राहुल गांधी के लिए टिप्पणी की थी। ट्रायल कोर्ट के जज ने लिखा था कि सांसद होने के आधार पर आरोपी को कोई विशेष रियायत नहीं दी जा सकती। इसके अलावा ट्रायल कोर्ट की तरफ से दिए गए फैसले में कई नसीहतें भी दी गईं थीं। 

सुप्रीम कोर्ट ने माना सजा कम हो सकती थी

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस गवई की पीठ ने फैसला लिखवाते हुए टिप्पणी की, सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राहुल की अपील चूंकि सेशंस कोर्ट में अभी लंबित है लिहाजा उस केस पर किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं करेंगे। लेकिन जहां तक दोष सिद्धि पर रोक लगाने की बात है तो ट्रायल कोर्ट ने राहुल गांधी को मानहानि के मामले में अधिकतम सजा दी है लेकिन इसका कोई विशेष कारण नहीं दिया गया है। दो साल की सजा की वजह से जनप्रतिनिधि कानून के दायरे में ये मामला आ गया। लेकिन अगर उनकी सजा कुछ कम हो सकती तो उनकी संसद सदस्यता नहीं जाती। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं कि राहुल गांधी का बयान अच्छा नहीं था लेकिन सार्वजनिक जीवन में बयान देते समय संयम बरतना जरूरी हो जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के इस फैसले से राहुल के अलावा उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों का अधिकार भी प्रभावित हुआ। इसलिए हम सेशंस कोर्ट में अपील लंबित रहने तक राहुल की दोष सिद्धि पर रोक लगा रहे हैं।  राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से मिली ये राहत असल में फौरी राहत कही जा सकती है। लेकिन अगर सेशंस कोर्ट फिर से दो साल की सजा सुनाता है तो ये अयोग्यता फिर से लागू हो जाएगी। लेकिन अगर राहुल गांधी को कोर्ट से बरी कर दिया जाता है या सजा दो सालसे घटा दी जाती है तो सदस्यता बहाल रहेगी। 

सत्यमेय जयते- जय हिंद

ये बात गौर तलब है कि सूरत की निचली अदालत के फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी कर दी थी। जिससे वायनाड की सीट खाली हो गई। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय एक बार फिर अधिसूचना जारी करेगा और पुरानी अधिसूचना को वापस लेने का आदेश जारी करेगा। हालांकि ये कब तक होगा इस पर फिलहाल कुछ भी नहीं कहा जा सकता। हालांकि राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से मिली इस राहत के बाद कांग्रेस की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि नफरत के खिलाफ ये मोहब्बत की जीत है, सत्यमेय जयते- जय हिंद। 

13 अप्रैल 2019 में कही थी ये बात

ये बात गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और गुजरात के पूर्व मंत्री और विधायक पूर्णेश मोदी ने 2019 में लोकसभा चुनावों के दौरान राहुल गांधी की टिप्पणी को लेकर मानहानि का आपराधिक मामला दायर किया था, कोलार की अपनी चुनावी रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि, ‘‘सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों है?’’ ये बात राहुल गांधी ने 13 अप्रैल, 2019 को कही थी। 

राहुल गांधी का हलफनामा

राहुल गांधी ने अपने हलफनामे में कहा था, ‘‘याचिकाकर्ता को बिना किसी गलती के माफी मांगने के लिए मजबूर करने के लिए आपराधिक प्रक्रिया और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत प्रभावों का उपयोग करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है और न्यायालय इस पर विचार कर सकती है और फरियाद यही है कि इसे स्वीकार न किया जाए।’’

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