सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फ़ैसला, पहले अपराध पर भी गैंगस्टर एक्ट लगाया जा सकता है, ये है वजह

यूपी गैंगस्टर एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पहला अपराध माफी की शर्त नहीं, up गैंगस्टर एक्ट के लिए एक अपराध भी काफी है, बदायूं हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला Supreme Court News

CrimeTak

27 Apr 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:17 PM)

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Latest Court News: देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल को एक बड़ा फैसला सुनाया। 2016 में बदायूं में हुए हत्याकांड के आरोपी महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट में महिला ने याचिका दाखिल करके दावा किया था कि उसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है। वह पहली बार एक आपराधिक मामले में आरोपी बनाई गई थी। लिहाजा उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट नहीं लगना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में साफ किया है कि किसी एक मामले के तहत कार्रवाई का एकमात्र आधार किसी गैंग का सदस्य होना ज़रूरी नहीं है। इसके अलावा एक के बाद एक कई अपराध का रिकॉर्ड होने के बावजूद कार्रवाई की भी आवश्यकता नहीं है। यानी किसी गैंग का सदस्य ना होने पर भी किसी पर एक अपराध का ही आरोप हो तो भी उसके खिलाफ़ गैंगस्टर कानून के तहत कार्रवाई हो सकती है।

एक अपराध भी गैंगस्टर एक्ट लगाने के लिए काफी

Latest News Gangster Act: सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने इस महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर अपनी मंजूरी की मुहर लगा दी।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि गैंग का किया गया अपराध भी गैंग के सदस्य पर गैंगस्टर एक्ट लागू करने के लिए काफी है। उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत पहली बार अपराध करने पर भी इसका इस्तेमाल अपराधी के खिलाफ किया जा सकता है।

राज्य सरकार ने दलील दी थी कि गिरोह का हिस्सा बनने के बाद या पहली बार अपराध करने पर भी इस ऐक्ट के तहत आरोपों का सामना करना पड़ सकता है। किसी गैंग का सदस्य जो अकेले या सामूहिक रूप से अपराध करता है, उसको गैंग का सदस्य कहा जा सकता है और गैंग की परिभाषा के भीतर आता है। शर्त यह है कि उसने गैंगस्टर अधिनियम की धारा 2 बी में बताए गए कोई भी अपराध किया हो।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया

Court News in Hindi: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम ( MCOCA) और गुजरात आतंकवाद नियंत्रण और संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम की तरह यूपी गैंगस्टर ऐक्ट के तहत ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं है। इस प्रावधान की यहां गुंजाइश नहीं है जिसमें कहा गया हो कि गैगस्टर ऐक्ट के तहत मुकदमा चलाने के लिए आरोपी के खिलाफ एक से अधिक अपराध या FIR या फिर चार्जशीट दर्ज हों।

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के गैंगस्टर अधिनियम, 1986 की धारा 2/3 के तहत सुनाए गए फैसले को सही ठहरा कर याचिका खारिज कर दी। याचिका ख़ारिज़ करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में मुख्य आरोपी पी सी शर्मा, एक गिरोह का नेता और मास्टरमाइंड था, और उसने अन्य सह-आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश रची। उस साज़िश में याचिकाकर्ता भी शामिल था।

सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि एक भी FIR या चार्जशीट पर भी गैंगस्टर अधिनियम की धारा 2 (बी) में सूचीबद्ध असामाजिक गतिविधियों के लिए गैंगस्टर अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।

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