Jaipur Gogamedi Murder: क्या सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या AK 47 से होने वाली थी? क्या सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या की साजिश जयपुर से 500 किमी दूर जेल की सलाखों के पीछे रची गई थी? क्या इस कत्ल की स्क्रिप्ट छह साल पहले ही लिखनी शुरू हो गई थी? इस हत्याकांड में क्या गैंग्स्टर कोई डबल गेम खेल रहा है? क्या ये पहले से ही तय था कि सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या के बाद नवीन शेखावत को भी मौत के घाट उतारने का प्लान था? क्या शेखावत को मारने का हुक्म गैंग्स्टर की तरफ से आया था? या शूटर ने अपनी किसी निजी रंजिश की वजह से शेखावत को गोली मार दी?
गोगामेड़ी की हत्या AK 47 से होने वाली थी? पुलिस की क्रॉस फायरिंग की थ्योरी पर उठे सवाल
gogamedi murder case: क्या सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या AK 47 से होने वाली थी? या पुलिस की डबल क्रॉस की थ्योरी पर भी उंगलियां उठ रही है
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करणी सेना के सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या के बाद सामने आए सीसीटीवी से उठे कई सवाल
07 Dec 2023 (अपडेटेड: Dec 7 2023 4:45 PM)
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सवालों को पैदा करती हत्या की तस्वीरें
ये सवाल इसलिए सामने आए हैं क्योंकि सीसीटीवी की तस्वीरों, राजस्थान पुलिस के आला अफसरों की बातों, राजस्थान पुलिस को पहले से ही मिले पंजाब पुलिस के इनपुट और गैंग्स्टर के हत्या कराने के दावे को अगर एक साथ मिलाकर देखा जाए तो एक नई और अलग कहानी सामने खड़ी दिखाई देती है।
हत्या AK47 होनी थी?AK47
सबसे पहले पंजाब पुलिस के उस इनपुट पर नज़र दौड़ाते हैं। सूत्रों की मानें पंजाब पुलिस ने 14 मार्च 2023 को राजस्थान पुलिस को पत्र लिखा था। और उस चिट्ठी में कहा गया था,"बठिंडा जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ा गैंगस्टर संपत नेहरा अपने गुर्गों के जरिए सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को मारने की प्लानिंग कर रहा है। और बाद में इसी इनपुट के मद्देनजर सुखदेव सिंह ने राजस्थान सरकार से अपने लिए सुरक्षा मुहैया करने की गुहार लगाई थी। लेकिन इस मामले में एक और पहलू गौर करने वाला है कि हत्या की ये वारदात पहले AK-47 से कराने का इरादा था। ऐसा इसलिए क्योंकि इस हत्या के जरिए गैंग्स्टर यानी लॉरेंस और उसकी गैंग राजस्थान में अपनी धमाकेदार एंट्री करके दहशत फैलाना चाहते थे। शायद इसीलिए कत्ल की इस वारदात के लिए नितिन फौजी को काम पर लगाया गया था। चूंकि नितिन पहले से ही सेना में है ऐसे में AK47 को संभालने और उसे चलाने में ऐन वक़्त में किसी शूटर को कोई दिक्कत न आए।
हत्या की स्क्रिप्ट 6 साल पहले लिखनी शुरू हुई?
अब बात आती है कि क्या इस हत्या की साजिश की स्क्रिप्ट छह साल पहले ही लिखनी शुरू हो गई थी। तो आखिर वो कौन सी बात थी कि सुखदेव सिंह गोगामेड़ी गैंग्स्टर को निशाने पर खासतौर पर लॉरेंस के टारगेट में आ गया था। अगर छह साल पुराने मामलों पर नज़र दौड़ाएं तो सुखदेव सिंह और आनंदपाल सिंह काफी अच्छे और गहरे दोस्त भी थे। जबकि आनंदपाल सिंह गैंग और लॉरेंस बिश्नोई गैंग के बीच 36 का आकंड़ा था। साल 2017 में जब आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर हुआ था । उस वक़्त राजपूत समाज ने इस बात का विरोध करते हुए आनंदपाल सिंह की लाश को साथ कई दिनों तक धरना प्रदर्शन भी किया था। इस बात को लेकर भी लॉरेंस बिश्नोई ने सुखदेव सिंह को निशाने पर लिया था मगर उस वक़्त सुखदेव सिंह बड़ा नाम नहीं था लिहाजा लॉरेंस ने उस वक्त ये मामला टाल दिया था।
धंधे ने बनाया दुश्मन
तमाम दुश्मनियों के बीच सुखदेव सिंह की अपनी सियासत तो चल ही रही थी जबकि प्रॉपर्टी का धंधा भी ठीक ठाक ढंग से चलने लगा था। लेकिन प्रॉपर्टी के इसी कारोबार ने एक बार फिर सुखदेव सिंह और लॉरेंस गैंग को आमने सामने ला खड़ा किया। ऐसे में एक नज़रिये से कहा जा सकता है कि 6 साल पहले आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर के बाद ही सुखदेव सिंह एक तरह से लॉरेंस की नज़रों में किरकिरी बन ही गया था और प्रॉपर्टी का धंधा उनके बीच दुश्मनी की एक बड़ी वजह बन गया।
गैंग्स्टर का डबल क्रॉस
लेकिन असली खेल तो हत्या के दौरान देखने को मिला। क्योंकि 5 दिसंबर को सुखदेव सिंह की हत्या करने आए शूटरों ने उस शख्स को भी गोली मार दी जो शख्स दो शूटरों रोहित राठौर और नितिन फौजी को अपने साथ लेकर सुखदेव सिंह के घर पहुँचा था। असल में ये डबल गेम वाली बात इसलिए निकलकर सामने आ रही है क्योंकि सीसीटीवी में जो हत्या की वारदात कैद हुई, और हत्या की इस वारदात के बाद जब रोहित गोदारा का फेसबुक पोस्ट सामने आया उसमें उसने नवीन शेखावत के लिए शहीद शब्द का इस्तेमाल किया। और अगर पोस्ट की बाकी बातों पर यकीन किया जाए तो हत्या करने के लिए खुद रोहित गोदारा ने जिम्मेदारी ली, यानी उसके ही शूटरों ने सुखदेव को गोली मारी। लेकिन साथ में नवीन शेखावत को भी गोली मार दी। तो क्या ये रोहित गोदारा का ही शूटर फौजी को इंस्ट्रक्शन था कि किसी को भी वहां जिंदा मत छोड़ना, और शेखावत को भी गोली से उड़ा देना ताकि कोई एविडेंस ही न बचे। क्योंकि कत्ल के केस में जब छानबीन होती तो शेखावत के पकड़े जाने का खतरा रहता और पकड़े जाने की सूरत में सारा लिंक सामने आ जाता।
तो फिर हत्या की जिम्मेदारी क्यों?
लेकिन ये बात यहीं आकर रुक भी जाती है क्योंकि जब कोई गैंग्स्टर खुलेआम सामने आकर हत्या की जिम्मेदारी उठा रहा है तो उसे इस बात का डर क्यों होगा कि हत्या में उसका नाम खुल जाए। तब यहां से एक बात और निकलती है कि क्या उसे शूटर ने अपनी किसी निजी खुन्नस की वजह से मौत के घाट उतार दिया। क्योंकि सीसीटीवी की तस्वीरों से साफ हो जाता है कि शूटर ने अपनी पिस्तौल से पहली गोली तो सुखदेव सिंह को ही मारी लेकिन दूसरी गोली उसने अगले ही सेकंड नवीन शेखावत को मारी थी। उसके बाद उसने एक के बाद एक कई गोली नवीन शेखावत को मारी थी जबकि दूसरे शूटर ने एक भी गोली नवीन शेखावत की तरफ नहीं चलाई।
क्रॉस फायरिंग की थ्योरी
आखिर इसका पूरा सच क्या है ये तो शूटर के पुलिस के हाथों पकड़े जाने और फिर कबूलने पर ही सामने आ सकेगा। लेकिन एक बात राजस्थान पुलिस के आला अफसरों की गले नहीं उतर रही। क्योंकि उन्होंने नवीन शेखावत के मारे जाने को लेकर जो बात कही थी। पुलिस का कहना था कि नवीन शेखावत क्रॉस फायरिंग में मारा गया। आमतौर पर क्रॉस फायरिंग का मतलब होता है कि दो तरफ से गोलियां चल रही हों और ग़लती से गोली उस शख्स को लग जाए, जिसको मारना ही नहीं था… पुलिस तो पुलिस गैंगस्टर रोहित गोदारा जो सुखदेव सिंह की क़त्ल की जिम्मेदारी डंके की चोट पर ले रहा है, वो भी बयान जारी कर कह रहा है कि नवीन शेखावत की कुर्बानी का क़र्ज़ वो सात जन्मों तक नहीं उतार सकता... तो फिर सच क्या है। क्यों पुलिस को ये बात कहनी पड़ी कि नवीन शेखावत क्रॉस फायरिंग में मारा गया। जबकि इस हत्याकांड में कहीं से भी क्रॉसफायरिंग हुई ही नहीं। तो क्या ये क्रॉस फायरिंग वाली बात पुलिस ने गफलत में कही या फिर इसके पीछे का सच कुछ और है
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