Russian Ukraine War: ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है कि पिछले दो विश्वयुद्ध के भड़कने की जो वजह सामने आईं थी वो इसी तरह की थीं, जिन्हें एक अकेली घटना मानकर उसको समझा और समझाया जा सकता था। लेकिन बात जब इगो की आ जाती है और चोट गुरूर पर होती है तो फिर कोई भी एक मामूली बात बढ़कर बतंगड़ बन जाती है। इसलिए इस वक़्त पूरी दुनिया इस बात को लेकर आशंकित हो रही है कि कहीं इस युद्धपोत को गंवाने के बाद रूस उत्पाती न हो जाए।
रूसी 'महाबली' मोस्कवा का डूबना ही कहीं वर्ल्ड वॉर III का ट्रिगर न बन जाए, दुनिया के डर की ये है वजह
दुनिया की डर की सबसे बड़ी वजह बन गया है मोस्कवा का डूबना, रूसी राष्ट्रपति की बौखलाहट से फैला डर, ट्रिगर प्वाइंट बना रूसी युद्धपोत Russian Ukraine War: possible reason behind Third World War happens
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16 Apr 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:17 PM)
असल अपना युद्धपोत खो कर रूस बौखलाया हुआ है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन तमतमाएं हुए हैं, कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है? कैसे काला सागर के शहंशाह मोस्कवा को इस तरह से तबाह किया जा सकता है। रूस इस बात को पचा नहीं पा रहा है कि यूक्रेन ने नेप्च्यून मिसाइल दाग कर उसके विशाल और शक्तिशाली युद्धपोत को चुटकी में डुबो दिया।
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Russian Ukraine War: मोस्कवा युद्धपोत का डूबना एक तरह से रूसी राष्ट्रपति की इस जंग को लेकर लगाई गई तमाम गणित अचानक फेल हो गई। उस पर तुर्रा ये कि अमेरिका उसे लगातार बातों की सुई चुभोकर मामले को भड़काने की फिराक में लगा हुआ है। रूसी जंगी जहाज़ के डूबने के बाद अमेरिका ने इसे रूस का सबसे बड़ा नुकसान बता कर पुतिन के पारा को और चढ़ा दिया है।
रूसी जंगी जहाज़ मोस्कवा का नाम रूस की राजधानी मॉस्को के नाम पर रखा गया था। ऐसे में मोस्कवा की तबाही के मायने बड़े हैं। इसे रूस की हार के तौर पर भी देखा जा रहा है। और ये हार शब्द किसी भी सूरत में पुतिन को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं है।
Russian Ukraine War: ऐसे में इस बौखलाहट के आलम में व्लादिमीर पुतिन अगला क़दम क्या उठाएंगे, इसको सोच सोचकर दुनिया दुबली हुई जा रही है। युद्धपोत गंवाने के बाद पुतिन ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर हमले भी तेज कर दिए। और इस 52 दिन के युद्ध में पहली बार रूस ने लंबी दूरी की मिसाइल का इस्तेमाल किया गया।
ये मिसाइल पोर्ट सिटी मारियूपोल पर दागी गई। लेकिन एक बड़ा डर अब भी बरक़रार है कि कहीं बदला लेने के लिए रूस एटमी हथियार न चला दे। अगर ऐसा कही हुआ तो दुनिया का तो पता नहीं लेकिन यूरोप बर्बाद हो जाएगा। और यही विश्व युद्ध का शंखनाद होगा।
Russian Ukraine War: रूस और यूक्रेन की इस लड़ाई में अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA पलीते में आग लगाने जैसा काम कर रही है। और उसकी एक एक हरक़त रूस की बौखलाहट को बढ़ा रही है। CIA ने रूस की इस हताशा को एटमी जंग से जोड़ कर देखना शुरू भी कर दिया है।
CIA के चीफ़ विलियम्स जे बर्न्स ने तो यहां तक कह दिया कि रूस किसी भी वक़्त एटमी जंग छेड़ सकता है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को भी यही डर सता रहा है। दावा किया जा रहा है कि एटमी युद्ध को लेकर रूसी जनरलों में सारी चर्चा हो चुकी है, प्लान बन चुका है अब बस ट्रिगर दबाने की देर है दुनिया इसके लिए तैयार रहे ।
Russian Ukraine War: हालांकि काफी हद तक ये कहा जा सकता है कि अमेरिका और यूक्रेन का डर यूं ही फिज़ूल नहीं है। पुतिन की बौखलाहट और गुस्सा तो सबके सामने आ रहा है। तभी तो उसने अपने कुछ जनरलों को गिरफ्तार तक करवा दिया। भरी सभा में रूसी रक्षी मंत्री को व्लादिमीर पुतिन न जाने कितनी बार फटकार लगा चुके हैं।
अब तो पुतिन ने यूक्रेन का ऑपरेशन भी अपने खासमखास और विश्वासपात्र जनरल अलेक्जेंडर को सौंपी गई है जिसके बारे में यही मशहूर है कि वो जीत पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। समय का चक्र फिर से घूम रहा है । एक बार फिर विश्व युद्ध का खूनी इतिहास दोहराता दिख रहा है ।
Russian Ukraine War: मुमकिन है कि इसकी शुरूआत यूक्रेन-रूस की जंग.से हो। लेकिन ऐसा नहीं है कि अकेली ये आग रूस और यूक्रेन की ज़मीन पर लगी हुई है, बल्कि दुनिया में कई ऐसे मोर्चे हैं जहां ये आशंका पर फैलाए बैठी नज़र आ रही है कि कहीं वही मोर्चा विश्व युद्ध का असली कारण न बन जाए।
इसलिए कहा जा रहा है कि जंग की चिंगारी कई मोर्चों पर सुलग रही हैं। रूस का फिनलैंड और स्वीडन से बढ़ता तनाव आग में घी का काम कर सकता है। फिनलैंड और स्वीडन नाटो में शामिल होने का दम भर रहे हैं तो रूस परमाणु हथियार की धमकी दे रहा है। हालात इतने ख़राब हो चुके है कि नाटो की सेनाएं पांच युद्धपोतों के साथ बाल्टिक सागर में मंडरा रही हैं, और युद्धाभ्यास कर रही हैं।
Russian Ukraine War: उधर रूस का हिमायती बना घूम रहा चीन अपने पड़ोसी ताइवान के साथ दो दो हाथ करने का बस मौका ही तलाश रहा है। कब मौका मिले और कब वो दोनों टकरा जाएं। ये भी विश्व युद्ध के लिए एक मोर्चा बन सकता है। ताइवान पर कब्जा करने के लिए शी जिनपिंग पूरी तरह से आमादा है। हाल में चीन कई बार ताइवान की हवाई सीमाओं का उल्लंघन कर चुका है ।
यानी मंच पूरी तरह से तैयार है बस ट्रिगर के दबने का इंतजार है। कहना लाजमी है कि रूस की ये बौखलाहट ही कहीं तीसरे विश्वयुद्ध का ट्रिगर न बन जाए।
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