पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या करने वाली नलिनी श्रीहरन को मिली एक महीने की पैरोल !

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या करने वाली नलिनी श्रीहरन को मिली एक महीने की पैरोल, नलिनी की मां की तबीयत खराब होना थी वजह, Do read more crime news (क्राइम न्यूज़), क्राइम स्टोरीज on CrimeTak.in

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24 Dec 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:11 PM)

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RAJIV GANDHI KILLER GETS PAROLE : पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या करने वाली नलिनी श्रीहरन को राज्य सरकार ने एक महीने की पैरोल दी है। तमिलनाडु सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय को बताया कि नलिनी की मां की तबीयत खराब है, नलिनी द्वारा किए गए अनुरोध पर सरकार ने यह फैसला लिया है।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या करने वाली नलिनी श्रीहरन को राज्य सरकार ने एक महीने की पैरोल दी है। तमिलनाडु सरकार ने गुरुवार को मद्रास उच्च न्यायालय को यह जानकारी दी। दरअसल, नलिनी की मां पिछले काफी दिनों से बीमार हैं, वहीं नलिनी की ओर से अपनी मां से मिलने और उनका ख्याल रखने के लिए सरकार से पैरोल देने का अनुरोध किया गया था, जिसे सरकार ने काफी मंथन के बाद स्वीकार कर लिया है।

दो दशकों से जेल में बंद है नलिनी

राजीव गांधी की हत्या के लिए नलिनी दो दशकों से अधिक समय से आजीवन कारावास की सजा काट रही है। वहीं तमिलनाडु सरकार ने फरवरी 2020 में मद्रास उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि राज्य ने राज्यपाल को राजीव गांधी हत्याकांड के सभी सात दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की थी। हालांकि कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया।

नलिनी ने दी थी अपनी जान लेने की धमकी

जानकारी के मुताबिक नलिनी ने साल 2020 में जेल में अपने एक सह-कैदी के साथ कथित रूप से खुद को मारने की धमकी दी थी। बताया गया कि नलिनी और एक अन्य दोषी को वेल्लोर में महिलाओं के स्पेशल सेल में रखा गया है। गौरतलब है कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को चेन्नई के पास श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान एलटीटीई के आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी।

इस मामले में नलिनी के अलावा मामले में उसके पति मुरुगन, सुथिनथिरा राजा उर्फ संथान, एजी पेरारीवलन, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन दोषी हैं। वहीं इन दोषियों में से चार यानि श्रीहरन, संथान, रॉबर्ट पायस और जयकुमार श्रीलंका के नागरिक हैं। सभी दोषियों को टाडा अदालत ने राजीव गांधी की हत्या मामले में मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि बाद में मौत की सजा को आजीवन कारावास बना दिया गया।

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