मोदी ने जब ये कहा तो चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने जोड़ लिए प्रधानमंत्री के हाथ, लाल किले की प्राचीर पर हुआ ये सब

Prime minister Modi and cji chandrachud fold hand : सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने उस वक़्त प्रधानमंत्री मोदी के हाथ जोड़ लिए जब लाल किले की प्राचीर से उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की तारीफ की।

लाल किले की प्राचीर पर प्रधानमंत्री मोदी

लाल किले की प्राचीर पर प्रधानमंत्री मोदी

15 Aug 2023 (अपडेटेड: Aug 15 2023 1:05 PM)

follow google news

Prime minister Modl: लालकिले की प्राचीर से देश को संबोधित करते समय जब PM मोदी ने सुप्रीम कोर्ट की तारीफ की तो जवाब में वहीं मौजूद CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने भी हाथ जोड़ कर किया स्वीकार।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने लाल किले की प्राचीर पर प्रधानमंत्री के जोड़े कुछ इस अंदाज में हाथ

सुप्रीम कोर्ट की तारीफ

देश के 77 वें स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट की भी तारीफ की। प्रधान मंत्री मोदी ने क्षेत्रीय भाषाओं में अदालती फैसलों को उपलब्ध कराने की मुहिम का मुद्दा उठाया तो समारोह में मौजूद CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने भी इस तारीफ पर हाथ जोड़कर सबका अभिवादन किया। मीडिया के कैमरों में ये ऐतिहासिक पल कैद भी हो गया। 

प्रधानमंत्री ने किया सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद

पीएम मोदी ने कहा कि बच्चे मातृभाषा में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पढ़ सकें इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का भी धन्यवाद करते हैं। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब फैसले का ऑपरेटिव पार्ट उसी भाषा में होगा जो उसकी भाषा है। लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के उद्बोधन में सुप्रीम कोर्ट की तारीफ की चर्चा हर ओर है।

चीफ जस्टिस की तारीफ 

भारतीय गणतंत्र की 73 वीं वर्षगांठ पर एक हजार से ज्यादा फैसलों का अनुवाद अपलोड किए जाने से हुई नई शुरुआत अब काफी आगे बढ़ चुकी है। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुआई और देखरेख में ये काम तेज रफ्तार से हो रहा है। इसी साल जनवरी में गणतंत्र दिवस और अपने स्थापना दिवस को और यादगार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 26 जनवरी को एक हजार से ज्यादा फैसलों का दस भाषाओं में अनुवाद जारी कर नई पहल की थी। अब ये मुहिम दस हजार का आंकड़ा पार कर चुकी है।  हिंदी के अलावा अब तो ओड़िया, गुजराती, तमिल,  असमी, खासी, गारो, पंजाबी, नेपाली और बांग्ला में भी un राज्यों से जुड़े मुकदमों के फैसलों का अनुवाद किया जा रहा है। जल्दी ही इसका दायरा अन्य और कई भारतीय भाषाओं तक बढ़ाया जाएगा।  

सबसे ऊंची अदालत की चौखट

अब आम आदमी के लिए सबसे ऊंची अदालत की चौखट तक पहुंचकर इंसाफ मांगना आसान होगा। इस पहल के जरिए देश की न्यायपालिका भी सीधे सरलता से आमलोगों तक पहुंच पाएगी। अब लोग अपनी ही मातृभाषा और उसकी लिपि में अपने मुकदमे के फैसले पढ़कर कानूनी प्रक्रिया में शामिल भी हो सकेंगे। नई मुहिम के तहत सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर हिंदी सहित क्षेत्रीय भाषाओं में फैसलों की तादाद हर दिन बढ़ती जा रही है। गणतंत्र दिवस से शुरू हुई ये पहल स्वतंत्रता दिवस तक काफी चटक रंग लाने लगी है।  सुप्रीम कोर्ट e कोर्ट्स कमेटी के मुताबिक अनुवाद के लिए अत्यधुनिक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया है। फैसलों का सटीक अनुवाद करने के लिए न्यायिक अफसरों की मदद भी ली जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अभय एस ओक इस पूरी व्यवस्था की निगरानी कर रहे हैं।
स्वतंत्रता दिवस समारोह से पहले भी सुप्रीम कोर्ट के इस कदम की खुद पीएम मोदी ने भी तारीफ की है। वहीं कानूनी पेशे से जुड़े लोग  भी मानते हैं कि इससे आम लोगों लोगों के साथ- साथ कानून के छात्र, शोधकर्ता, लेखक, शिक्षक आदि दूसरे कई तबके के लोगों को भी फायदा होगा। क्योंकि विधि संस्थानों के ग्रंथागार में सभी संबंधित भाषाओं में फैसलों को ऑनलाइन भी डाउन लोड किया जा सकेगा।

    यह भी पढ़ें...
    follow google newsfollow whatsapp