Delhi Police: चुनाव अधिकारी बन पुलिस ऐसे पहुँची सजायाफ्ता कातिल तक, पेरोल तोड़ कर भागा था

Murder Convict nabed by Police: तीन साल से फरार सजायाफ्ता कातिल को पकड़ने के लिए पुलिस ने जो चाल चली तो लाखों की भीड़ में छुपा कातिल खुद ब खुद पुलिस के सामने आ गया।

सांकेतिक तस्वीर

सांकेतिक तस्वीर

12 Apr 2024 (अपडेटेड: Apr 12 2024 12:50 PM)

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Delhi Police Nab Murder Convict: किसी भी बदमाश या अपराधी को पकड़ने के लिए पुलिस भी कैसे कैसे स्वांग रचती है, इसका जीता जागता सबूत है एक ताजा वाकये से जिसमें दिल्ली पुलिस ने मुंबई की एक घनी झोपड़पट्टी से सजायाफ्ता कातिल को न सिर्फ ढूंढा बल्कि उसे हथकड़ी लगाकर वापस सलाखों के पीछे पहुँचा दिया। जिसे पुलिस ने मुंबई की गोवंडी की झोपड़पट्टी से गिरफ्तार किया वो तीन सालों से पैरोल पर जेल से बाहर निकला था और फरार हो गया था। वो दिल्ली पुलिस को चकमा देकर भीड़ में जाकर छुप गया था।

पैरोल जंप करके भागा कातिल

कहते हैं अगर अपराधी डाल डाल चलने का हुनर रखते हैं तो पुलिस भी पात पात चलने की कला में माहिर होती है। असल में दिल्ली पुलिस ने कत्ल के एक आरोपी को भीड़ भरी बस्ती के भीतर से निकालकर जिस तरह से पकड़ा वैसा हम अक्सर फिल्मों में ही देखते हैं। दरअसल मोहम्मद मुश्ताक 2018 से दिल्ली की मंडोली जेल में बंद था। कत्ल के एक इल्जाम में उसे दोषी माना गया था और उसे उम्रकैद की सजा मिली थी। लेकिन साल 2021 के मई के महीने में कोरोना महामारी के दौरान मुश्ताक 90 दिन की पैरोल पर जेल से बाहर आया था। 

पैरोल मिलते ही गया गांव की शादी

पैरोल पर बाहर आते ही वो सीधा बिहार के मधुबनी जिले में अपने गांव गया। वहां उसने शादी की। इसी बीच उसकी पैरोल खत्म होने लगी। मुश्ताक की कमाई धमाई थी नहीं और वो जेल भी वापस नहीं जाना चाहता था, तब उसने कानून से दूर भागने का इरादा किया और मुंबई भाग गया। मुंबई में उसने सिलाई कढ़ाई का काम ढूंढ़ लिया और गोवंडी की झोपड़पट्टी की एक चॉल में रहने लगा। वो तीन साल तक वहां छुपकर रह रहा था। किसी को भी भनक तक नहीं थी कि उनके बीच में एक कातिल भी रह रहा है जो जेल से भागा हुआ है। पुलिस से बचने के लिए मुश्ताक ने अपना हुलिया भी बदल लिया था। उसने अपना सिर मुड़वा लिया और दाढ़ी कटवा ली थी। 

गोवंडी में जाकर छुप गया था सजायाफ्ता कातिल

पुलिस को मिली फरार कातिल की टिप

इधर दिल्ली पुलिस ने मुश्ताक का पता लगाने के लिए अपने मुखबिर भी अलर्ट कर रखे थे। बीती 6 अप्रैल को दिल्ली पुलिस को मुश्ताक के छुपने के ठिकाने की खबर मिली। पता चला कि मुश्ताक मुंबई की एक झोपड़पट्टी में छुपकर रह रहा है। तब पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए एक प्लान बनाया। पहले तो एक टीम को मुश्ताक का खुफिया तरीके से पता लगाने के लिए गोवंडी की झोपड़पट्टी में भेजा। 

झोपड़पट्टी खंगालने का पुलिस का प्लान

जाहिर है गोवंडी की झोपड़पट्टी की घनी बस्ती में लाखों की आबादी के बीच हुलिया बदल चुके अपराधी की तलाश करना कोई मामूली बात तो थी नहीं। तब पुलिस ने एक चाल चली। और ये चाल कारगर रही। पुलिस ने एक टीम तैयार की और लोकसभा चुनाव की आड़ में अपना काम करने का इरादा किया। उस टीम में शामिल पुलिसवाले चुनाव अधिकारी बन गए और चुनाव के लिए सर्वे के बहाने मुंबई की उस झोपड़पट्टी की हरेक चॉल का एक एक दरवाजा खटखटाने में जुट गए। पूरे दो दिनों के बाद आखिरकार उस भगोड़े कैदी तक दिल्ली पुलिस पहुँच ही गई। 

गोवंडी की घनी बस्ती से एक कातिल की तलाश करना आसान नहीं था पुलिस के लिए 

चुनाव अधिकारी बनकर खटखटाए 500 दरवाजे

असल में पुलिस की ये चाल इसलिए भी कामयाब रही क्योंकि मुंबई की इस झोपड़पट्टी में कई बांग्लादेशी भागकर आए और यहीं छुपकर रह रहे थे। इन चुनावों में ये लोग अपना वोटर आईडी बनवाकर हिन्दुस्तानी नागरिक बनने की फिराक में भी हैं। यहां झोपड़पट्टी के लोगों को पता था कि चुनाव के वक्त चुनाव अधिकारी वोटरआइडी कार्ड बनाने के लिए आते हैं। मुश्ताक भी इसी फिराक में था। लिहाजा पुलिस चुनाव के उस फॉर्म को लेकर वहां पहुँच गई जिसमें सारी जानकारी भरी जाती है। पुलिस अधिकारी की मानें तो मुश्ताक तक पहुँचने से पहले करीब डेढ़ दिन तक पुलिस ने पूरे 500 घरों के दरवाजे खटखटाए थे। और जैसे ही मुश्ताक ने अपनी पहचान बताई, बस झट से पुलिसवालों ने मुश्ताक को धर दबोचा और वापस मंडोली जेल पहुँचा दिया। 

2013 में की थी हत्या

मुश्ताक ने अपने दोस्त के साथ साल 2013 में जामिया नगर में अपने मकान मालिक मोहम्मद कैसर शेख के बेटे मोहम्मद चांद के बेटे की हत्या कर दी थी। असल में मोहम्मद कैसर शेख का चाय का ठेला था। उसी चाय की दुकान पर मुश्ताक और उसके दोस्तों के साथ मोहम्मद चांद का झगड़ा हो गया था। तब मोहम्मद चांद ने धमकी दी थी कि वो इस झगड़े के बारे में अपने पिता को सब कुछ बता देगा। लेकिन मुश्ताक ने मोहम्मद चांद को खामोश रहने को कहा था। मगर अगले रोज चांद ने अपने पिता से मुश्ताक की शिकायत कर दी थी। उसी समय वहां मुश्ताक और उसके दोस्त पहुँच गए। उनके बीच फिर कहा सुनी हो गई तो मुश्ताक और उसके दोस्तों ने चांद को छत से ही धक्का दे दिया था जिससे उसकी मौत हो गई। और मुश्ताक को इसी जुर्म में दोषी मानते हुए दिल्ली की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुना दी थी। 
 

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