Safe Kota Students Mission: हम लगातार कोटा कोचिंग फैक्टरी में बच्चों के आत्महत्या की खबर सुनते रहते हैं लेकिन इस बार कोटा से एक राहत देने वाली खबर सामने आई। क्योंकि यहां एक बच्ची खुद को फांसी के फंदे में लटकाने जा रही थी लेकिन एक कॉल ने उसकी जान बचा ली। और इस एक जान के बचने ने कोटा में बच्चों और छात्रों की खुदकुशी पर काम कर रहे जानकार लोगों को न सिर्फ राहत दी बल्कि उन्हें वो फॉर्म्यूला भी पकड़ा दिया जिससे बच्चों की जान बचाने में मदद मिलने की संभावना बढ़ गई है।
कोटा में एक कॉल ने बचा ली छात्रा की जान, फांसी के फंदे पर लटकने की कर ली थी तैयारी
Safe Kota Students Mission: कोटा से एक अच्छी खबर सामने आई जब नीट की तैयारी कर रही छात्रा को एक कॉल ने मौत का गले फंदा लगाने से बचा लिया।
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कोटा में डिप्रेशन का शिकार एक छात्रा ने बच्चों को खुदकुशी से बचाने के लिए की थी आजतक से गुहार
18 Sep 2023 (अपडेटेड: Sep 18 2023 3:55 PM)
खतरनाक कदम उठाने जा रही थी
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नीट की तैयारी में लगी एक छात्रा ने पिछले दिनों अपने बारे में जब खुलासा किया तो सभी हैरत में पड़ गए। वजह ये थी कि डिप्रेशन का शिकार हो चुकी उस बच्ची ने अपनी जिंदगी को खत्म करने का इरादा कर लिया था। यहां तक कि उसने अपने लिए मौत का फंदा भी तैयार कर लिया था और इस खतरनाक कदम को उठाने ही वाली थी लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने उसे अपने इस इरादे को बदलने का रास्ता दे दिया।
छात्रा की हालत ऐसी हो गई थी
उस 17 साल की बच्ची ने अपनी आप बीती कुछ इस तरह से बताई कि वो कोटा में नीट की तैयारी कर रही थी। कुछ महीनों तक तैयारी में लगे रहने के बाद अचानक वो डिप्रेशन का शिकार हो गई। उसे लगने लगा कि अब उससे ये सब नहीं हो पाएगा। इस चक्कर में वो न तो सो पाती थी और न ही कुछ भी काम कर पाती थी। यहां तक कि प्रेशर इस कदर उस पर हावी हो गया था कि उसे पैरों में झटके महसूस होने लगे। उसकी हालत लगातार खराब होती जा रही थी...और यहां तक कि एक रोज उसने अपना दुपट्टा निकाल लिया और पंखे में लटने की तैयारी कर ली थी। क्योंकि उसे लगने लगा था कि इससे बेहतर अब उसके पास कोई विकल्प नहीं बचा है। लेकिन तभी उसके भाई की कॉल आ गई। और उसका जान देने का इरादा ही बदल गया।
महीने भर में ही हो गई डिप्रेशन का शिकार
उस बच्ची ने बताया कि 12वीं की परीक्षा देने के बाद ही वो नीट की तैयारी में लग गई थी। मगर एक महीने की तैयारी के बाद ही उसे निराशा ने घेर लिया था क्योंकि उसने जब अपने चारो तरफ का माहौल देखा तो उसके दिल में ये बात घर कर गई कि अब उससे ये नहीं हो सकेगा क्योंकि वो वहां उन छात्रों को लगातार देख रही थी जो पिछले तीन चार सालों से इसी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे लेकिन वो परीक्षा में सफल नहीं हो पा रहे थे।
टीचर ने बढ़ाया हौसला
उसने ये भी बताया कि अपनी हालत के बारे में उसने अपने टीचर से भी बात की। लेकिन उसका डर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। हालांकि टीचर ने उसे बहुत समझाया, उसका हौसला भी बढ़ाया और भरोसा दिलाया कि उसकी तैयारी एकदम सही रास्ते पर चल रही है। मगर उसे खुद पर भरोसा ही नहीं हो पा रहा था। उस छात्रा ने कहा कि उसका मन कमरे में नहीं लगता था। अकेली होती थी तो डर लगने लगता था लिहाजा वो भागकर या तो पार्क में चली जाती थी या फिर मंदिर में बैठ जाती थी। उसके दिमाग में एक ही बात चलती रहती थी कि उसके माता पिता ने इतना पैसा खर्च करके उसे यहां तैयारी करने के लिए भेजा है और अगर वो कामयाब नहीं हो सकी तो माता पिता की मेहनत, उनका पैसा और उनके सपने सब बर्बाद हो जाएंगे।
कर ली थी फांसी पर लटकने की तैयारी तभी…
यही सब सोच सोचकर उसका दिल घबराने लगा और उसके मन में मरने का ख्याल आने लगा। उस रोज उसने अपने मरने के लिए दुपट्टा भी निकाल लिया था लेकिन तभी उसके भाई का कॉल आ गया और उसने बातों बातों में अपना ये दर्द भाई के साथ साझा कर लिया। बस यहीं से बात बदल गई और वो बच्ची बच गई।
घरवालों ने घर बुला लिया बच्ची को
उसके भाई ने ये बात अपने परिवार में बताई। घरवालों ने बच्ची को घर बुलाया और उसे खूब समझाया। यहां तक कि घरवालों ने उसे कोटा जाने से भी मना कर दिया और कहा कि जितनी भी और जैसे भी उसे तैयारी करनी है वो घर पर रह कर ही कर सकती है, वो भी बिना किसी दबाव के और बिना किसी डर के। पास फेल की चिंता किए बगैर वो अब घर पर ही रहकर तैयारी कर रही है। अपनी इस आप बीती के बाद उस बच्ची ने उन तमाम बच्चों को ये मैसेज दिया है जिसको इस समय पूरे कोटा में घूम घूमकर बच्चों को दिखाया और समझाया जा रहा है।
कोटा के बच्चों को भेजा छात्रा ने मैसेज
उस छात्रा ने कहा है कि जो बच्चे नीट और जेईई की तैयारी कर रहे हैं उनसे वो सिर्फ इतना कहना चाहती है कि वो लोग खुद को पहली प्राथमिकता दें। क्योंकि जिंदगी से बड़ी न तो नीट है और न ही आईआईटी। साथ ही साथ बच्चों के माता पिता से भी उस बच्ची ने गुहार लगाई कि अपने बच्चों को वो भी समझें। उनसे खुलकर बात करें। उन पर अपनी उम्मीदों का बोझ न लादें...हो सकता है कि आपका बच्चा पढ़ने में बहुत तेज है, बहुत होशियार है लेकिन ये भी मुमकिन है कि किन्हीं कारणों से वो इन परिक्षायों में सफल न हो सके...तो कोई बात नहीं। अगर वो होशियार हैं और अपनी काबिलियत को समझ सकते हैं तो फिर वो तो जिंदगी में कुछ न कुछ कर ही लेंगे। लेकिन अगर उन्हें उम्मीदों के बोझ से लाद देंगे तो मुमकिन है कि वो इसे बर्दाश्त न कर सकें और गलत कदम उठाने की तरफ बढ़ जाएं।
'आजतक' की कारगर कोटा SOS मुहिम
उस छात्रा ने हाल ही में आजतक की कोटा SOS मुहिम को देखने के बाद संपर्क किया। उसने इंस्टाग्राम पर मैसेज लिखकर अपने बारे में जानकारी दी थी। उस छात्रा ने लिखा था किस “ प्लीज! आप मेरी बातों को समझना...मैं आपको ऐसे मैसेज नहीं कर रही,,,मैं भी कोटा में नीट की प्रीपरेशन कर रही थी और कुछ महीनें में डिप्रेशन का शिकार हो गई थी, मैं सो नहीं पाती थी और पैरों में झटके महसूस करने लगी थी...एक दिन मैने दुपट्टा ढूंढना शुरू किया अब पंखे में लटकने के अलावा कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है, लेकिन मेरे भइया का कॉल आ गया और मेरी जुबान से खुदकुशी की बात निकल गई थी। मैने उनसे कहा कि मेरी मानसिक हालत ऐसी हो गई है...और मैं अब अंधविश्वास के रास्ते पर जाने लगी हूं। शायद इस बात को समझना मुश्किल हो लेकिन इस छोटी सी उम्र में अभी तक जिंदगी का ये सब बुरा फेस था मेरी लाइफ का...सर मैने जो महसूस किया, मैं ये कभी नहीं चाहूंगी कि कोई और भी इस दौर से गुजरे...आप प्लीज कुछ कीजिए, क्योंकि कोटा में मेरे जैसे बहुत से बच्चे हैं जिन्हें आपकी जरूरत है...क्योंकि वो हार रहे हैं ऐसा महसूस कर रहे हैं कि वो जिंदगी हार गए हैं...प्लीज सर कुछ कीजिए’।
कोटा का दर्द
इन अल्फाज में उस बच्ची के साथ साथ पूरे कोटा का दर्द महसूस किया जा सकता है। लिहाजा अब कोटा में लोग इस चिट्ठी और बच्ची के इस मैसेज का खुलकर उन बच्चों को समझाने के लिए कर रहे हैं जो खुद को दबाव में महसूस कर रहे हैं...। सारे कोटा का इस एक मैसेज से बड़ी राहत मिली है।
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