CRIME TAK की खबर का बड़ा असर : दिल्ली पुलिस ने माना, रेप के बाद लड़की की हुई हत्या!

NOW POLICE REGISTERED MURDER CASE AGAINST FOUR ACCUSED IN DELHI CANT GIRL DEATH CASE.

CrimeTak

03 Aug 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:02 PM)

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क्राइम तक की खबर का बड़ा असर हुआ है.. सोमवार को क्राइम तक ने दिल्ली कैंट में 9 साल की लड़की की हुई संदिग्ध मौत की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था.. इस घटना के बाद से इलाके में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था.. दिल्ली कांग्रेस ने भी इस पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज की थी और पुलिस पर सवाल खड़े किए थे.. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने FIR में रेप, हत्या, SC/ST की धाराओं को जो़ड़ दिया है.

इतना ही नहीं अब इस सिलसिले मे दिल्ली पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.. जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, उनके नाम लक्ष्मी नारायण, कुलदीप, सलीम और पुजारी राधेश्याम है... साउथ वेस्ट जिला के डीसीपी इंगित प्रताप सिंह ने क्राइम तक को घटना के बारे में बताते हुए जो नई धाराएं जोड़ी गई है. उनके बारे में भी बताया ..

क्राइम तक ने सोमवार को प्रकाशित की थी खबर

सोमवार को ही क्राइम तक ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. हमने बताया था कि किस तरह से पुलिस ऩे इस केस में लापरवाही बरती है..

कैसे बिना बयान, बिना पोस्टमार्टम के पुलिस ने बच्ची के साथ रेप जैसी घटना से इनकार किया था लेकिन अब पुलिस ने कार्रवाई की है..

पहले क्यों नहीं हुई कार्रवाई ?, अब क्यों हुई... इसके पीछे क्या वजह ?

तो सवाल कई है.

पहले क्यों इस सिलसिले में पुलिस ने कार्रवाई नहीं की थी ...क्या उस वक्त पुलिस को मामले की गंभीरता का अंदाजा नहीं था ?..

या फिर दबाव की वजह से हुई कार्रवाई ?

अब किन सबूतों के आधार पर जांच आगे बढ़ेगी ?

पहले पुलिस ने कहा कि करंट लगने से मौत, अब पुलिस कह रही है कि ये रेप के बाद हत्या है.

क्या FIR में पुलिस कुछ भी लिख सकती है ?... चार्जशीट के समय पुलिस क्या बदलेगी सेक्शन ?

क्या लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए रेप और हत्या का मामला दर्ज किया पुलिस ने ?

सवाल अभी भी बना हुआ है.. जब पुलिस ने पास के लड़की के बयान ही मौजूद नहीं है... तो फिर कैसे सच सामने आएगा... क्योंकि जब तक दिल्ली पुलिस मौके पर पहुंची तब तक लड़की का शव जल चुका था..

ऐसे में दिल्ली पुलिस अदालत में कैसे ये सिद्ध करेंगी कि लड़की के साथ बलात्कार हुआ था और उसके बाद उसकी हत्या हुई थी...ये और बात है कि पुलिस ने पहले ये कहा था कि लड़की की मौत करंट लगने से हुई है... ऐसे में सवाल ये भी है कि पुलिस ने एफआईआर में जो सेक्शन जोड़े है , क्या वो सिर्फ लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए किया गया है. क्या असल में पुलिस के पास सबूत है या नहीं..

FIR का खेल, CHARGESHEET सब कुछ

अमूमन कई केसों में देखा जाता है कि पुलिस लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए भी कई बार इस तरह की कार्रवाई करती है.. क्योंकि टैक्निकल भाषा में FIR को FIRST INFORMATION REPORT कहा जाता है, मतलब इसमें पहली जानकारी दर्ज की जाती है, जांच के दौरान सेक्शन जोड़े और घटाए भी जा सकते है.. अंत में सिर्फ चार्जशीट में क्या सेक्शन है... ये ही मैटर करता है... जानकार ये भी मानते है कि कई बार पुलिस सही जानकारी होने के बावजूद लोगों को दिखाने के लिए भी कार्रवाई करती है.

आपको पता है क्या हुआ था, पर आपके पास सबूत नहीं है... ऐसा भी होता है.. तो फिर केस का क्या हश्र होगा..

कई बार मकसद और आरोपी का पता होने के बाद भी सबूत नहीं मिलते इस वजह से आरोपी बच जाते है..

क्या है पूरा मामला

दिल्ली कैंट इलाके में 9 साल की बच्ची की रविवार को रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी. हालांकि बच्ची के साथ रेप की आशंका व्यक्त गई थी.. पुलिस ने इस सिलसिले में पुजारी को शुरुआत में गिरफ्तार कर लिया था ... लडकी का शव जल चुका है लिहाजा पोस्टमार्टम की भी गुंजाइश नहीं बची थी. पुलिस ने शुरू में पुजारी के खिलाफ सबूत नष्ट करने, लापरवाही से हुई मौत समेत तमाम धाराओं मे मामला दर्ज किया था ...रेप का केस शुरू में दर्ज नहीं किया गया था।

पुलिस के मुताबिक, रविवार रात लगभग साढ़े दस बजे दिल्ली कैंट में नाबालिग लड़की के बलात्कार के बाद मौत और उसके दाह संस्कार के संबंध में एक पीसीआर कॉल आई थी और ये भी पता चला कि पुराने नंगल के लगभग 200 ग्रामीण पुराने नंगल के श्मशान घाट पर एकत्र होकर हंगामा कर रहे है.

तुरंत पुलिस मौके पर पहुंची थी .. पुलिस के मुताबिक, श्मशान घाट के सामने गांव पुराना नंगल में 9 साल की नाबालिग लड़की अपने माता पिता के साथ रहती थी. रविवार शाम को वह अपनी मां को बता कर गई कि श्मशान घाट में लगे वाटर कूलर से ठंडा पानी लेने जा रही है. उस वक्त सवाल खड़े हुए थे कि

क्या करंट लगा या रेप हुआ,

क्यों पुजारी ने पुलिस बुलाने के लिए किया मना ?

क्या वो डर गया था ?

6 बजे के आसपास श्मशान घाट के पुजारी पं. राधेश्याम और नाबालिग लड़की की मां को जानने वाले 2-3 अन्य लोगों ने उसे श्मशान में बुलाया और लड़की के शव को यह कहते हुए दिखाया कि वाटर कूलर से पानी पीने के दौरान उसे करंट लग गया था, जिससे उसकी मौत हो गई है... उसकी मां ने देखा कि लड़की की बाईं कलाई और कोहनी के बीच जलने के निशान थे। उसके होंठ भी नीले थे।

पुलिस के मुताबिक, पुजारी और 2-3 लोगों ने सुनीता देवी से कहा कि अगर आप पीसीआर कॉल करते हैं तो पुलिस इसका मामला बनाएगी और पोस्टमॉर्टम में डॉक्टर लड़की के सभी अंगों को चुरा लेंगे और इसलिए उसका अंतिम संस्कार करना बेहतर है। लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया गया इसके बाद लडकी के मां बाप ने शोर मचाया कि उनकी मर्जी के बिना उस लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

भीड़ जमा हो गई. तुरंत स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची, स्थिति को नियंत्रण में लाया गया.. लडकी की मां ने अपना बयान दिया था... हालांकि उन्होंने रेप की आशंका व्यक्त नहीं की. लेकिन जो पीसीआर काल हुई उसमें कालर ने रेप के बाद हत्या की बात कही गई थी इस सिलसिले में पुलिस ने शुरू में रेप के अलावा तमाम धाराओं में मामला दर्ज कर लिया था.

तब कई सवाल खड़े हुए

पुलिस ने शुरू में दूसरी धाराओं में मामला दर्ज क्यूं किया ?

जब लड़की का बयान और पोस्टमार्टम नहीं हुआ तो पुलिस ने किस आधार पर कहा कि रेप नहीं हुआ..?

क्या इस मामले में पुलिस का सूचना तंत्र फेल हुआ ?

क्या पुलिस को देर से पता इस घटना के बारे में तब तक लड़की का क्रियाकर्म हो चुका था ?

अब इन सवालों के जवाब बाकी

पीड़िता की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है ?

क्या आरोपियों पर जो आरोप लगाए गए है .. उनमें कितनी सच्चाई है. ?

क्या आरोपियों को बलि का बकरा तो नहीं बनाया जा रहा ?

पहले इस केस को लापरवाही मानने वाली दिल्ली पुलिस अब इसे हत्या और रेप का मामला कैसे मान रही है ?

लेकिन अब स्थिति बदल गई है..और उम्मीद की जानी चाहिए कि दूध का दूध और पानी का पानी होगा और जो सच है वैसे ही चार्जशीट दाखिल होगी किसी के दबाव में नहीं, क्योंकि यहां ये भी सोचना होगा कि पीड़िता की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है , दूसरा क्या आरोपियों पर जो पुलिस ने आरोप लगाए है उसमें कितनी सच्चाई है

जितना अपराध, उतनी सजा...किसी के साथ अन्याय न हो, नहीं तो उठ जाएगा न्याय व्यवस्था से भरोसा, पुलिस की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा, सच का साथ देने ही असल में 'न्याय' है, क्योंकि आरोपियो को उतने अपराध की सजा मिलनी चाहिए. जितना उसने अपराध किया है.. क्योंकि आरोपी पर केस दर्ज होने से उसका तो नुकसान होता ही है, साथ साथ उसके परिवार का भी नुकसान होता है. साथ साथ लोग न्याय व्यवस्था के बारे में भी सोचने को मजबूर हो जाते है..

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