अफगानिस्तान के हालात गंभीर हैं, हालात ठीक नहीं है और हर कदम पर खतरा है। कब, कहां, किसे, कौन सी गोली अपना शिकार बना लेगी कोई नहीं जानता। कब, कौन, तालिबानी लड़ाकों के हत्थे चढ़ जाएगा कोई नहीं जानता। बमबारी, कत्लेआम के बीच किसी को ये भी नहीं पता कि अगली सुबह का सूरज वो देख पाएगा भी या नहीं।
अफगानिस्तान से भारतीयों का 'एयरलिफ्ट'!
national taliban terror increased in afghanistan india airlifted 50 of its employees from indian embassy
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11 Aug 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:03 PM)
अफगानिस्तान के शहर मजार ए शरीफ को तालिबानी आतंकियों ने चारों ओर से घेर लिया है, इस शहर पर कब्जा करने के लिए तालिबान ने पूरी ताकत लगा दी है। अफगानी सेना के साथ उसका भीषण संघर्ष चल रहा है, हालात कभी भी बेकाबू हो सकते हैं। मजार ए शरीफ अफगानिस्तान का बेहद महत्वपूर्ण शहर है। यहां की आबादी 5 लाख के करीब है, ये बल्ख प्रांत की राजधानी है। इस शहर की सीमाएं कुंदुज और काबुल के अलावा उज्बेकिस्तान के तरमेज शहर से मिलती हैं।
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तालिबानियों के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत सरकार ने मजार ए शरीफ के अपने कॉन्सुलेट से अपने तमाम कर्मचारियों को बुलाने का फैसला किया है। हालात की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि फैसले के एक दिन बाद ही मजार ए शरीफ से स्पेशल फ्लाइट सारे कर्मचारियों को लेकर हिंडन एयरबेस पहुंच गई है। अब कॉन्सुलेट में कोई भी कर्मचारी नहीं है।
दरअसल अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास ने देश के अलग अलग प्रांतों में फंसे भारतीय लोगों के लिए बाकायदा एडवाइजरी जारी की है, लोगों को कहा गया कि अफगानिस्तान के कई इलाकों के बीच यात्रा की सेवाएं रुक गई हैं। इलाके एक दूसरे से कट गए हैं, लिहाजा वो अफगानिस्तान के अलग-अलग इलाकों से जाने वाली कमर्शियल फ्लाइट्स पर भी नज़र रखें और तुरंत भारत लौटने की कोशिश करें। सभी भारतीयों को सलाह दी गई कि वो दूतावास की वेबसाइट पर खुद को तुरंत रजिस्टर करें।
अफगानिस्तान में ऑपरेट कर रहीं भारतीय कंपनियों को भी ये निर्देश दिया गया है कि वो अपने कर्मचारियों को प्रोजेक्ट साइट्स से हटा लें और उनकी घर वापसी सुनिश्चित करने में सक्रिय भूमिका निभाएं। एक महीने में ऐसा दूसरी बार हुआ है जब अफगानी दूतावास से भारतीय डिप्लोमेट्स को बुलाना पड़ा है, इससे पहले 11 जुलाई को कंधार दूतावास से डिप्लोमेट्स को बुला लिया गया था।
तालिबान में हालात हर गुजरते दिन के साथ बिगड़ते जा रहे हैं, पिछले 5 दिनों में जिस तरह से तालिबान ने कई प्रांतों को अपने कब्जे में लिया है, उससे साफ है कि अफगान और अमेरिकी एयरफोर्स के एयरस्ट्राइक का भी उस पर कुछ खास फर्क नहीं पड़ा है। अमेरिकी एयरफोर्स के लड़ाकू विमान अब भी तालिबानी इलाकों पर हमले कर रहे हैं, लेकिन इन हमलों में तेजी आएगी ऐसा लगता नहीं।
अमेरिकी प्रेसिडेंट बाइडेन ने कहा है कि अमेरिकी सेना की वापसी के फैसले में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा, बाइडेन ने कहा कि अफगानिस्तान को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी। बाइडेन का ये बयान ऐसे वक्त आया है जब अमेरिकी सेना की वापसी के बीच तालिबान अफगानिस्तान के शहरों पर लगातार कब्जा करता जा रहा है। फिलहाल अफगानिस्तान में महज 2500 अमेरिकी जवान बचे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से अमेरिका के सभी जवानों की वापसी की बात कही है। पेंटागन के मुताबिक करीब 90 फीसदी जवान वापस अपने मुल्क लौट भी चुके हैं और इसी महीने ये आंकड़ा 100 फीसदी तक पहुंच सकता है।
अफगानिस्तान की तरफ से दुनिया से मदद की गुहाऱ लगाई जा रही है, क्रिकेटर राशिद खान समेत अफगानिस्तान की कई हस्तियों ने उनके मुल्क को अकेला ना छोड़ने की फरियाद की है लेकिन इसका रिजल्ट कुछ दिख नहीं रहा है। अफगानिस्तान में हालात कब बद से बदतर हो जाएंगे कहना मुश्किल है। ऐसे में भारत सरकार ने कोई रिस्क ना लेते हुए मजार ए शरीफ के काउंसलेट से अपने कर्मचारियों को बुला लिया है। और बाकी बचे भारतीयों को भी जल्द से जल्द बुलाने के इंतजाम में जुटी है।
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