नागालैंड के मोन जिले में एक के बाद एक गोलीबारी की तीन घटनाओं में सुरक्षाबलों की गोलियों से कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि 11 लोग घायल हो गए। पुलिस ने बताया कि गोलीबारी की पहली घटना दरअसल गलत पहचान का मामला थी, इसके बाद हुए दंगों में एक सैनिक की भी मौत हो गई। गोलीबारी की पहली घटना तब हुई जब शनिवार शाम कुछ कोयला खदानकर्मी एक पिकअप वैन में सवार होकर गाना गाते हुए घर लौट रहे थे, सेना के जवानों को प्रतिबंधित संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-के (एनएससीएन-के) के युंग ओंग धड़े के उग्रवादियों की गतिविधि की सूचना मिली थी और इसी गलतफहमी में इलाके में अभियान चला रहे सैन्यकर्मियों ने वाहन पर कथित रूप से गोलीबारी की, जिसमें छह मजदूरों की जान चली गई।
नागालैंड फायरिंग में जवान समेत 14 की मौत! संसद में हंगामा
nagaland civilian killings may be raised in parliament
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06 Dec 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:10 PM)
पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि जब मजदूर अपने घर नहीं पहुंचे तो स्थानीय युवक और ग्रामीण उनकी तलाश में निकले और इन लोगों ने सेना के वाहनों को घेर लिया। इस दौरान हुई धक्का-मुक्की और झड़प में एक सैनिक मारा गया और सेना के वाहनों में आग लगा दी गई, इसके बाद सैनिकों द्वारा आत्मरक्षार्थ की गई गोलीबारी में सात और लोगों की जान चली गई। इस घटना के खिलाफ उग्र विरोध और दंगों का दौर रविवार भी जारी रहा और गुस्साई भीड़ ने कोन्याक यूनियन और असम राइफल्स कैंप के कार्यालयों में तोड़फोड़ की और उसके कुछ हिस्सों में आग लगा दी। सुरक्षाबलों ने हमलावरों पर की गई जवाबी गोलीबारी में कम से कम एक और नागरिक की मौत हो गई जबकि दो अन्य घायल हो गए।
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पूर्वोत्तर राज्यों खासकर नागालैंड में पिछले कुछ अरसों से जिस तरह ये वारदातें हो रही हैं वो चिंता का विषय हैं जिसे लेकर विपक्षी दल संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार को घेर सकती हैं।
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