Mukhtar Ansari Political Career: पूर्वांचल के डॉन मुख्तार अंसारी ने लगातार किसी एक पार्टी से चुनाव नहीं लड़ा. इसलिए, उन्हें राजनीति का एक अच्छा रणनीतिकार कहा जाता है, जो अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए परिस्थितियों के अनुसार पाला बदलने में माहिर हैं. उनकी रणनीति उन्हें लगातार जीत की ओर ले जाती है.
Mukhtar Ansari: जानें कब और कहां से शुरू हुआ था पूर्वांचल के सबसे बड़े डॉन मुख्तार अंसारी का पोलिटिकल करियर
Mukhtar Ansari Political Career: पूर्वांचल के डॉन मुख्तार अंसारी ने लगातार किसी एक पार्टी से चुनाव नहीं लड़ा.
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Crime Tak
28 Mar 2024 (अपडेटेड: Mar 29 2024 12:00 AM)
मऊ सीट पर मुख्तार अंसारी की खास प्रतिष्ठा है. वह इस सीट से लगातार 5 बार विधायक रहे हैं. मुख्तार अंसारी ने पहली बार 1996 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. दूसरी बार उन्होंने पार्टी छोड़ दी और 2002 में निर्दलीय चुनाव लड़ा और फिर भी जीत हासिल की.
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तीसरी बार 2007 में उन्होंने एक बार फिर स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा की और चुनाव लड़े, जहां भी उन्हें जीत हासिल हुई। मुख्तार अंसारी ने चौथी बार 2012 में कौमी एकता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 2017 में, वह बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए और चुनाव लड़े और मऊ सीट से विजयी हुए.
मुख्तार अंसारी की राजनीति
1996 में पहली बार बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की. दूसरी बार उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. तीसरी बार मुख्तार अंसारी फिर से बसपा में शामिल हो गए और चुनाव जीत गए, लेकिन बाद में मायावती ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया.
मुख्तार अंसारी ने कौमी एकता दल नाम से पार्टी बनाई और चौथी बार फिर जीत हासिल की. अखिलेश यादव के कहने पर उन्होंने अपनी पार्टी का विलय समाजवादी पार्टी में कर दिया, लेकिन अखिलेश ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया. फिर वह बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए और चुनाव जीते.
मुख्तार अंसारी की मऊ सीट पर विशेष प्रतिष्ठा है. वह लगातार इस सीट से 5 बार विधायक रह चुके थे. मुख्तार अंसारी ने पहली बार 1996 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. दूसरी बार उन्होंने पार्टी से पाला बदला और 2002 में निर्दलीय चुनाव लड़ा और फिर भी जीते.
तीसरी बार 2007 में उन्होंने एक बार फिर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया और चुनावी मैदान में उतरे, जहाँ उन्होंने फिर भी जीत हासिल की. मुख्तार अंसारी चौथी बार 2012 में कौमी एकता दल के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की. 2017 में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी का साथ लिया और चुनाव रण में उतरकर मऊ सीट से विजयी बने.
1996 में पहली बार बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीत की.
दूसरी बार उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
तीसरी बार मुख्तार अंसारी फिर बीएसपी में आए और चुनाव जीता, लेकिन बाद में मायावती ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया.
मुख्तार अंसारी ने कौमी एकता दल नाम से पार्टी बनाई और चौथी बार फिर जीत हासिल की.
अखिलेश यादव के कहने पर उन्होंने अपनी पार्टी को समाजवादी पार्टी में मिला दिया, लेकिन अखिलेश ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया. फिर वह बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए और चुनाव में जीत हासिल की.
मुख्तार अंसारी ने जब लोकसभा चुनाव में ताल ठोका
उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी विभिन्न अपराधिक मामलों में बांदा जेल में बंद थे. विधानसभा चुनाव में पांच बार जीत का परचम लहराने वाले मुख्तार अंसारी ने 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया. उन्होंने 2009 में बसपा के टिकट पर वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का ताल ठोका, लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
बीजेपी प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी ने उन्हें करीब 17 हजार वोटों से मात दी थी। 2009 लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल के डॉन मुख्तार अंसारी ने 27 प्रतिशत वोट लेने में सफलता हासिल की थी, लेकिन जनता ने उन्हें जीत का ताज पहनाने से साफ इंकार किया और बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले मुरली मनोहर जोशी को जीत का सेहरा पहनाया।
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