Model Prison Act 2023 New Prison Law : अगर जेल में अब किसी कैदी ने फोन का इस्तेमाल किया तो उसे तीन साल की सजा हो सकती है। इसको लेकर जल्द ही नया कानून आ रहा है। गृह मंत्रालय ने जेल कानून में सुधार को लेकर नया ड्राफ्ट बनाया है। इनमें कैदियों को जुर्म के हिसाब से अलग-अलग सेल में रखने की बात भी कही गई है। इससे पहले आईपीसी, सीआरपीएस और Indian Evidence Act कानून को कुछ धाराओं को खत्म करने की सिफारिश की गई है। उम्मीद है कि इनकी जगह भी नये कानून जल्द आएंगे।
जेल नियमों में बड़े बदलाव की तैयारी, कैदियों के लिए आएगी जल्द नई रूल बुक, लागू होगा आदर्श कारागार अधिनियम 2023
Model Prison Act 2023 : अगर जेल में अब किसी कैदी ने फोन का इस्तेमाल किया तो उसे तीन साल की सजा हो सकती है। इसको लेकर जल्द ही नया कानून आ रहा है।
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Model Prison Act 2023 New Prison Law
15 Nov 2023 (अपडेटेड: Nov 15 2023 12:45 PM)
ड्राफ्ट में कहा गया है कि कैदियों की नियमित तलाशी ली जाएगी, कैदियों के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए उन्हें इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग डिवाइस पहनाया जाएगा। अगर कैदी इस डिवाइस का इस्तेमाल करता है तो उसे कई सुविधाएं भी दी जाएगी।
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पुराने कानून होंगे खत्म, नए होंगे लागू
गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर जेल सुधारों से संबंधित प्रस्ताव को अपलोड किया गया। मंत्रालय ने जेल कानून में बदलावों के लिए स्वतंत्रता से पहले के कानून 'जेल अधिनियम 1894' और 'कैदी अधिनियम 1900' में बदलाव किया है और इसकी जगह 'आदर्श कारागार अधिनियम, 2023' को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
कैदियों को सब कैटेगरी में भी बांटने का सुझाव
इसमें कैदियों को सब कैटेगरी में भी बांटने का सुझाव दिया गया है।
कैदी ही नहीं उसके रिश्तेदार और जेल अधिकारी को भी हो सकती है 3 साल की सजा
ड्राफ्ट में कहा गया कि अगर कैदी के रिश्तेदार या जेल अधिकारी कैदी के लिए प्रतिबंधित उपकरणों की व्यवस्था करता है तो उसे भी तीन साल तक की सजा हो सकती है।
इसके अलावा कई और सुझाव भी दिए गए हैं ताकि जेल सुधार की दिशा में नया कदम बढ़ाया जा सके।
विभिन्न श्रेणियों के कैदियों को अलग-अलग रखा जाएगा
ड्राफ्ट के मुताबिक, नशे की लत वाले, पहली बार अपराध करने वाले, हाई रिस्क और विदेशी कैदियों को अलग रखने जैसे प्रावधान के सुझाव दिए गए हैं। महिलाओं, ट्रांसजेंडर, विकलांग कैदिया, संक्रामक रोग या मानसिक बीमारी से पीड़ित कैदियों या ड्रग्स का सेवन करने वाले या विचाराधीन कैदियों, दोषी, आदतन अपराधियों को अलग अलग रखने की बात कही गई है।
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