Martyr Captain Anshuman Singh: देश के लिए शहीद हुए कैप्टन अंशुमान सिंह का नाम अब हिन्दु्स्तान में कौन नहीं जानता। 5 जुलाई 2024 को जब देश की प्रथम नागरिक यानी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मरणोपरांत कैप्टन अंशुमान सिंह की विधवा स्मृति को कीर्ति चक्र देकर सम्मानित किया तो ये देखकर देश में हरेक की आंख नम थी। ये सम्मान शहीद अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति सिंह और उनके मां मंजू देवी ने लिया था। मगर शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता पिता का इससे भी बड़ा दर्द और दुख अब सामने आया, जिसे लेकर हर कोई कानाफूसी करता सुनाई पड़ रहा है।
शहीद कैप्टन अंशुमान के पिता का छलका दर्द, आंखों में आंसुओं का सैलाब लेकर बोले, 'बेटा रहा नहीं, बहू सब लेकर चली गई अब हम कहां जाएं?'
पिछले साल सियाचिन में कैप्टन अंशुमान सिंह अपने साथियों को बचाते-बचाते खुद शहीद हो गए थे। अभी कुछ ही दिन पहले शहीद को मरणोपरांत कीर्तिचक्र देकर उनका सम्मान किया गया। ये कीर्ति चक्र शहीद की विधवा स्मृति को राष्ट्रपति ने भेंट किया। लेकिन अब उसी शहीद के पिता की आंखों में गम का सैलाब छलक रहा है, वजह शहीद नहीं बल्कि उसकी विधवा है।
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12 Jul 2024 (अपडेटेड: Jul 12 2024 4:23 PM)
न्यूज़ हाइलाइट्स
शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी ने छोड़ा सास ससुर का घर
सरकार से मिला सम्मान और पैसे लेकर बहू ने छोड़ा ससुराल
राहुल गांधी से मिलकर सेना की प्रक्रिया पर उठाए सवाल
सास ससुर को बहू से तकलीफ
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जिसने भी शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता पिता की तकलीफ को सुना उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि उस दर्द का वास्ता किसी और से नहीं बल्कि शहीद कैप्टन की विधवा स्मृति से है जो अब अपने सास ससुर को छोड़कर जा चुकी है। सिर्फ छोड़कर ही नहीं गई बल्कि अपने पति के माता पिता के लिए कुछ भी ऐसा नहीं छोड़ गई जिससे वो आगे की अपनी जिंदगी में अपने बेटे के जाने के गम को कुछ हल्का कर सकें।
भर्राई आवाज, कांपते हाथ
आंखों में आंसुओं का सैलाब लेकर शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने एक इंटरव्यू में जब अपनी दास्तां सुनाई तो उनकी आवाज भर्राई हुई थी। हाथ कांप रहे थे और हलक सूखा जा रहा था। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा था कि किसे क्या कहें। मगर जब उन्होंने कहना शुरू किया तो उन्होंने अपने दुख को खोल कर रख दिया। उनकी आवाज के निशाने पर कोई और नहीं बल्कि उनकी खुद की बहू स्मृति है जिसके साथ सारे संसार की हमदर्दी जुड़ी हुई है।
पिता के पास शहीद बेटे की तस्वीर है बस
शहीद कैप्टन के पिता का इल्जाम है कि उनका बेटा चला गया, और उनकी बहू भी परिवार को छोड़कर अपने साथ सबकुछ लेकर चली गई है। हमारे पास तो कुछ भी नहीं बचा। हमारे पास बेटे की फोटो के अलावा कुछ भी नहीं बचा है। यहां तक कि कीर्ति चक्र का बैज भी अंशुमान की तस्वीर पर लगाने के लिए नसीब नहीं हुआ।
सियाचिन में शहीद हुआ था बेटा
सियाचिन में बीते साल 19 जुलाई को अपनी यूनिट के साथियों को बचाते हुए कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए थे। बेटे के जाते ही इस परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया है। शहीद के पिता रवि प्रताप सिंह का कहना है कि उन्हें तो भनक तक नहीं लगी, उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी बहू ऐसा भी कर सकती है।
बहू पर ससुर के सवाल
पिता ने बताया कि 18 तारीख को हमारी अंशुमान से एक दो मिनट की बात हुई। 19 तारीख को घटना हुई और हमारा बेटा शहीद हो गया। उन्होंने कहा कि 1 फरवरी को शांति पूजा कराया उसमें भी वह नहीं आई। जब भी हम लोग फोन करते हैं। फोन परिवार के लोग उठाते हैं। बीते 26 जनवरी को जब उनके बेटे को सम्मान देने की बात हुई तो तभी उनकी बहू से बात हुई। जब भी फोन करो तो सिर्फ एक ही जवाब मिलता है अभी बेटी को संभालने के लिए थोड़ा समय दीजिए। करीब 1 साल हो गए मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि वह अब तक संभाल पाई कि नहीं।
ये कैसा गम
कैप्टन के पिता ने आगे बताया कि मेरे घर से जाने के 10 दिन बाद वह एक स्कूल में पढ़ने लगी। जिसकी मनोस्थिति ठीक नहीं होगी। वह किसी स्कूल में पढ़ा कैसे सकता है। शहीद के पिता रवि प्रताप सिंह ने अपने बेटे के ससुराल वालों पर भी बड़ा आरोप लगाया कि जो कुछ भी हो रहा है शायद उन लोगों के इशारे पर।आंखों में भरे हुए आंसुओं के साथ शहीद के पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा कि मेरा बेटा मेरी बहू स्मृति से बहुत प्यार करता था। दोनों की शादी को तीन महीने ही तो हुए थे। शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति पेशे से इंजीनियर हैं। जबकि माता-पिता स्कूल के प्रधानाचार्य। शहीद कैप्टन के पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा- मेरा बेटा शादी के 3 महीने बाद ही फ्रंट पर शहीद हो गया। उसके कुछ दिन बाद ही हमारी बहू स्मृति घर छोड़कर चली गई।
और बहू चली गई
शहीद कैप्टन की मां ने कहा कि मेरी बहू नोएडा वाले मकान में रहती थी। जब मेरी बेटी यहां से गई तो पता चला कि मेरी बहू अपना सारा सामान पैक करके चली गई। इस दौरान हमने घर पर पूजा करने की भी बात बताई। लेकिन वह पूजा में भी नहीं आई। अब तो मेरा बेटा भी चला गया बहू भी चली गई। साथ में मेरी इज्जत भी चली गई। शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने अपने एक बयान में कहा कि बेटा तो उनका बेटा शहीद हुआ लेकिन, उन्हें ही कुछ नहीं मिला। सम्मान और अनुग्रह राशि दोनों बहू लेकर चली गई।
सेना की प्रक्रिया पर उठाए सवाल
पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा कि सेना की एक प्रक्रिया है उसके मुताबिक शहीद के निकटतम परिजन को मुआवजा मिलता है। इसका एक बड़ा हिस्सा उनकी बहू को मिला। और अब पेंशन भी उसे ही मिलेगी। इंश्योरेंस में दोनों को बराबर मिला। उत्तर प्रदेश सरकार से 35 लाख उनकी बहू को मिला 15 लाख उन्हें मिले। मां ने कहा कि अब उनकी बहू कह रही है कि पैसा हमें सरकार से मिल रहा है। शहीद कैप्टन के पिता का कहना है कि सरकार और सेना दोनों को इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि क्या उनकी प्रक्रिया आज के इस बदलते दौर के लिए एकदम सही है।
राहुल गांधी से मिले शहीद के पिता
क्या इसमें कुछ संशोधन किया जा सकता है ताकि हम जैसे अभागे माता पिता को कुछ राहत मिल सके। इसी बीच शहीद के पिता रवि प्रताप सिंह नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मिले और उन्हें अपने दुखड़ा कहकर सुनाया। एक शहीद पिता के आंसू पोंछते हुए राहुल गांधी ने उन्हें भरोसा दिया है कि इस बारे में वो देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिलकर बात भी करेंगे और जो मुमकिन हो सका तो कुछ करने की कोशिश जरूर करेंगे।
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