पूरी वारदात की 6 मार्च 2017 की है । मुंबई की रहने वाली 12 साल की बच्ची अपने घर के बाहर किसी काम से गई थी तभी इलाके के ही रहने वाले 28 साल के मोहम्मद मंसूरी ने पहले तो बच्ची को आंख मारी, उसके बाद उसने बच्ची को सौ रुपये का नोट दिखाया और अपने साथ चलने के लिए बोला।
लड़की को 100 का नोट दिखाकर बोला था ‘चल मेरे साथ’ कोर्ट ने चार साल के लिए जेल के अंदर टिका दिया
Man who told girl ‘chal mere saath’ gets 4-year jail
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13 Aug 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:03 PM)
मंसूरी की ये हरकत देखकर बच्ची बेहद डर गई और वो सीधे अपने घर पहुंची। पूरी वारदात के बारे में उसने अपनी मां को बताया। जब उसके पिता घर आए तो मां ने बेटी के साथ हुई हरकत की इत्तिला दी।
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जिसके बाद बच्ची के पिता दोषी मोहम्मद मंसूरी को इलाके में ढूंढने लगे। उन्हें वो एक जगह आईसक्रीम खाते हुए दिखा, जिसके बाद बच्ची के पिता ने मंसूरी को थप्पड़ रसीद कर दिया। मारपीट होते देख जब लोग वहां पर इकट्ठा हुए और उन्हें मंसूरी की हरकत के बारे में पता चला तो सबने मिलकर मंसूरी की पिटाई कर डाली। पुलिस को भी इत्तिला दी गई और मौके पर पुलिस भी पहुंच गई।
पुलिस ने मंसूरी के खिलाफ पोक्सो की धाराओं में केस दर्ज कर उसे जेल भेज दिया। मार्च 2017 में गिरफ्तार हुए मंसूरी को जनवरी 2018 में जमानत मिल गई। हालांकि वो जमानत के बाद फरार हो गया।
पुलिस ने उसे दोबारा मई 2018 में गिरफ्तार कर लिया और इस बार कोर्ट ने उसकी हरकत देखकर जमानत देने से इंकार कर दिया। तब से मंसूरी जेल में ही बंद था। उसका केस कोर्ट में चल रहा था और अब कोर्ट ने उसे चार साल की सजा सुनाई है जिसमें आंख मारने और चल मेरे साथ बोलने को शारीरिक शोषण माना गया है।
लड़की के मुताबिक ये मार्च 2017 में पहली बार नहीं था जब उससे दुगनी उम्र के मंसूरी ने उससे छेड़छाड़ करी हो। वो लगातार उसका पीछा करता था और उससे छेड़खानी किया करता था।
अदालत में मंसूरी के खिलाफ सात गवाह पेश किए गए जिनमें पीड़ित बच्ची और उसकी मां मुख्य गवाह थीं। सुनवाई के दौरान ये बात भी सामने नहीं आई कि मंसूरी और बच्ची के परिवार के बीच कोई पुरानी दुश्मनी रही हो जिसकी वजह से मंसूरी का फंसाया जा रहा हो।
अपने बयानों में भी बच्ची डटी रही और उसने अपने परिवार से लेकर किसी के भी दबाव में बयान नहीं देने की बात कही। बच्ची के बयानों और बाकी सबूतों की बिनाह पर कोर्ट ने मंसूरी को चार साल की सजा सुनाई है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि इस तरह की सजा का खौफ ऐसे मनचलों के दिलों में भी बैठेगा जो इस तरह की वारदात को अंजाम देते हैं।
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