जेल में अय्याशी: चिप्स और चखने के साथ कैदी पी रहे हैं शराब! वीडियो वायरल

Delhi की मंडोली जेल की एक video हुई viral, जिसमें दो खूंखार अपराधियों चिप्स और चखने के साथ शराब पीते नजर आए, मामले की जांच आदेश, and for more crime news in Hindi visit CrimeTak.in

CrimeTak

26 Aug 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:03 PM)

follow google news

दिल्ली के दो खूंखार अपराधियों का वीडियो वायरल हुआ है। यह वीडियो नीरज बवानिया गैंग के राहुल काला और नवीन बाली का है। जो अपने साथियों के साथ जेल के अंदर बैठकर स्नैक्स और मदिरा का सेवन कर रहा है। यह वीडियो किसी लॉकअप या मंडोली जेल का है, या किसी और जेल का, इसकी जांच चल रही है। हालांकि शुरुआती तौर पर ऐसा लग रहा है कि ये वीडियो मंडोली जेल का हो सकता है। कुछ इनपुप्ट्स इस तरह के मिले हैं। यही वजह है कि वीडियो की जांच मंडोली जेल के अफसर भी कर रहे हैं। साथ ही दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अफसर भी इस वीडियो की जांच की बात कर रहे हैं। स्पेशल सेल वीडियो की जांच इसलिए कर रही है, क्योंकि ये कथित तौर पर कुख्यात गैंगस्टरों का वीडियो है।

24 सैकेंड का वीडियो का पूरा सच

ये वीडियो 14 सैकैंड का है। इसमें कुल 6 कैदी नजर आ रहे है, जिनमें से एक कैदी वीडियो शूट कर रहा है। जांच में पता चला है कि जिस जगह पर ये लोग बैठ कर शराब का सेवन कर रहे है, उसके पीछे भी एक LOCK UP में कुछ कैदी दिखाई दे रहे है। इसमें जो बदमाश नजर आ रहे है वो नीरज बवानिया के राहुल काला और नवीन बाली है। बाकी बदमाशों की भी पहचान हो गई है, पर तिहाड़ जेल प्रशासन अभी खुल कर कुछ नहीं बोल रहा है।

सवाल फिर वही , मोबाइल जेल या LOCK UP के अंदर कैसे ?

बार बार ये सवाल उठता रहता है कि आखिर जेल के या LOCK UP के अंदर कैसे मोबाइल पहुंच रहा है और इस वीडियो में तो साफ देखा जा रहा है कि बदमाश शराब का सेवन भी कर रहे हैं और वीडियो भी शूट हो रहा है।

बिना प्रशासन की मर्जी के क्या यह संभव है ?

ये SETTING का खेल है। बिना प्रशासन के मर्जी या यूं कहे कि बिना सैटिंग के ये संभव ही नहीं है। इसके लिए बाकायदा अधिकारियों को या तो रिश्वत के तौर पर पैसे दिए जाते है या फिर कुछ और।

क्या दिखाना चाहते है ऐसा वीडियो शूट करके बदमाश ?

क्या जानबूझ कर ऐसा वीडियो शूट करके लीक किया जाता है ?

पुलिस की मानें तो बदमाश ये दिखाने चाहते हैं कि किस तरह से जेल में भी वो कैदियों की तरह नहीं रह रहे है। कानून उनके लिए अलग है। वो जेल के अंदर कुछ भी कर सकते है। कई बदमाश जानबूझ कर इस तरह का वीडियो लीक करवाते है ताकि MARKET में उनका नाम बना रहे। हालांकि इससे कई बार उलटा भी हो जाता है। जांच में अगर आरोप सही पाए जाए तो प्रशासन द्वारा सख्ती भी की जाती है और जरूरत पड़ने पर मुकदमा दर्ज कर अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई होती है।

ये कोई पहली बार नहीं, जब ऐसे मामले सामने आए हो

हाल ही में बदमाश अंकित गुर्जर की कथित तौर पर हत्या में तिहाड़ जेल प्रशासन ने कार्रवाई की, तिहाड़ के अफसरों का नाम सामने आया हत्या में। इससे पहले रोहिणी जेल में बंद कैदी सुकेश के पास से मोबाइल फोन बरामद हुआ। साथ साथ ये भी साफ हुआ कि वो जेल के अंदर से कैसे अपना नेटवर्क चला रहा है। इससे साफ है कि ये खबर आए दिन आती है। कार्रवाई भी होती है। लेकिन घटनाएं रुकती नहीं है।

आखिर क्यों ?

क्या अधिकारी थक चुके है इस तरह की कंपलेट्स से ?

क्या अधिकारियों को ऐसा लगता है कि शांति से उनका कार्यकाल पूरा होना चाहिए, ये मामले तो रुकने वाले नहीं है। क्यों आए दिन पंगा लिया जाए ?

क्यों नहीं रुक रहे जेलों के अंदर ये मामले ?

क्या फोर्स की कमी है ?

या यूं कहे कि अफसरों में काम करने की इच्छा शक्ति की कमी है ?

क्या MOTIVATION की कमी है फोर्स में ?

क्या WORKLOAD ज्यादा है अफसरों पर ?

क्या कुछ हजार कैदी भारी पड़ रहे है तीनों जेलों के अधिकारियों पर ?

क्या सैलरी कम है तिहाड़ के अफसरों की ?

क्या ये सच है कि बातें सभी करते है सुधार की , लेकिन वास्तव में सुधार होता नही है ?

क्यों सरकार इस ओर ध्यान नहीं देती की अगर फोर्स कम है तो उसे बढ़ाया जाए ?

क्या सरकार पैसे खर्च नहीं करना चाहती या यूं कहे कि थोड़े संसाधनों में ज्यादा काम लेने के रूल को फोलो करती है सरकार ?

क्या कहा तिहाड़ जेल के डीजीपी ने...

इस बाबत तिहाड़ जेल के डीजीपी संदीप गोयल का कहना है कि ये वायरल वीडियो बहुत दिनों पहले का या अब का। कहां का है, किसने शूट किया है। कैसे वायरल हो गया। इन सभी एंगल्स से मामले की जांच चल रही है। दरअसल, दिल्ली में तीन जेल है, जिनमें एक तिहाड़ जेल , मंडोली जेल और रोहिणी जेल है। ऐसे में अब जांच का विषय ये है कि क्या ये वीडियों मंडोली जेल का है या किसी और जेल का।

नजरिया

होना ये चाहिए कि सरकार को QUALITY WORK पर ध्यान देना चाहिए न कि FORMALITY के लिए काम करना चाहिए। इससे काम अच्छा होगा और अच्छे रिजल्ट भी आएंगे। लेकिन होता इसके बिल्कुल उलट है। ये सच है कि ये सवाल नए नहीं है, लेकिन ये भी सच है कि ये सोच कि कुछ नहीं होगा और ऐसे ही काम चलेगा वाली रणनीति सभी के लिए घातक है, क्योंकि फिर नया करने और सुधार की गुजाइंश खत्म हो जाती है। लेकिन सवाल ये भी उठता है कि आखिर नया करने की जरूरत क्या है और क्यूं है, जब पुराने से काम चल रहा है। यानी नौकरी चल रही है, पैसे आ रहे है और सिस्टम तो धीरे धीरे सुधर ही जाएगा या नहीं सुधरेगा। हम क्या फर्क पड़ता है। हम तो ठीक है न। इस मानसिकता से गड़बड़ हो रही है।

    यह भी पढ़ें...
    follow google newsfollow whatsapp