Kanpur Kushgra Murder Case: कानपुर के कुशाग्र हत्याकांड का खुलासा करने वाले सोसाइटी के एक गार्ड को अब अपनी जान की सुरक्षा को लेकर चिंता सताने लगी है। हालांकि इस हत्याकांड का खुलासा करने में सबसे अहम रोल निभाने वाले सोसाइटी के गार्ड को पुलिस ने सम्मानित भी किया है मगर अब कुशाग्र को उन लोगो से अपनी जान की चिंता सता रही है कि जिन्होंने कुशाग्र की हत्या की।
Kanpur Murder Case: कुशाग्र के 'कातिलों' को पहचानने वाले सिक्योरिटी गार्ड को सताने लगा जान का खतरा
Kanpur Kushgra Murder Case: कानपुर के कुशाग्र हत्याकांड का खुलासा करने वाले सोसाइटी के एक गार्ड को अब अपनी जान की सुरक्षा को लेकर चिंता सताने लगी है।
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कुशाग्र हत्याकांड में अब पुलिस ने रचिता के अलावा उसके बॉयफ्रेंड प्रभात और उसके एक दोस्त शिवा को
02 Nov 2023 (अपडेटेड: Nov 2 2023 5:05 PM)
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सिक्योरिटी गार्ड ने पहचाना था लेटर देने वालों को
बताया जा रहा है कि इस मामले में मुख्य आरोपी प्रभात को सबसे पहले गार्ड राजेंद्र ने ही पहचाना था, क्योंकि जब प्रभात फिरौती वाला लेटर कुशाग्र के घर पर फेंकने आया था तभी उस पर राजेंद्र की नज़र पड़ गई थी। बात में उसके इसी इनपुट की वजह से पुलिस को केस सुलझाने में सहूलियत हुई थी। बताते चले कि कुशाग्र की ट्यूशन टीचर रचिता बत्स और उसके प्रेमी प्रभात शुक्ल ने इस हत्याकांड की साजिश रची थी।
ऐसे सामने आया हत्या का किस्सा
दसवीं में पढ़ने वाला कुशाग्र कनोडिया रोज की तरह अपनी स्कूटी लेकर कोचिंग सेंटर के लिए निकला था। वो आम तौर पर रात के आठ बजते-बजते घर वापस लौट आता था, लेकिन इस रोज़ 9 बज जाने पर भी कुशाग्र का कोई अता-पता नहीं था। ऐसे में घरवालों ने उससे बातचीत करने की कोशिश की। उसे फोन लगाया, लेकिन उसका मोबाइल लगातार नॉट रिचेबल आ रहा था। अभी घरवाले कुशाग्र को लेकर परेशान ही थे कि तब तक कुछ ऐसा हुआ कि कनोडिया परिवार के होश उड़ गए। उनकी बिल्डिंग के नीचे तैनात सिक्योरिटी गार्ड राजेंद्र ने अचानक उनके घर की घंटी बजाई... दरवाजा खोलते ही गार्ड ने बताया कि अभी स्कूटी पर दो लोग आए थे और वो ये चिट्ठी दे कर गए हैं। घरवालों ने जैसे ही सादे कागज पर लिखी वो चिट्ठी खोली, उनके पैरों तले जमीन खिसक गई, चिट्ठी में लिखा था।
"मैं नहीं चाहता कि आपका त्यौहार बर्बाद हो। आप मेरे हाथ में पैसे रखो और लड़का 1 घंटे बाद आपके पास होगा। हम आपको फोन करेंगे। अल्लाह हू अकबर। इस लड़के की गाड़ी और इसका मोबाइल दोनों आपके घर के पास होटल द सिटी क्लब के पास खड़ी है। मैं आपका नुक़सान नहीं चाहता। आपसे बार-बार बोल रहा हूं कि घबराओ ना। आप अल्लाह पे भरोसा रखो। आपसे निवेदन है कि आप ये बात पुलिस और ना ही अपनी लखनऊ वाली फैमिली, ना ही अपने अलग-बगल किसी को बताएं कि हमने आपके कुशाग्र को किडनैप कर लिया है। आपके पास दो या तीन दिन का समय है। आप जल्दी से 30 लाख का इंतजाम कर लो और ये बात कहीं भी फैली तो उसके जिम्मेदार आप स्वयं होंगे।"
चिट्ठी ने निकाल दी परिवार की जान!
ये चिट्ठी पढ़ते ही पूरे कनोडिया परिवार की सांसें अटक गईं। चिट्ठी में और भी कई ऐसी बातें लिखी थीं, जिससे ये साफ हो रहा था कि कुशाग्र को अगवा करने वाले लोग कनोडिया परिवार को अच्छे से जानते हैं यानी परिवार के करीबी हैं। लेकिन वो कौन हैं ये साफ नहीं था। कुशाग्र कानपुर में कपड़ा के बडे कारोबारी मनीष कनोडिया का बड़ा बेटा था। रोज अकेले ही ट्यूशन के लिए जाता था.. लेकिन जिस तरह से वो गायब हो गया था और अब ये चिट्ठी मिली थी, वो अपने-आप में किसी बड़ी अनहोनी का डर पैदा कर रहा था। अब परिवार ने बिना देर किए पुलिस को इसकी खबर दी। पुलिस ने कुशाग्र के मोबाइल नंबर को ट्रैक करने की कोशिश करने के साथ-साथ पूरे रूट की सीसीटीवी फुटेज की स्कैनिंग की तैयारी करने लगी।
स्कूटी से गहराया शक
इस बीच घरवालों ने चिट्ठी देकर जाने वाले बदमाशों के बारे में ज्यादा जानकारी जुटाने के इरादे से गार्ड से पूछताछ की। गार्ड ने बताया कि चिट्ठी देने वाले दोनों लड़कों ने अपने चेहरे पर मास्क लगा रखा था। वो लड़कों को तो नहीं पहचान सका, लेकिन वो जो स्कूटी लेकर आए थे, वो रचिता मैम की थी। रचिता मैम असल में कुछ साल पहले तक कुशाग्र को ट्यूशन पढ़ाती थी। और इन दिनों रचिता कुशाग्र के छोटे भाई की ट्यूटर थी यानी रचिता कनोडिया परिवार को और कनोडिया परिवार रचिता को अच्छी तरह जानता था। गार्ड ने स्कूटी का नंबर भी नोट कर लिया था, नंबर प्लेट में सिर्फ एक लेटर को छोड दें तो ये नंबर भी रचिता की स्कूटी का ही था।
चिट्ठी में मांगी गई 30 लाख की फिरौती
अब कुशाग्र के घरवालों ने सीधे रचिता को फोन किया। लेकिन कुशाग्र के किडनैपिंग की बात सुन कर रचिता भी हैरान हो गई। उसे कुशाग्र की गुमशुदगी के बारे में कुछ भी पता नहीं था। लेकिन जब कुशाग्र के घरवालों ने रचिता से उसकी स्कूटी के बारे में पूछा तो रचिता ने बताया कि स्कूटी उसका दोस्त प्रभात अपने साथ लेकर गया है। प्रभात असल में रचिता का ब्वॉयफेंड था और स्कूटी भी उसी के नाम पर पर थी। लेकिन जिस तरह कनोडिया परिवार को भेजी गई फिरौती की चिट्ठी में अल्लाह हू अकबर लिखा था, वो कुछ और ईशारा कर रहा था। लग रहा था कि शायद कुशाग्र को अगवा करने वाला कोई मुस्लिम है। ऐसे में पुलिस उलझन में थी। चिट्ठी में कुशाग्र की वापसी के बदले 30 लाख रुपये मांगे जाने के साथ-साथ और भी कई चौंकाने वाली बातें लिखी थीं।
''आप जल्दी से 30 लाख का इंतजाम करो और अपना बच्चा एक घंटे बाद घर में देखो। और पैसे ले के रात में 2 बजे कोका-कोला चौराहे पर मिलो। मैं पैसे लेने आऊंगा। जैसे पैसे मेरे हाथ में आ गए, ठीक उसके एक घंटे बाद लड़का आपके घर में होगा। और पैसे की व्यवस्था हो जाए, तो घर के चारों तरफ पूजन वाला झंडा लगा देना। मैं देख लूंगा फिर आपको फोन करूंगा। और कोई भी होशियारी हुई तो उसके जिम्मेदार आप स्वयं होंगे। मेरी नजर आपके घर पर ही होगी। कोई भी बात बाहर पता चली, तो आप ध्यान रखना और आप बिल्कुल भी ना घबराओ। आपका लड़का सही सलामत घर पहुंच जाएगा। पर उसकी जिम्मेदारी आपके ऊपर है।"
रचिता और प्रभात शक के दायरे में
किडनैपर जिस तरह से कनोडिया परिवार के घर पर नजर रखने की बात कह रहा था, उससे साफ था कि वो कहीं आस-पास ही है। हालांकि फिरौती की चिट्ठी पहुंचाने में इस्तेमाल हुई स्कूटी की वजह से अब रचिता और प्रभात शक के दायरे में आ चुके थे। लेकिन बगैर किसी सबूत के उन्हें पकड़ा नहीं जा सकता था। पुलिस ने रचिता को पूछताछ करने के लिए बुलाया, तो कुछ ही देर बाद प्रभात भी वहां आ पहुंचा। अब रचिता और प्रभात दोनों ही कुशाग्र की किडनैपिंग से खुद को बेखबर बताने लगे। वारदात को लेकर अफसोस जताने लगे। इस बीच जब पुलिस ने ओम नगर में मौजूद प्रभात के घर के आस-पास लगे सीसीटीवी फुटेज की स्कैनिंग की, तो ये देख कर चौंक गई कि कुशाग्र शाम को ही प्रभात के साथ उसके घर के अंदर जाता हुआ दिख रहा था। बाद में घर से प्रभात, रचिता और एक तीसरा शख्स भी बाहर निकलते हुए कैमरे में कैद हुए थे, लेकिन प्रभात के घर से कुशाग्र के बाहर आने की कोई तस्वीर सीसीटीवी में नहीं थी।
16 साल के कुशाग्र की लाश मिली
अब पुलिस का शक यकीन में बदल चुका था कि इस मामले में जरूर प्रभात और रचिता का हाथ है। दोनों पहले ही पुलिस के पास थे। पुलिस ने जैसे ही पूछताछ के दौरान दोनों से सख्ती की, दोनों टूट गए। और कुशाग्र की किडनैपिंग में अपना हाथ होने की बात तो मानी ही, लेकिन साथ ही एक ऐसी बात बताई कि पुलिस वाले भी सन्नाटे में आ गए। दोनों ने बताया कि वो कुशाग्र की जान ले चुके हैं। और उसकी लाश प्रभात के घर में ही पडी है। अब कानपुर पुलिस की एक टीम प्रभात और रचिता को लेकर सीधे प्रभात के घर पर पहुंची। और वहां प्रभात के मकान के स्टोर रूम से 16 साल के कुशाग्र की लाश मिल गई। प्रभात ने बताया कि उसने अपनी गर्लफेंड रचिता और अपने दोस्त शिवा के साथ मिलकर शाम को ही कुशाग्र को मार डाला था।
जान लेने के बाद फिरौती वसूलना चाहते थे
अब पुलिस कुशाग्र की लाश बरामद कर चुकी थी। और कातिल के तौर पर उसके पास तीन लोग थे। एक कुशाग्र की ट्यूशन टीचर रही रचिता, जिसने उसे पूरे सात साल तक ट्यूशन पढ़ाया था, दूसरा उस ट्यूशन टीचर का ब्वॉयफेंड प्रभात और तीसरा प्रभात का दोस्त शिवा। गिरफ्तार होने के बाद प्रभात और शिवा ने ये भी मान लिया कि वो कुशाग्र की जान लेने के बाद भी उसके घरवालों से फिरौती वसूलना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने ही चेहरे पर नकाब लगा कर कुशाग्र के घर के नीचे तैनात सिक्योरिटी गार्ड को फिरौती वाली वो चिट्ठी सौंपी थी।
किसी मुस्लिम का हाथ है?
खास बात ये थी कि चिट्ठी में उन्होंने जानबूझ कर अल्लाह हू अकबर और अल्लाह पर भरोसा रखने जैसी बात लिखी थी, ताकि घरवालों को लगे कि मामले में किसी मुस्लिम का हाथ है और उन पर कोई शक ना करे। लेकिन सच्चाई यही है कि चिट्ठी देने में इस्तेमाल की गई स्कूटी और चिट्ठी में लिखी बातों से उनकी पोल खुल गई। लेकिन अब बडा सवाल ये था कि क्या ये मामला सिर्फ फिरौती का था? या फिर इसके पीछे कोई और भी कहानी है? अगर मकसद सिर्फ फिरौती ही थी तो उन्होंने जल्दबाजी में कुशाग्र की जान क्यों ले ली? और सबसे अहम ये कि उन्होंने कुशाग्र को कब और कहां से कैसे अगवा किया? तो तफ्तीश में इन सवालों का जवाब भी सामने आ गया।
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