Kanpur clashes: कानपुर में बवाल पर खड़े हुए सवाल, उपद्रव में PFI के हाथ की हो रही है जांच

Kanpur clashes: 3 जून को कानपुर (Kanpur) में जो बवाल (clashes) हुआ उसे लेकर अब सवाल (Question) खड़े होने लगे हैं, और उन्हीं सवालों के जवाब (Answer) तलाशना पुलिस के लिए नई चुनौती (Challenge) बन गई है

CrimeTak

09 Jun 2022 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:19 PM)

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Kanpur clashes: कानपुर के जिस इलाके में 3 जून को पत्थर (Stone pelting) बरसाए गए थे, जिस चंद्रेश्वर हाता (Chandreshwar Haata) पर लोगों को टारगेट (Target) किया गया था, अब वहां हालात बदल रहे हैं। और पूरे इलाक़े में कुछ ऐसे पोस्टर (Poster) भी चस्पा हो गए हैं जिस पर लिखा हुआ है ‘पलायन नहीं पराक्रम करेंगे’।

हिंसा और उपद्रव के जरिए जो खौफ चंद्रेश्वर हाता पर छाया हुआ था अब उस डर से चंद्रेश्वर हाता आज़ाद होता दिखाई देने लगा है।

कानपुर की नई सड़क इलाके में हिंसा का मुख्य टारगेट था चंद्रेश्वर हाता। क्योंकि यहीं सबसे पहले पत्थरबाजी शुरू हुई थी। पथराव और तनाव के बाद यहां रहने वाले परिवारों ने आरोप लगाया था कि इनकी अरबों की जमीन हड़पने के लिए ही दूसरे समुदाय के भू माफियाओं ने 3 जून को उपद्रव करवाया।

चश्मदीदों का तो यहां तक कहना है कि चंद्रेश्वर हाता के आस पास मौजूद ऊंची इमारतों से खूब पत्थरबाजी हुई थी। पुलिस ने उस इलाक़े के आस पास लगे तमाम सीसीटीवी खंगाले तो उसमें पत्थरबाजों का चेहरा देखने को मिल गया।

Police Action in Kanpur: इसके बाद शुरू हुआ कानपुर पुलिस और प्रशासन का असली काम। बुधवार को चंद्रेश्वर हालात इलाके में बुलडोजर पहुंच गया। और हिंसा में इस्तेमाल किए गए पत्थरों को बुलडोजर और ट्रक की मदद से हटा दिया गया।

अब सवाल यही है कि कानपुर का अमन चैन बिगाड़ने वाले असली मुजरिम कौन हैं? किसने पूरी साजिश रची और उसे अंजाम तक पहुंचाया?

हिंसा को लेकर उठ रहे सवालों के बीच पुलिस ने अभी तक 54 लोगों को गिरफ्तार किया है। उपद्रवियों की तस्वीरों वाले पोस्टर जारी कर उनकी पहचान भी की जा रही है, ताकि सच से पर्दा जल्द से जल्द उठाया जा सके। मुख्य आरोपी जफर हयात हाशमी भी पुलिस की गिरफ्त में है, लेकिन अब तक तमाम सवालों का जवाब नहीं मिला है।

पुलिस इसी कोशिश में है कि उसे जफर हयात हाशमी और तीन अन्य आरोपियों की 14 दिन की रिमांड मिल जाए।

Kanpur Riot And PFI Link: लेकिन पुलिस के सामने कई चुनौतियां हैं। और सबसे बड़ी चुनौती है PFI का लिंक सामने आने के बाद इस कनेक्शन की गुत्थी सुलझाने की है। जितने बड़े पैमाने पर 3 जून को हिंसा हुई, उसमें कहीं ना कहीं बड़ी साजिश महसूस की जा रही है। ऐसे में यही सवाल उठता है कि आखिर हिंसा के पीछे की असलियत क्या है? पुलिस कई सवालों के जवाब जानना चाहती है.. मसलन..

हिंसा में PFI की क्या भूमिका रही?

जफर हयात हाशमी की क्या भूमिका है?

क्या जफर ने PFI की मदद से फंडिंग जुटाई?

3 जून की हिंसा में कौन-कौन से चेहरे अहम हैं?

और सबसे अहम सवाल

नूपुर शर्मा पर एक्शन की मांग के बहाने ऐसी हिंसा की तैयारी कब से की जा रही थी?

कानपुर हिंसा में कई नाबालिगों के नाम भी सामने आए हैं। उनमें से एक नाबालिग ने दो दिन पहले थाने जाकर सरेंडर भी कर दिया। नेशनल कमीशन फॉर पोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट का कहना है कि वैसे नाबालिगों को हिंसा के लिए नाबागिल बच्चों का इस्तेमाल किया गया। लिहाजा आयोग ने कानपुर पुलिस से इस पर रिपोर्ट मांगी है।

हिंसा के तार कहां से जुड़े हैं, किन किन चेहरों से जाकर मिलते हैं.. ऐसे तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए कानपुर पुलिस अब रातदिन पसीना बहा रही है।

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