Joshimath crisis: दरारों की चपेट में जोशीमठ, दिल्ली की तर्ज पर नक्शा बनाने से आई तबाही

Sinking Joshimath: जोशीमठ हर पल धंसता जा रहा है, इलाके के लोगों का आशियाना उजड़ रहा है, हालात हर गुजरते पल के साथ और भी ज्यादा भयानक होते जा रहे हैं। दारारों ने पूरे इलाके को अपनी चपेट में ले लिया है

CrimeTak

11 Jan 2023 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:33 PM)

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Joshimath crisis: उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath) में जो कुछ हो रहा है, उसने समूचे देश को झकझोरकर रख दिया है। यहां हर गुजरते पल के साथ हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। दरारों की चपेट में पूरा इलाक़ा आ चुका है। हर रोज यहां दरारों वाले घरों की गिनती अचानक कई गुना बढ़ जाती है।

56 मकानों में दरार पड़ने का जो सिलसिला पिछले हफ्ते शुरू हुआ था अब तक वहां 723 मकान इस विकराल दरार की गिरफ्त में पूरी तरह से आ चुकी है। आलम ये है कि यहां सैकड़ों परिवारों को अपने अपने आशियानों को छोड़कर भागना पड़ रहा था।

ताजा मिली खबरों के मुताबिक दरार से पूरी तरह से घिरे मकानों और होटलों को सरकार की तरफ से तोड़न के आदेश दे दिए गए हैं। इसी बीच मकान और होटल के मालिकों के विरोध के बीच सरकार की दरार वाले घरों को गिराने की मुहिम मंगलवार को पूरी नहीं हो सकी।

Joshimath Landslide: इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जोशीमठ के 131 परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है। इलाके के भूगोल में हो रहे बदलाव पर नज़र रखने वाले जानकारों का कहना है कि ये सिलसिला फिलहाल जोशीमठ तक ही रुकने वाला नहीं है।

क्योंकि जिस तरह से विकास के नाम पर बहुत सी पर्यावरण वाली चीजों को नज़रअंदाज करके हम अंधी दौड़ में शामिल हो रहे हैं...ये उसी का नतीजा है और अगर ये सिलसिला यूं ही चलता रहा तो जोशीमठ ऐसे हालात का आखिरी ठिकाना नहीं  होगा।

राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति ने जोशीमठ में मौजूद रिव्यूय कमेटी की ताजा रिपोर्ट के बाद मंगलवार को कहा है कि इलाके में जिन घरों में आई दरारों के बीच घिरे परिवारों को मुसीबत से बाहर निकालने प्राथमिकता है।

रुड़की में मौजूद केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान यानी CBRI जोशीमठ में असुरक्षित इलाके के विनाश को रोकने के लिए सरकार की मदद करेगी।

joshimath News: उधर सुप्रीम कोर्ट ने जोशीमठ में दरारों वाले मकानों को फौरन गिराए जाने वाली याचिका की तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। अब ये मामला 16 जनवरी को सुना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ऐसे हालात से निपटने के लिए लोकतांत्रिक संस्थाएं मौजूद हैं और उनकी जिम्मेदारी है।

इसी बीच जोशीमठ के मौजूदा हालात के लिए अब एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगढ़ परियोजना निशाने पर आ गई है। हालांकि इस परियोजना में अब निर्माण कार्य को पूरी तरह से रोक दिया गया है। और इस सिलसिले में एनटीपीसी के तमाम दावों को खारिज कर दिया गया है। एनटीपीसी का दावा है कि उनकी परियोजना की सुरंग जोशीमठ के नीचे से नहीं गुज़र रही।

बीते सोमवार को ही जोशीमठ को संभावित आपदा वाला इलाक़ा घोषित किया गया है। जिसको लेकर पिछले एक महीने से स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए थे।

जानकारों की एक रिपोर्ट के मुताबिक मानव निर्मित और कुछ प्राकृतिक कारणों से जोशीमठ की ज़मीन धंस रही है। लिहाजा यहां की जमीन को विस्थापित किया जाना जरूरी है।

इसी बीच जानकारों की एक रिपोर्ट और भी ज्यादा चौंकानें वाली और डराने वाली सामने आ गई है। उसरिपोर्ट में हवाला दिया गया है कि उत्तराखंड के अलग अलग हिस्सों में करीब 66 ऐसी जगह हैं जहां से सुरंग निकाली जा रही है। इसकी वजह से पूरे इलाके को नुकसान होने के आसार बढ़ गए हैं। जमीन के भीतर हो रही खुदाई और विस्फोटों से पूरा इलाका जर्जर होता जा रहा है।

जानकारों की रिपोर्ट इसलिए भी चौंकाती है क्योंकि बीते पांच दशकों से सरकारों ने विशेषज्ञों की रिपोर्ट को जो नज़रअंदाज किया, जोशीमठ उसका की एक नतीजा है। जानकारों ने चेतावनी दी है कि अगर दिल्ली की तर्ज पर हिमालय का नक्शा तैयार किया जाएगा तो यकीनन हालात इससे भी ज़्यादा खतरनाक हो जाएंगे।

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