Jhulelal Temple Accident: अभी भी 1 व्यक्ति की जा रही है तलाश

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सुबह 11 बजे इंदौर आएंगे। मुख्यमंत्री भोपाल से रवाना हो चुके हैं। मुख्यमंत्री अस्पताल में मंदिर दुर्घटना में घायलों और उनके परिजनों से भेंट करेंगे। इसके पश्चात घटनास्थल का दौरा भी करेंगे।

Jhulelal Temple Incident

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31 Mar 2023 (अपडेटेड: Mar 31 2023 9:06 AM)

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Jhulelal Temple Incident: इंदौर में मंदिर में हुए हादसे में एक तरफ जहां मृतकों की संख्या 35 हो गई है, दूसरी तरफ प्रशासन का कहना है कि अब सिर्फ 1 व्यक्ति की ही तलाश की जा रही है, जो बावड़ी के अंदर जमी गाद में फंसा हो सकता है।  उधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सुबह साढ़े 9 बजे इंदौर आएंगे। मुख्यमंत्री भोपाल से रवाना हो चुके हैं। मुख्यमंत्री अस्पताल में मंदिर दुर्घटना में घायलों और उनके परिजनों से भेंट करेंगे। इसके पश्चात घटनास्थल का दौरा भी करेंगे।

 जिलाधिकारी डॉ. इलैयाराजा टी. ने कहा, ‘‘थलसेना,  एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की मदद से चलाया जा रहा हमारा खोज अभियान पूरा होने वाला है और अब तक 35 शवों को बावड़ी से निकाला गया है।’’

इलैयाराजा ने बताया कि प्रशासन को लापता लोगों की जो सूची उनके परिजन से मिली थी, उनमें से एक व्यक्ति को छोड़कर सभी लोगों के शव बावड़ी के बाहर निकाले जा चुके हैं।

जिलाधिकारी ने बताया कि बावड़ी में गाद बेहद ज्यादा है और गाद हटाकर लापता व्यक्ति की तलाश की जा रही है।

Jhulelal Temple Incident

इससे पहले, इंदौर संभाग के आयुक्त (राजस्व) पवन कुमार शर्मा ने बताया कि हादसे में घायल 16 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि दो अन्य व्यक्तियों को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया है।

चश्मदीदों ने बताया कि बृहस्पतिवार रात साढ़े 11 बजे के बाद बावड़ी से शवों को निकालकर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजे जाने का सिलसिला तेज हुआ।

थलसेना और एनडीआरएफ के संयुक्त दल को एक क्रेन और ट्रॉली की मदद से बावड़ी में नीचे उतारा गया, जिसने शवों को बाहर निकाला गया।

अधिकारियों ने बताया कि मंदिर के संकरी जगह में बने होने के कारण बचाव कार्य में शुरुआत में बाधा आई और मंदिर की एक दीवार तोड़ कर पाइप इसके भीतर डाला गया और बावड़ी का पानी मोटर से खींचकर बाहर निकाला गया।

एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि धार्मिक कार्यक्रम के दौरान मंदिर में पुरातन बावड़ी की छत पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ थी और छत ज्यादा लोगों का बोझ सहन नहीं कर सकी। मंदिर पुरातन बावड़ी पर छत डालकर बनाया गया था। 

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