अमेरिका की बनी M4 कार्बाइन से ताबड़तोड़ बरसाई गई थी गोलियां, हमले के पीछे है ये आतंकी संगठन

Terrorists Used US Made Rifle M4 Carbine : आतंकियों ने इस हमले में जिस हथियार का इस्तेमाल किया वो अमेरिका की बनीं राइफल M-4 कार्बाइन है।

जम्मू के राजौरी में सेना के काफिले पर हुए आतंकी हमले में अमेरिकी राइफल का इस्तेमाल किया गया

जम्मू के राजौरी में सेना के काफिले पर हुए आतंकी हमले में अमेरिकी राइफल का इस्तेमाल किया गया

22 Dec 2023 (अपडेटेड: Dec 22 2023 4:05 PM)

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Rifle M4 Carbine in Attack: एक बात साफ हो गई कि जम्मू कश्मीर के राजौरी में सेना के काफिले पर हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान की पनाह में सांस ले रहे आतंकी संगठन लश्कर ए तोएबा के सहयोगी संगठन पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट यानी PAFF का हाथ है। क्योंकि हमले के बाद इस संगठन ने जिम्मेदारी ले ली है। लेकिन इससे भी ज़्यादा खतरनाक बात ये सामने आई कि आतंकियों ने इस हमले में जिस हथियार का इस्तेमाल किया वो अमेरिका की बनीं राइफल M-4 कार्बाइनये है। ये हमला गुरुवार की दोपहर पौने चार बजे के आस पास हुआ। 

अमेरिका की बनी कार्बाइन M4 का इस्तेमाल किया गया हमले में

1980 के दशक में तैयार हुई थी राइफल

खुलासा यही है कि इस हमले के लिए आतंकियों ने जिस अमेरिकी राइफल का इस्तेमाल किया वो बेहद आधुनिक और खतरनाक राइफल मानी जाती हैं। M4 कार्बाइन अमेरिका ने 1980 के दशक में तैयार की थी जो बेहद हल्की होती है और सबसे बड़ी बात ये गैस से संचालित होने वाली राइफल है। कहा जाता है कि ये  राइफल अमेरिकी सशस्त्र बलों का प्राइमरी हथियार है। बताया जा रहा है कि इस राइफल का इस्तेमाल करीब 80 देशों के सैनिक करते हैं। 

आमने सामने की लड़ाई वाली राइफल

इस राइफल को आमने सामने की लड़ाई के लिए ही डिजाइन किया गया था। अलग अलग तरह की जंग की सूरत में ये हथियार बेहद सटीक माना जाता है। इसी वजह से अमेरिका में कानून की हिफाजत में लगे सैनिक इसका इस्तेमाल करते हैं और सैनिकों में ये राइफल बेहद लोकप्रिय भी है। 

पहले भी पकड़ी जा चुकी हैं राइफलें

सेना की तरफ से किए गए खुलासों में ये बात भी सामने आई है कि ये पहला मौका नहीं है जब आतंकवादियों ने इस तरह के आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया। पता चला है कि साल 2016 के बाद कश्मीर में किए गए कई ऑपरेशन में जैश ए मोहम्मद के आतंकवादियों के पास से यही M4 राइफलें और स्टील की गोलियां बरामद की थी। सेना के अफसरों की मानें तो स्टील की गोलियां शरीर को बहुत नुकसान पहुँचाती हैं। इसके अलावा ये गोलियां वाहनों की मोटी चद्दरों को भी बडी आसानी से भेद देती हैं। 

आतंकी हमले के बाद सेना की गाड़ी और आस पास बिखरा खून

जांच के लिए NIA की टीम भी पहुँच गई 

इसी बीच इस आतंकी हमले की जांच के लिए जम्मू कश्मीर के राजौरी में देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी NIA की टीम भी पहुँच गई है। डेरा की गली वाले इलाके में सेना की कई टुकड़ियां गश्त कर रही हैं और आस पास के इलाकों में सर्च ऑपरेशन चला रही हैं।  इसी बीच सेना की पुलिस ने इस हमले के सिलसिले में उसी इलाके के कुछ संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया है। खुलासा ये भी है कि सितंबर के महीने में जम्मू कश्मीर के कोकेरनाग इलाके में हुई आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ मामले की जांच को भी गृहमंत्रालय के आदेश के बाद एनआईए की टीम ने अपने हाथों में ले ली है। 

घात लगाकर सेना की गाड़ियों को निशाना बनाया

जम्मू कश्मीर में एक बार फिर आतंकी हमले का सामना सेना को करना पड़ा। राजौरी में पहाड़ी के ऊपर छुपकर और घात लगाकर आतंकियों ने सेना की गाड़ियों को निशाना बनाया और ताबड़तोड़ फायरिंग की जिसमें सेना के पांच जवान शहीद हो गए जबकि दो जवान गंभीर रूप से घायल हैं। 

राजौरी के धत्यार मोड़ पर एंबुश 

आतंकियों ने राजौरी के धत्यार मोड़ पर एंबुश लगाया। दरअसल ये पहाड़ी का वो इलाका है जहां से गुजरने वाली हर गाड़ी को धीमा होना ही पड़ता है। सेना का एक कारवां यहां से जैसे ही गुजरा। गाड़ियों के धीमा होते ही आतंकियों ने चारो तरफ से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। जिसमें सेना के पांच जवान शहीद हो गए। हालांकि इस एम्बुश के बाद सेना की टुकड़ियों ने सारे इलाके को घेर लिया और आतंकियों की तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया। 

सेना की दो गाड़ियों पर ताबड़तोड़ गोलिया बरसाई गई थीं

आतंकियों ने रेकी भी की

मिली जानकारी के मुताबिक राजौर में हुए इस आतंकी हमले में चार से पांच आतंकवादियों के शामिल होने की आशंका है। अब तक सामने आई जानकारी के मुताबिक ये आतंकी हमला डेरा की गली और बुफलियाज के बीच धत्यार मोड़ पर हुआ। लेकिन जिस तरह से ये हमला अंजाम दिया गया उससे ये अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि इस हमले से पहले आतंकियों ने रेकी भी की थी और उन्हें सेना के मूवमेंट की भी खबर थी। इसीलिए आतंकियों ने खुद को पहाड़ी पर पोजीशन किया और फिर सेना की गाड़ियों पर अंधाधुंध फायरिंग की। अंधा मोड़ और ऊबड़ खाबड़ रास्ता होने की वजह से वहां पर गाड़ियों को तेज रफ्तार में चलाना किसी भी सूरत में मुमकिन नहीं है। गुरुवार की शाम को भी धत्यार मोड़ पर जब सेना की गाड़ियों की रफ्तार धीमी हुई तो आतंकियों ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की लेकिन आतंकवदी उस जगह से भागने में कामयाब हो गए। इस हमले के बाद आतंकी सेना के जख्मी जवानों के हथियार भी ले जाने में कामयाब रहे ऐसी आशंका इसलिए भी जताई जा रही है कि शहीद जवानों के हथियार मौके से गायब मिले।

डेरा की गली और बुफलियाज के बीच धत्यार मोड़ पर हुआ हमला

तलाशी अभियान चलाया

जम्मू में सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्थवाल ने कहा कि आतंकियों की मौजूदगी के बारे में पुख्ता जानकारी मिलने के बाद 20 दिसंबर की रात पुंछ जिले के सूरन कोट इलाके में धेरा की गली में एक तलाशी अभियान चलाया। हालांकि वहां भी सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई। खबर यही है कि जैसे ही सुरक्षा बल का कारवां जैसे ही मौके की तरफ बढ़ा तभी सेना के ट्रक और जिप्सी पर आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। 

पांच जवान शहीद हो गए

सेना के प्रवक्ता के मुताबिक सेना के जवानों ने तत्काल पोजीशन लेकर जवाबी फायरिंग तो की लेकिन सेना के पांच जवान शहीद हो गए। लेफ्टिनेंट कर्नल बर्थवाल के मुताबिक उस पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी है। सामने आई तस्वीरों के मुताबिक सड़क पर खून, सैनिकों के टूटे हुए हेलमेट और सेना के दो वाहनों के टूटे हुए शीशे दिखाई दे रहे हैं। 

पिछले महीने भी हुआ था हमला

ऐसा ही एक हमला पिछले महीने राजौरी के पास बाजीमल में जंगल के इलाके में किया गया था। जिसमें आतंकियों की फायरिंग में दो कैप्टन समेत पांच सैनिक शहीद हो गए थे। बाद में लश्कर का एक शीर्ष कमांडर क्वारी को मुठभेड़ में मार गिराया गया था। ये आतंकी क्वारी वही है जिस पर दस नागरिकों के अलावा सेना के पांच जवानों की हत्या समेत घात लगाकर हमला करने का मास्टरमाइंड माना जाता था। 

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