Fight Against Terror: जम्मू कश्मीर में आतंकी वारदात कोई नई बात नहीं है। लेकिन आतंकियों के खिलाफ आम लोगों का बंदूक उठाना जरूर लीक से हटकर नज़र आता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जम्मू कश्मीर में अब आतंकियों को मुंह तोड़ जवाब देने का इरादा वहां के आम जन लोगों ने कर लिया है। और ये सब कुछ शुरू हुआ इसी साल पहली जनवरी के बाद। दरअसल पहली जनवरी की शाम दो आतंकियों ने पहले तो AK-47 से ताबड़तोड़ फायरिंग की और फिर एक घर के बाहर बम प्लांट किया। इस हमले में सात लोगों की मौत हो गई जबकि 11 लोग बुरी तरह से घायल हो गए। घायलों में दो बच्चे भी शामिल थे।
Fight Against Terror: राजौरी के गांव में अब डर के आगे जीत है, आतंकियों के खिलाफ अब हिन्दुओं ने उठाई बंदूक
Fight Against Terror: आतंकियों की वजह से डर के साये में जीने को मजबूर जम्मू कश्मीर में राजौरी इलाके के एक गांव में अब हिन्दुओं ने खुद बंदूक उठाकर आतंकियों का मुकाबला करने का नया बीड़ा उठाया है...गांव वालों की इस नई और नायाब मुहिम में जम्मू कश्मीर
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जम्मू कश्मीर में आतंकियों से मोर्चा लेने के लिए बन गई हैंं विलेज डिफेंस कमेटी
16 Feb 2023 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:36 PM)
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आतंकियों की इस हरकत ने वहां के लोगों को गुस्से से भर दिया। उनका मानना है कि अब यहां के आतंकियों को सबक जब तक वहां के लोग मिलकर नहीं सिखाएंगे तब तक आतंकी बाज नहीं आएंगे। लिहाजा जम्मू कश्मीर के राजौरी ज़िले में डांगरी गांव में आम लोगों के हाथों में अब बंदूकें आसानी से देखी जा सकती है। बंदूक थामने वालों में महिलाएं भी शामिल हैं।
माता पिता के साथ साथ अब बच्चे भी बंदूकों को चलाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं। इसी बीच एक ग्रामीण ने जो किस्सा सुनाया उससे इस ट्रेनिंग प्रोग्राम को ताकत भी मिल गई और लोगों में हौसला भी बढ़ गया। असल में गांव में रहने वाले एक शख्स बालकृष्ण ने बताया कि उसके पास एक पुरानी रायफल है। एक बार दो आतंकी किसी बड़ी वारदात के इरादे से उसके गांव के पास पहुँचे तभी उसने अपनी उसी पुरानी रायफल से फायर कर दिया। राइफल की फायरिंग की आवाज सुनकर आतंकी ये सोचकर भाग खड़े हुए कि गांव में फौज पहुँच गई।
बालकृष्ण के मुताबिक गांव में एक नहीं कम से कम 70 राइफल मौजूद हैं। लेकिन बदकिस्मती से पिछले कई सालों से वो राइफलें बस घर की दीवार पर टंगी ही हैं। उन्हें चलाना तो दूर किसी ने आंख उठाकर भी उनकी तरफ से नहीं देखा। करीब 25 साल पहले जम्मू कश्मीर में विलेज डिफेंस कमेटी बनाई गई थी और उसके तहत हरेक गांव में बंदूकें और राइफल गांव वालों को दी गई थीं। ये वो दौर था जब जम्मू कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था। मगर संयोग से सरकार की तरफ से दी गई बंदूकों की कभी जरूरत पड़ी ही नहीं।
इसी बीच राजौरी इलाके में विलेज डिफेंस कमेटी को डोडा की तर्ज पर तैयार करने की मुहिम शुरू हुई है। जम्मू कश्मीर पुलिस क डीजीपी दिलबाग सिंह ने दिलासा दिलाया है कि इस मुहिम में रिटायर्ड फौजी भी शामिल होंगे, जो न सिर्फ इस मुहिम की कमान भी संभालेंगे बल्कि गांव के लोगों को बंदूक चलाने की ट्रेनिंग भी देंगे।
अब सवाल यही उठता है कि आखिर ये VCD यानी विलेज डिफेंस कमेटी है क्या बला, और ये कैसे काम करती है?
असल में जिन परिवार के लोगों को आतंकियों ने निशाना बनाया सबसे पहले उसी परिवार के लोगों को बंदूक चलाने की ट्रेनिंग दी गई और उनसे बंदूक चलवाई भी गई। इसका असर ये हुआ कि गांव के तमाम लोग खुद सामने आए और बंदूक की ट्रेनिंग लेने की बात पर तैयार हो गए। तभी इस मुहिम में सीमा सुरक्षा बल को भी शामिल किया गया जिन्होंने गांव में जाकर गांव के लोगों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देने के साथ साथ बीएसएफ की फायरिंग रेंज में लाकर गांव वालों को रायफल चलाने की ट्रेनिंग दी गई।
एक गांव से शुरू हुई ये मुहिम अब तेजी से दूसरे गांवों में भी जंगल की आग की तरफ फैलती जा रही है। और इस जागरूकता की वजह से सीमा सुरक्षा बल के साथ साथ जम्मू कश्मीर पुलिस और भारतीय सेना में भी अलग तरह का उत्साह देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि अब इस मुहिम में आने वाले दिनों में भारतीय सेना भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेगी।
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