जम्मू: आतंकियों से मुठभेड़ में अब तक 44 जवान शहीद, 2021 से अब तक का आंकड़ा

जम्मू कश्मीर में आतंकवाद करवट ले रहा है। बीते दिनों घाटी से अलग जम्मू के इलाके में बढ़ी हुई आतंकवादी गतिविधि गवाह है कि आतंकवादी न सिर्फ भारत के खिलाफ आतंकी हमले बढ़ा रहे हैं बल्कि कश्मीर से निकल कर मैदानी इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं। जम्मू के इलाके में बीते तीन सालों में शहीद हुए 44 जवानों का आंकड़ा बताता है कि ये महज इत्तेफाक नहीं बल्कि भारत के दुश्मनों की सोची समझी रणनीति है।

CrimeTak

• 12:24 PM • 09 Jul 2024

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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जम्मू में बढ़े आतंकी हमलों में 44 जवानों की मौत

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भारतीय सेना ने जारी किया आंकड़ा

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घाटी के बाद अब आतंकियों का जम्मू पर निशाना

जम्मू से अशरफ वानी की रिपोर्ट

Jammu: जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में आतंकवाद करवट ले रहा है। बीते दिनों में घाटी से अलग जम्मू के इलाके में बढ़ी हुई आतंकवादी गतिविधि (Terrorist Activity) गवाह है कि आतंकवादी न सिर्फ भारत के खिलाफ आतंकी हमलों (Terrorist Attacks) की तादाद बढ़ा रहे हैं बल्कि कश्मीर से निकल कर मैदानी इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं। इस बदलाव की आहट सबसे पहले 11 अक्टूबर, 2021 को मिली जब पुंछ (Poonch) जिले के सुरनकोट (Surankote) और मेंढर (Mendhar) के बीच पड़ने वाले चमरेर और भट्टा डुरियन के जंगलों में आतंकवादियों और सेना (Indian Army) के बीच 10 दिनों तक गोलीबारी चली। ये कश्मीर में आतंकवाद के पुनरुद्धार (Revival) के पहले संकेत थे। तब से अब तक, यानी पिछले लगभग तीन सालों में 44 जांबाज सैनिक घाटी और घाटी के बाहर अलग-अलग आतंकवादी हमलों और मुठभेड़ों में शहादत दे चुके हैं।

2021 से शुरु हुआ आतंकियों का ऑपरेशन जम्मू

जम्मू क्षेत्र, जहां 11 अक्टूबर, 2021 को चमरेर के जंगलों में सेना के पांच जवानों की जान चली गई, वहीं 16 अक्टूबर, 2021 को भट्टा डुरियन के जंगलों में चार और जवान शहीद हो गए। इनमें से दो जेसीओ (Junior Commissioned Officer) थे। हालांकि इस हमले के बाद सघन कॉम्बिंग ऑपरेशन्स (Combing Operation) के बावजूद आतंकवादियों का पता नहीं चल सका। 30 अक्टूबर, 2021 को राजौरी के नौशेरा सेक्टर में सेना के दो और जवानों ने अपनी जान कुर्बान कर दी। 11 अगस्त, 2022 को राजौरी के दरहाल इलाके के परगल में एक आतंकी हमले में सेना के पांच जवान शहीद हो गए, जबकि दो फिदायीन मारे गए। 20 अप्रैल, 2023 को पुंछ के मेंढर इलाके के भट्टा दुर्रियन में सेना के पांच जवान शहीद हो गए, जबकि ठीक पंद्रह दिन बाद राजौरी जिले के कांडी में आतंकवादियों की ओर से किए गए आईईडी (Improvised Explosive Device) के धमाके में पांच पैरा कमांडो की जान चली गई और एक मेजर घायल हो गए।

घाटी में विदेशी आतंकी फिर से सक्रिय

पिछले ही साल के आखिर में 22 नवंबर, 2023 को, राजौरी के कालाकोट के धर्मशाल इलाके के बाजीमल में दो विदेशी आतंकवादियों (Foreign Terrorists) को मार गिराने के दौरान सेना के पांच जवान शहीद हो गए। इनमें से दो कैप्टन थे, जबकि सुरनकोट इलाके के डेरा की गली में पांच और बहादुर शहीद हो गए और दो बुरी तरह जख्मी हो गए। इसके बाद साल 2024 आने से ठीक पहले 21 दिसंबर, 2023 को पुंछ में एक जवान शहीद हुए जबकि 28 अप्रैल, 2024 को उधमपुर जिले के बसंतगढ़ में एक वीडीजी (Village Defence Guard) जवान की मौत हो गई। अगले ही महीने 4 मई, 2024 को पुंछ के सुरनकोट में एक भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) के जवान शहीद हो गये, जबकि 11 जून, 2024 को कठुआ के हीरानगर में एक सीआरपीएफ (CRPF) जवान ने आतंकवादियों से मुकाबला करते करते अपने प्राणों की आहूति दे दी।

कश्मीर टाइगर्स ने किया आतंकी हमला 

इसी कड़ी में सोमवार को कठुआ जिले के बिलावर इलाके के माचेड़ी में घात लगाकर किए गए आतंकी हमले में सेना के पांच जवान शहीद हो गए जबकि पांच और जख्मी हैं। ये हमला तब हुआ जब सुरक्षा बलों की एक टुकड़ी लोहाई मल्हार ब्लॉक के माछेड़ी इलाके में दोपहर के वक़्त सर्च ऑपरेशन कर रही थी। आतंकी वहां पहले से ही घात लगाए बैठे थे। जब तक सुरक्षा बल के जवान अचानक हुई फायरिंग से संभल पाते तब तक गोलियों ने फारवर्ड लाइन के दस जवानों को छलनी कर दिया। इसके बाद सेना ने पूरा इलाका घेर लिया और एनकाउंटर शुरू हो गया। सुरक्षा बलों पर हुए इस हमले की जिम्मेदारी कश्मीर टाइगर्स (Kashmir Tigers) नाम के आतंकी संगठन ने ली है लेकिन सेना के सूत्रों से पता चला है कि ये संगठन दरअसल पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद (Jaish-e-Mohammad) की ही एक शाखा है, जो इन दिनों कश्मीर में सक्रिय है। 

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