इस देश में जल रही आग कब बुझेगी, इजरायल और फिलिस्तीन में भारी तनाव के बीच वेस्ट बैंक बॉर्डर पर एक बार फिर हिंसक झड़पे हुई

Israeli troops shoot dead Palestinian in West Bank, health ministry says

CrimeTak

03 Sep 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:04 PM)

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इजरायल और फिलिस्तीन में भारी तनाव के बीच वेस्ट बैंक बॉर्डर पर एक बार फिर हिंसक झड़पे हुई.सैकड़ों की संख्या में बॉर्डर पर पहुंचे.फिलिस्तीनी लोगों ने जहां इजरायली सैनिकों पर पत्थर और आग के गोले फेंके.वहीं इजरायली फौज ने बड़े पैमाने पर गोलीबारी की.जिसके बाद अफरातफरी मच गई.

फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इजरायली गोलीबारी में एक फिलिस्तीनी नागरिक की मौत हो गई.जबकि कई लोग घायल हो गए.इजरायल सेना ने एक बयान जारी कर कहा है कि फिलिस्तनी प्रदर्शनकारी इजरायली सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे थे.जिसके बाद सैन्य कार्रवाई की गई.

दरअसल गुरूवार को फिलिस्तीन में पांच जगहों पर इजरायल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ..प्रदर्शन के दौरान.इजरायल की ओर से 14 साल से जारी गाजा पट्टी की नाकाबंदी खत्म करने की मांग की गई.इस प्रदर्शन का आयोजन हमास ने किया था.वहीं इस प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों लोग वेस्ट बैंक बॉर्डर पर पहुंच गए.जिसके बाद इजरायली फौज और फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पे हुईं.

आपको बता दें कि 1967 में अरब-इजरायल जंग के बाद इजरायल ने वेस्ट बैंक पर कब्ज कर लिया था.जो कि अब तक बरकार है.फिलिस्तनी लोग आए दिन वेस्ट बैंक सीमा पर प्रदर्शन करते हैं और इजरायली कब्जे का विरोध करते हैं.फिलिस्तीनी लोगों का कहना है कि वो जबतक अपनी जमीन इजरायल से वापस नहीं ले लेते.उनका प्रदर्शन जारी रहेंगे.

इजराइल ने जब-जब फिलिस्तीन से जंग लड़ी तो उसे फायदा ही हुआ है. उसने फिलिस्तीन की जमीन पर कब्जा किया और इस बार भी वो यही कोशिश कर रहा है. जानकार ये भी मानते हैं कि ये जंग गाजा या वेस्ट बैंक तक सीमित रही तो ठीक है. अगर ये मामला यरूशलम तक पहुंच गया तो ये दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की दहलीज पर खड़ी नजर आएगी.

1948 से पहले फिलिस्तीन का भूगोल कुछ और ही था. तब भी वहां कुछ यहूदी शरणार्थी रहते थे. मगर तब फिलिस्तीन पर सौ फीसदी फिलिस्तीनियों का कब्जा था और इजराइल का तब नामोनिशान नहीं था. 1948 में अंग्रेजों ने फिलिस्तीन के दो टुकड़े कर दिए. जमीन का 55 फ़ीसदी टुकड़ा फिलिस्तीन के हिस्स में आया और 45 फ़ीसदी इज़राइल के हिस्से में. इसी के बाद 14 मई 1948 को इज़राइल ने खुद को एक आज़ाद देश घोषित कर दिया. और इस तरह दुनिया में पहली बार एक यहूदी देश का जन्म हुआ.

मगर यरूशलम को लेकर लड़ाई अब भी जारी थी. क्योंकि इजराइल और फ़िलिस्तीन दोनों यरूशलम को अपनी राजधानी बनाना चाहते थे. फिर धार्मिक लिहाज़ से भी यरूशलम ना सिर्फ मुस्लिम और यहूदी बल्कि ईसायों के लिए भी बेहद ख़ास था. तब ऐसे में संयुक्त राष्ट्र बीच में आया और उसने एक तरह से फ़िलिस्तीन के एक और टुकड़ा अलग कर दिया.

अब यरूशलम का आठ फ़ीसदी हिस्सा संयुक्त राष्ट्र के कंट्रोल में आ गया. जबकि 48 फ़ीसदी ज़मीन का टुकड़ा फिलिस्तीन और 44 फ़ीसदी टुकड़ा इजराल के हिस्से में रह गया. मगर ज़मीन की लड़ाई इसके बाद भी जारी रही.

1956, 1967, 1973, 1982 में इज़राइल फ़िलिस्तीन लड़ते रहे और इज़राइल लगातार फ़िलिस्तीन की ज़मीन पर क़ब्ज़ा करता रहा और फिर नौबत ये आ गई कि पहले 55 फ़ीसदी और फिर 48 फ़ीसदी से सिमटते हुए 22 फ़ीसदी और अब 12 फ़ीसदी ज़मीन के टुकड़े पर ही फ़िलिस्तीन सिमट कर रह गया है.

जबकि अधिकारिक रूप से यरूशलम को छोड़ कर इज़राइल लगभग बाक़ी के 80 फ़ीसदी इलाक़े पर क़ब्ज़ा कर चुका है. ले-देकर फ़िलिस्तीन के नाम पर अब दो ही इलाक़ा बचे हैं. एक गाजा और दूसरा वेस्ट बैंक. वेस्ट बैंक अमूमन शांत रहता है. जबकि गाजा गरम. क्योंकि गाजा पर एक तरह से हमास का कंट्रोल है और मौजूदा तनाव इसी गाजा और इज़राइल के बीच है.

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