युद्ध के नये युग की शुरूआत- बोला इजरायल, कहीं भी-कभी भी कुछ भी फट सकता है!

लेबनान में तीन दिनों से चल रहे धमाकों का असर कुछ ऐसा है कि अब लोग पेजर और वॉकी टॉकी तो छोड़िए, मोबाइल फोन के साथ-साथ हर तरह के इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल डिवाइसेज़ तक छूने से भी घबराने लगे हैं। यानी लेबनान की हालत फिलहाल कुछ ऐसी है कि लोगों को समझ में नहीं आ रहा कि कब कहां कौन सी चीज़ फट जाए, जो मौत और तबाही की वजह बने।

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19 Sep 2024 (अपडेटेड: Sep 19 2024 9:13 PM)

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शम्स ताहिर खान की रिपोर्ट

Lebanon: लेबनान में तीन दिनों से चल रहे धमाकों का असर कुछ ऐसा है कि अब लोग पेजर और वॉकी टॉकी तो छोड़िए, मोबाइल फोन के साथ-साथ हर तरह के इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल डिवाइसेज़ तक छूने से भी घबराने लगे हैं। हिज्बुल्लाह ने एक बार फिर से अपने लड़ाकों से मोबाइल फोन की बैट्री निकाल कर दूर फेंकने की बात कही है। जबकि राजधानी बेरूत के रफीक हरीरी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पैसेंजर्स के वॉकी-टॉकी और पेजर्स लेकर जाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। यानी लेबनान की हालत फिलहाल कुछ ऐसी है कि लोगों को समझ में नहीं आ रहा कि कब कहां कौन सी चीज़ फट जाए, जो मौत और तबाही की वजह बने

लेबनान में मची इस भयानक तबाही का इल्ज़ाम तो ख़ैर पहले दिन से ही इज़रायल पर है। ये और बात है कि इज़रायल ने अब तक ऑफिशियली इस साज़िश में शामिल होने की बात नहीं कही है, लेकिन इन धमाकों को लेकर सूत्रों के हवाले से जो-जो और जैसी-जैसी कहानियां सामने आ रही हैं, वो दिमाग चकराने वाली हैं। और इन तथ्यों के मुताबिक लेबनान पर हुए इस हमले की साज़िश कोई चंद दिनों या महीनों से नहीं बल्कि करीब दो साल से या फिर उससे भी पहले चल रही थी

साज़िश नंबर-1: ऑपरेशन पेजर

हिज्बुल्लाह को खून के आंसू रुलाने वाली इस साज़िश की तैयारी इज़रायल ने तभी शुरू कर दी थी, जब ये संगठन मोबाइल फोन को छोड़ कर पेजर की तरफ शिफ्ट हो रहा था। असल में इज़रायल अक्सर मोबाइल फोन की बदौलत हिज्बुल्लाह के लड़ाकों की लोकेशन ट्रैक कर लिया करता था। जिससे हिज़्बुल्लाह के लड़ाके या तो इंटरसेप्ट कर लिए जाते थे। या फिर इज़रायल के हमलों में बेमौत मारे जाते थे। लिहाज़ा, संगठन के मुखिया नसरुल्लाह ने अपने लड़ाकों से मोबाइल फोन की जगह पेजर और वॉकी-टॉकी का इस्तेमाल करने की बात कहनी शुरू कर दी थी। साल 2022 में नसरुल्लाह ने पहली बार सार्वजनिक तौर पर अपने लड़ाकों को पेजर और वॉकी-टॉकी के इस्तेमाल करने की सलाह दी थी और बस यही वो वक़्त था, जब इज़रायल ने ऑपरेशन पेजर की बुनियाद रख दी

इज़रायल ने यूरोपीय मुल्क हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में सिर्फ इसी ऑपरेशन के लिए एकाएक तीन शेल कंपनियां खड़ी कर दीं। शेल कंपनी यानी ऊपर से जिसका काम कुछ और हो और असल में कुछ और। और इन्हीं कंपनीज़ में से एक थी बी--सी कंसल्टिंग के-एफ-टी, जिसने पेजर बनाने का काम शुरू कर दिया। बुडापेस्ट के एक रिहायशी इलाके में मौजूद यही वो इमारत है, जहां बी--सी कंसल्टिंग के-एफ-टी का सारा काम होता था। ज़ाहिर है एक पॉश इलाके में मौजूद किसी कंपनी के ऐसे दफ्तर पर भला कोई कैसे शक करता?

आगे चल कर इसने दुनिया की सबसे बड़ी पेजर निर्माता कंपनी ताईवान की गोल्ड अपोलो से लॉन्ग टर्म पार्टनरशिप की और पेजर के साथ-साथ वॉकी-टॉकी जैसी डिवाइस बनाने की शुरुआत कर दी। ये कंपनी अपोलो गोल्ड के नाम से ही प्रोडकेशन करती थी। कोई इस कंपनी के इरादों पर शक ना करे, इसलिए ये कंपनी पेजर के नॉर्मल ऑर्डर भी लिया करती थी और उन्हें वक़्त पर डिलिवर भी करती थी, लेकिन उसका पूरा फोकस हिज़्बुल्लाह के ऑर्डर पर ही था। और आखिरकार उसे अपोलो गोल्ड के रास्ते पेजर का ऑर्डर मिल ही गया। इसके बाद कंपनी ने हिज्बुल्लाह के लिए पीइटीएन नाम के विस्फोक के साथ पेजर का प्रोडक्शन शुरू कर दिया। और जल्द ही बल्क में इसकी सप्लाई भी की।  यानी अब असली काम पूरा हो चुका था। हिज़्बुल्लाह के लड़ाके अपने हाथों में इज़रायल की ओर से बनाए गए पेजर बम लेकर घूम रहे थे और उन्होंने दूर-दूर तक इस बात का अंदेशा नहीं था कि आगे क्या होने वाला है। और फिर आई 17 सितंबर की वो तारीख जब इजरायल ने सीक्रेट कोड के ज़रिए पहले पेजर्स में लगी बैट्री को हिट-अप किया और फिर बैट्री की गर्मी से पीईटीएन में धमाके चालू हो गए। 

ये और बात है कि अमेरिका के एनबीसी न्यूज़ को दिए गए एक बयान में बी--सी की सीईओ क्रिस्टिना बार्सोनी आर्सिडिकोनो ने अपनी कंपनी को इन धमाकों से अगल कर लिया। क्रिस्टिना ने कहा- "हम टेलीकम्युनिकेशन कंसल्टेंसी हैं। इससे ज्यादा कुछ नहीं। हम बम नहीं बनाते और हम ये भी तय नहीं करते कि हमारे उत्पाद आख़िर कहां और किन लोगों के द्वारा इस्तेमाल किए जाएंगे। हम ये काम नहीं करते। हम पेजर भी नहीं बनाते हैं। हम बस ट्रेडिंग करते हैं। आपने हमें ग़लत समझा है।”

साज़िश नंबर-2: ऑपरेशन वॉकी-टॉकी

लेकिन ये तो इस साज़िश की पहली दस्तक थी। क्योंकि पेजर के आगे भी अभी बहुत कुछ फटना था। तो अगले दिन यानी 18 सितंबर को लेबनान में हिज्बुल्लाह के लड़ाकों के पास मौजूद वॉकी-टॉकी में धमाकों की शुरुआत हो गई। और इससे पहले कि लड़ाके अपने पास मौजूद वॉकी-टॉकी दूर फेंकते, देखते ही देखते वॉकी-टॉकी फटने लगे और हिज़्बुल्लाह के कम से कम 20 लड़ाके मारे गए और सैकड़ों लहूलुहान हो कर अस्पताल पहुंच गए। जिन वॉकी टॉकी में धमाके हुए उन्हें जापान की आई-कॉम कंपनी का बताया गया, जिन्हें कुछ महीने पहले ही हिज़्बुल्लाह ने अपने लड़कों के लिए खरीदा थाऐसे में धमाके के बाद सबसे पहले शक की सुई आईकॉम की तरफ ही गई, लेकिन कहानी में असली ट्विस्ट तब आया, जब अगले दिन आईकॉम ने ये कह कर सबको उलझा दिया कि वो तो आईसी-वी82 मॉडल के वॉकी टॉकी का प्रोडक्शन कब की बंद कर चुकी है। ऐसे में जिन वॉकी टॉकी में धमाके हो रहे हैं, उनसे उसका कोई लेना-देना नहीं है। आई कॉम ने कहा- "आईसी-वी82 एक हैंडहेल्ड रेडियो है जिसका उत्पादन और मिडिल ईस्ट में जिसका निर्यात साल 2004 से अक्टूबर 2014 तक किया गया। पिछले दस सालों से ये बंद है और तब से हमारी कंपनी ने इसका कोई निर्यात नहीं किया है।”

अब वॉकी टॉकी बनाने वाली इस कंपनी के इस बयान ने हिज्बुल्लाह को दोहरा झटका दिया है। पहला झटका तो ब्लास्ट का ही है, दूसरा इस बात का कि इस साज़िश की शुरुआत तक पहुंचने का सिरा ही नहीं मिल रहा है। क्योंकि अगर लेबनान में फटने वाले ये आईसी-वी82 वॉकी टॉकी आईकॉम ने नहीं बनाए हैं, तो फिर सवाल उठता है कि आखिर ये वॉकी टॉकी कहां और किसने बनाए? और इन्हें कैसे हिज़्बुल्लाह के लड़ाकों के हाथों तक पहुंचाया गया? ज़ाहिर है अगर आईकॉम सच बोल रही हो, तो उसके ब्रॉन्ड नेम के साथ किसी और नकली वायरलेस सेट तैयार किए और खास तौर पर इसका मकसद हिज़्बुल्लाह को सबक सिखाने का ही था

साज़िश नंबर--3: ऑपरेशन सोलर पैनल

हिज़्बुल्लाह और लेबनान के लोग अभी पेजर और वॉकी टॉकी के धमाकों से ऊबर पाते, तब तक बुधवार को ही राजधानी बेरूत समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में मकानों-दुकानों पर लगे सोलर पैनल्स में ब्लास्ट की शुरुआत हो गई। राजधानी बेरूत वो जगह है, जहां सोलर पैनल का अच्छा-खासा चलन है। ऐसे में इन धमाकों ने अब हिज़्बुल्लाह के लड़ाकों के साथ-साथ आम लोगों को भी दहशत में डाल दिया है। लेबनान की नेशनल न्यूज एजेंसी एनएनए ने इन धमाकों की पुष्टि की है। लेकिन फिलहाल ये साफ नहीं है कि सोलर पैनल में ये धमाके भी डिवाइस के अंदर से ही ट्रिगर किए गए या फिर बाहर से?? बुधवार को सोलर पैनल के साथ-साथ बेरूत में कुछ फिंगर प्रिंट डिटेक्शन डिवाइसेज में भी धमाके हुए। इससे 60 से ज्यादा मकानों, 15 कारों और कई मोटरबाइक्स में आग लग गई। फिलहाल सोलर पैनल और फिंगर प्रिंट डिटेक्शन डिवाइसेज़ में आग लगने की वजह तो साफ नहीं है, लेकिन इन धमाकों को देख कर एक्सपर्ट्स का कहना है कि लेबनान में आने वाली तरह-तरह के डिवाइसेज़ और गैजेट्स के सप्लाई चेन के साथ बड़े पैमाने में छेड़छाड़ की गई है और ये धमाके इस बात का सबूत हैं

यानी एक के बाद एक धमाकों और साज़िश के बावजूद साज़िश के ऑरिजिन यानी शुरुआत को लेकर रहस्य बरकरार है। और इसी अफरातफरी के बीच अब हिज्बुल्लाह ने नए सिरे से इज़ारयल को सबक सिखाने की धमकी दी है और कुछ जगहों पर मिसाइल अटैक की शुरुआत भी हो चुकी है।

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