अफ़गान में तालिबान, अब भारत का क्या होगा प्लान?

impact of taliban on india afghan relation

CrimeTak

16 Aug 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:03 PM)

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अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा तो हो गया, लेकिन अब आगे क्या होगा? भारत पर इसका क्या असर होगा? और अफगानियों पर इसका क्या असर होगा? ये सवाल सब के मन में कौंध रहा है।

सबसे पहले बात करते हैं भारत की, अफगानिस्तान में तालिबान के आने से यकीनन उसके संबंध भारत से खराब हो सकते हैं, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति हामिज करजई और डॉ. अब्दुल्ला के आने से अच्छे रिश्ते बने रहने की उम्मीद भी है। हालांकि, पाकिस्तान और तालिबान के बीच मजबूत रिश्तों को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता।

हालांकि तालिबानी सूत्रों का कहना है कि वो भारत समेत सभी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की उम्मीद करते हैं। और अफगानिस्तान की बेहतरी के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। तालिबानी सूत्रों का कहना है कि भले ही पहले हमारे संबंध अच्छे नहीं रहे हैं, लेकिन अब हम बेहतर संबंध बनाने की कोशिश करेंगे।

मगर सवाल ये है कि जब तालिबान और पाकिस्तान के बीच अच्छे संबंध हैं तो ऐसे में भारत से संबंध कैसे बेहतर होंगे? इस पर तालिबान का स्टैंड ये है कि वो भारत पाक के विवाद में नहीं पड़ना चाहता है। लिहाज़ा उसे एक ही वक्त में दोनों देशों से अच्छे रिश्ते रखने में कोई मुश्किल नहीं आएगी। जबकि हकीकत ये है कि पाकिस्तान पड़ोसी मुल्क है और ज़्यादातर तालिबानियों के लिए दूसरा घर है। कई अफगानी हैं जो पाकिस्तान में रहते हैं, मगर ऐसा लग रहा है कि तालिबान खुद को दुनिया के हिसाब से ढालने की कोशिश कर रहा है।

लेकिन भारत को एक ऐसे देश की सरकार के तालमेल बैठाना होगा, जहां तालिबान का दबदबा होगा। लेकिन उससे भी ज्यादा चिंता इस बात की होगी कि भारत ने अफगानिस्तान में जो निवेश किया है, उसका क्या होगा? इसके अलावा पाकिस्तान और चीन के गठजोड़ की वजह से अफगानिस्तान उन दोनों देशों के करीब जा सकता है, अगर ऐसा होता है तो ये भारत के लिए चिंता की बात होगी।

पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई (Hamid Karzai) ने घोषणा की है कि सत्ता के हस्तांतरण के लिए एक परिषद का गठन किया जा रहा है, करजई, शांतिवार्ता के प्रतिनिधि अध्यक्ष अब्दुल्ला अब्दुल्ला और हेस्ब-ए-इस्लामी पार्टी के नेता गुलबुद्दीन हिकमतयार मिलकर सत्ता के हस्तांतरण पर काम कर रहे हैं। मुल्ला बारादर नेतृत्व संभाल सकते हैं, तालिबान ने पहले से ही कैबिनेट पोर्टफोलियो को लेकर फैसला कर लिया है।

तालिबान का कहना है कि अफगानिस्तान में कोई अंतरिम सरकार नहीं होगी, ऐसी खबरें थीं कि तालिबान अभी अंतरिम सरकार का गठन कर सकता है। इस सवाल के जवाब में तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने बताया कि अली अहमद जलानी एक अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए स्वीकार्य उम्मीदवार नहीं थे, अंतरिम सरकार की कोई बात ही नहीं है. ये सारी बातें झूठी हैं।

उधर देश छोड़ चुके राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) ने सोशल मीडिया पर लिखा, अनगिनत लोग मारे जाते और हमें काबुल शहर की तबाही देखनी पड़ती तो उस 60 लाख आबादी के शहर में बड़ी मानवीय त्रासदी हो जाती। खून की नदियां बहने से बचाने के लिए मैंने सोचा कि देश से बाहर जाना ही ठीक है। ऐसी भी खबरें थीं कि उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) ने भी देश छोड़ दिया है, लेकिन बाद में उन्होंने साफ किया कि वो देश में ही हैं।

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