Hindenburg Report: मार्केट में मारकाट और अडानी के शेयर को धड़ाम करने के पीछे कहीं ये साज़िश तो नहीं?

Adani enterprises: अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के धड़ाम हुए शेयरों के बारे में अब शक किया जा रहा है कि कहीं ये कोई बड़ी साज़िश तो नहीं

CrimeTak

31 Jan 2023 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:35 PM)

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Stock Market Bloodbath: अडानी समूह (Adani Group ) के शेयर (Share) धड़ाम। शेयर बाजार (Stock Market) में मचा हाहाकार। गौतम अडानी (Gautam Adani) दुनिया के अमीरों की लिस्ट में नीचे फिसले। दुनिया के तीसरे अमीर की पदवी से खिसक कर अडानी हुए टॉप टेन से बाहर। इन दिनों यही सुर्खियां हैं। और इन सुर्खियों ने एक अजीबो गरीब अफरा तफरी मचा रखी है।

ज़ेरे बहस है कि कागज़ के चंद टुकड़ों में क्या इतनी ताकत होती है कि वो दुनिया के सबसे ताकतवर इंसानों की कतार में आगे की तरफ खड़े अमीर आदमी को धकेलकर कतार से बाहर ही कर दें। क्या कागजों की इबारत में इतनी ताकत होती है कि एक अमीर कारोबार का सारा कारोबार लुट सकता है।

कारोबार और शेयर बाजार की दुनिया की मौजूदा तस्वीर को देखकर तो यही कहा जा सकता है कि इस वक़्त शेयर बाजार किसी क़त्लगाह की शक्ल ले चुका है जहां ब्लडबाथ यानी खून की नदियां बहाई जा रही है। और पिछले पांच दिनों में शेयर बाजार में बुरी तरह से उठा पटक मची हुई है।

और ले देकर अडानी समूह के तमाम कंपनियों के शेयर मुंह के बल गिरते दिख रहे हैं। आलम ये है कि पिछले पांच दिनों के भीतर अडानी समूह अब तक पांच लाख 60 हजार करोड़ की रकम गंवा चुका है। और उसके शेयरों के भाव करीब 29 फीसदी से ज़्यादा टूट चुके हैं।

आर्थिक मामलों के जानकारों की मानें तो ये बेहद चुनौतीपूर्ण और खतरनाक मौका है जब छोटे और मझोले निवेशक बाजार की इस बेवक्त की सूनामी से बुरी तरह सहम से गए हैं। उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा है कि आखिर ये हो क्यों रहा है। जो शेयर अभी तक कमाई करवा रहे ते वो अचानक कंगाल क्यों करने लगे।

Conspiracy against Adani!: अब यहां से एक सवाल जरूर खड़ा होता है कि क्या ये सब कुछ अमेरिकी फाइनेंशियल कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का ही असर है। या फिर इसके पीछे कोई बहुत बड़ी सोची समझी साजिश है। जिसने पूरे बाजार में खूनखराबा मचा रखा है। और देखते ही देखते निवेशकों के लाखों करोड़ रुपयों को मिट्टी में मिला दिया।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट 24 जनवरी को आई थी। और उसके बाद से ही अडानी ग्रुप की तमाम कंपनियों के शेयर धड़ाम हो गए। इतना ही नहीं देखते ही देखते गौतम अडानी भी दुनिया के अमीर लोगों की सूची में से तीसरे स्थान से खिसक कर टॉप टेन की सूची से भी बाहर हो गए।

इसी बीच दोनों के बीच एक जबरदस्त टकराव जमाने ने देखा। हिंडनबर्ग ने अपने 85 सवालों के साथ अडानी ग्रुप को सवालों के कठघरे में ले जाकर खड़ा कर दिया। इल्जाम निहायत ही संगीन लगे थे।

तब अडानी ग्रुप की तरफ से पूरे 413 पन्नों में जवाब लिखा गया और पलटवार करते हुए अडानी समूह की तरफ से हिंडनबर्ग को चेतावनी दी गई कि वो किसी गहरी साज़िश के तहत ऐसा कर रहे हैं जबकि उनकी तैयार की गई रिपोर्ट न सिर्फ भ्रामक है बल्कि तथ्यों से परे और इकतरफा है।

जो किसी साजिश के तहत उन्हें बदनाम किया जा रहा है ताकि उन्हें नुकसान हो। अडानी समूह ने ये भी कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट दरअसल भारत की आर्थिक विकास की कहानी पर किया गया एक शातिर हमला है।

लेकिन हिंडनबर्ग कंपनी की तरफ से अडानी समूह के इस जवाब के बदले जो कहा गया उसने तो शेयर बाजार में और चौपट कर दिया। हिंडनबर्ग की तरफ से अडानी ग्रुप को कहा गया है कि अपनी धोखाधड़ी को वो किसी राष्ट्रवाद के झंडे के पीछे नहीं छुपा सकते।  देखते ही देखते 24 घंटे के भीतर ही अडानी समूह की करीब डेढ़ लाख करोड़ की दौलत स्वाहा हो गई।

Hindenburg Report : हालांकि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की टाइमिंग को लेकर जरूर शुरू से ही सवाल उठाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि अडानी समूह एक FPO ला रहा है जिससे उसने बाजार से 20 हजार करोड़ उगाहने की योजना बनाई थी। लेकिन इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में आई अचानक तेज गिरावट की वजह से उसे अपना FPO का प्लान फिलवक्त के लिए टालना पड़ा।

ऐसे में सवाल यही खड़ा होता है कि क्या हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का आना और अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों का इस तरह टूटना किसी साजिश की स्क्रिप्ट का हिस्सा तो नहीं? कहीं इस उथल पुथल के पीछे कोई सोचा समझा खेल तो नहीं जिसका मकसद मोटा मुनाफा कमाने का हो?

दरअसल अमेरिकी मीडिया में छपी खबरों पर यकीन किया जाए तो खुद हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट के साथ साथ ये भी खुलासा किया था कि उसने अडानी समूह के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन ले रखी है। एक अमेरिकी इनवेस्टमेंट कंपनी की घोषणा के मुताबिक हिंडनबर्ग कंपनी असल में मंदड़िया यानी बियरर है। जिसका धंधा है शॉर्ट सेलिंग का।

यानी ये कंपनी बाजार की गिरावट में अपना फायदा ढूंढ़ लेती है। यानी वो शेयर को बेच पहले देता है और जब दाम गिर जाते हैं तो खरीदता है। बस उसके इसी इतिहास ने लोगों के भीतर कुछ शक भी पैदा किया है और अडानी ग्रुप के शेयरों में तेज गिरावट के पीछे वो इसे इस कंपनी की साज़िश भी मान रहे हैं।

कहा जाता है कि शेयर बाजार का सारा धंधा इमोशन और सेंटिमेंट पर टिका होता है...और जरा सा सेंटिमेंट इधर से उधर हुआ नहीं कि बाजार में लाखों करोड़ के वारे न्यारे हो जाते हैं।

ये खुद हिंडनबर्ग कंपनी का दावा है कि उसने अडानी के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन ले रखी है। ऐसे में ये बात साफ हो जाती है कि अगर अडानी ग्रुप के शेयर अगर गिरेंगे तो हिंडनबर्ग को फायदा होगा। जाहिर है कि कॉनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट तो जाहिर हो ही जाता है। एक रिपोर्ट की वजह से अडानी के शेयर का भाव 29 फीसदी से ज्यादा गिर चुके हैं। और इसका फायदा सीधे तौर पर हिंडनबर्ग को मिलेगा ही।

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