Bills Replacing IPC, CrPC & Evidence Act: अब नाबालिग से रेप और मॉब लिंचिंग के मामले में मौत की सजा भी हो सकती है। ये बात यूं ही नहीं कही जा रही बल्कि सरकार ऐसे कई संगीन मामलों को लेकर बेहद गंभीरता से विचार कर रही है और इस पर नया क़ानून बनाने जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसी बात के मद्देनज़र लोकसभा में आखिरी दिन तीन विधेयक पेश किएहैं। ये तीन विधेयक कानून में तब्दील होते ही 533 धाराएं खत्म हो जाएंगी। जबकि 133 नई धाराएं जुड़ जाएंगी। जबकि 9 धाराओं को बदला भी जा रहा है।
मॉब लिंचिंग और नाबालिग से रेप में मिलेगी सज़ा-ए-मौत, IPC और CRPC में किए जा रहे ये बदलाव
Bills Replacing IPC & CRPC and evidence act: सरकार नया क़ानून बनाने जा रही है। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में आखिरी दिन तीन विधेयक पेश किए।
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सांकेतिक तस्वीर
11 Aug 2023 (अपडेटेड: Aug 11 2023 4:25 PM)
IPC और CRPC के लिए तीन नए विधेयक
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मॉनसून सत्र के आखिरी दिन लोकसभा में IPC और CRPC यानी भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक के साथ साथ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में सुधार के लिए तीन विधेयक पेश किए। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि 1860 से लेकर 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों के बनाए क़ानून के मुताबिक काम करती रही। ऐसे में अब अंग्रेजों के समय से चले आ रहे तीनों क़ानून बदल जाएंगे और देश में जुर्म से लड़ने के लिए क़ानून व्यवस्था को एक नया हथियार मिल जाएगा, असल में ये न्याय प्रणाली में एक बड़े बदलाव के तौर पर भी देखा जा सकता है।
राजद्रोह खत्म हो जाएगा
केंद्रीय गृह मंत्री ने जिन विधेयकों को पेश किया उनके क़ानून बनते ही राजद्रोह खत्म हो जाएगा। लेकिन इसके अलावा मॉब लिंचिंग, महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं।
मॉब लिंचिंग में मौत की सजा
लोकसभा में पेश किए गए बिल के मुताबिक नए विधेयक में मॉब लिंचिंग को हत्या की परिभाषा के साथ जोड़ा गया है। ऐसे में अगर पांच या पांच से अधिक लोगों का समूह एक साथ मिलकर किसी नस्ल, जाति और समुदाय, लिंग, जन्म, स्थान, भाषा, और निजी भरोसे या किसी अन्य आधार पर हत्या की वारदात को अंजाम देता है तो ऐसे समूह के हरेक सदस्य को मौत की सजा, आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा। इसमें न्यूनतम सज़ा सात साल और अधिकतम मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया है। साथ ही साथ जुर्मान भी लगाया जा सकता है।
नाबालिग से रेप में होगी सजा-ए-मौत
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया है कि नए क़ानूनों में महिलाओं के प्रति अपराध और सामाजिक समस्याओं से निपटने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। इसके तहत गैंग रेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का दंड दिया जा सकता है। 18 साल से कम उम्र की नाबालिग बच्चियों के मामले में तो सजा ए मौत तक देने का प्रावधान किया गया है।
रेप के कानून में एक नया प्रावधान
इसके अलावा रेप के कानून में एक नया प्रावधान शामिल किया गया है। इसके लिए जो परिभाषा दी गई है उसके मुताबिक विरोध न करने का मतलब सहमति नहीं है। इसले अलावा गलत पहचान बताकर यौन संबंध बनाने वाले को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
एक ऐतिहासिक फैसला
अमित शाह ने बताया कि जो एक ऐतिहासिक फैसला किया गया है वो है आरोपी की गैरमौजूदगी या अनुपस्थिति में ट्रायल। अमित शाह ने ये भी बताया कि अभी तक कई केसों में दाऊद इब्राहिम वांटेड है। वो देश छोड़कर भाग गया है। ऐसे में कई मामलों की सुनवाई हो ही नहीं पा रही है। लेकिन अब सेशल कोर्ट में जज नियमों के मुताबिक, भगोड़ा घोषित किए जाने के बाद आरोपी की अनुपस्थिति में ट्रायल हो पाएगा और सजा भी सुना दी जाएगी।
अब हेट स्पीच अपराध होगा
गृहमंत्री अमित शाह ने बताया है कि हेट स्पीच और भड़काऊ भाषण को भी अब अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है। अगर कोई आदमी हेट स्पीच देता है तो ऐसे मामले में तीन साल की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा कोई अगर धार्मिक आयोजन करके किसी वर्ग, श्रेणी या धर्म के खिलाफ भड़काऊ भाषण देता है तो पांच साल की सजा का प्रावधान किया गया है।
तमाम कोर्ट होंगी ऑनलाइन
केंद्रीय गृह मंत्री ने आज लोक सभा को बताया कि 2027 तक देश की तमाम कोर्ट ऑनलाइन कर दी जाएंगी। ऐसे में ज़ीरो एफआईआर कहीं से भी रजिस्टर की जा सकती है। अगर किसी को गिरफ्तार किया जाता है तो उसके परिवार को तुरंत सूचित करना होगा। इसके अलावा 180 दिन के भीतर जांच पूरी करके ट्रायल के लिए भेजना जरूर है।
533 धाराएं खत्म होंगी, 133 जुड़ेंगी
लेकिन गृह मंत्री ने लोकसभा में कहा कि नए कानून बनने से 533 धाराएं पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगी जबकि IPC में 133 नई धाराएं जुड़ जाएंगी। जबकि 9 ऐसी धाराएं हैं जिनकी शक्ल और सूरत दोनों बदल जाएगी। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल, एसएमएस, लोकेशन साक्ष्य, ईमेल वगैराह की कानूनी वैधता होगी।
FSL जांच को अनिवार्य
केंद्रीय गृह मंत्री के मुताबिक दिल्ली में हर जगह सात साल से अधिक सजा वाले केस में FSL जांच को अनिवार्य कर दिया गया है। यौन हिंसा के मामले मं पीड़ित का बयान अनिवार्य है। पीड़ित को सुने बगैर कोई केस वापस नहीं किया जा सकेगा। तीन साल तक की सजा वाले मामले में समरी ट्रायल को लागू किया जाएगा ताकि मामले का निपटारा जल्द से जल्द हो सके। चार्ज फ्रेम हो जाने के बाद 30 दिनों के भीतर ही फैसला देना होगा। इतना ही नहीं कोर्ट का फैसला सात दिनों के भीतर ऑनलाइन उपलब्ध कराना होगा।
आतंकवाद की नई व्याख्या
गृहमंत्री के मुताबिक मौत की सजा के मामले को आजीवन कारावास में बदलाव किया जा सकता है लेकिन दोषी किसी भी सूरत में छोड़ा नहीं जाएगा। इसके साथ साथ विधेयक में कानून में टेरेरिज्म यानी आतंकवाद की व्याख्या जोड़ी गई है। सबसे खास जोर अमित शाह ने इस बात पर दिया कि सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अगर कोई मामला दर्ज होता है तो 120 दिनों में केस चलाने की अनुमति देनी जरूर है।
IPC और CRPC में बदलाव के लिए पेश किए गए तीन नए विधेयकों में प्रावधान-
FIR से जजमेंट तक सब प्रक्रिया ऑनलाइन होगी,
2027 तक सभी कोर्ट को हम डिजिटाइज कर देंगे
जीरो एफआईआर कहीं से भी रजिस्टर किया जा सकता है
अगर किसी को भी गिरफतार किया जाता है तो उसके परिवार को तुरंत सूचित कर दी जाएगी
180 दिन के जांच समाप्त कर आपको ट्रायल के लिए भेजना होगा
गलत पहचान बताकर यौन संबंध बनाने वाले को अपराध की श्रेणी में रखा गया है
533 धारा बचेगी, 133 नए धारा, 9 धारा को बदल दिया गया, 9 धारा को हटा दिया गया हैं IPC में
475 गुलामी की निशानियों को समाप्त किया गया।
न्याय में इतना देर लगता है कि लोगों का विश्वास उठ गया है। लोग कोर्ट जाने से डरते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल, एसएमएस, लोकेशन साक्ष्य, ईमेल आदि सबकी कानूनी वैधता होगी।
अदालत के कार्यवाही को टेक्नोलॉजी के जरिए हो पाए... पूरा ट्रायल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो पाएगा…
नेशनल फोरेंसिक technolgy और अन्य विद्वानों को इसमें इन्वॉल्व किया गया है
सर्च और जब्ती में वीडियो ग्राफी कंपलसरी होगा... पुलिस को इसको करना पड़ेगा दोष सिद्ध करने के लिए
अब हर साल 33 हजार फोरेंसिक एक्सपर्ट निकलेंगे।
7 साल से अधिक की सजा वाले केस में फोरेंसिक रिपोर्ट आवश्यक होगा।
लोअर, जिला, राज्य स्तर के हर कोर्ट को 2027 से पहले कंप्यूटराइज्ड कर दिया जायेगा
दिल्ली में हर जगह 7 साल से अधिक सजा वाले केस में fsl की टीम को अनिवार्य कर दिया गया है…
कंजावला केस में भी इसका इस्तेमाल हुआ
यौन हिंसा में पीड़िता का बयान कमप्लासरी कर दिया गया है।
पीड़ित को सुने बगैर कोई केस withdraw नहीं किया जा सकेगा
3 साल तक की सजा वाले मामले में समरी ट्रायल को लागू किया गया है... मामले का निपटारा जल्द होगा।
90 दिन जांच और ट्रायल खत्म और 180 दिन में हर जांच समाप्त करनी होगी
चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के अंदर ही फैसला देना होगा... फैसला 7 दिन के अंदर ऑनलाइन उपलब्ध करना होगा।
120 दिन में सरकार को फैसला लेना होगा हां या ना करने की।
बहुत क्रांतिकारी बदलाव किए हैं।
घोषित अपराधियों के संपति की कुर्की का प्रावधान
संगठित अपराध के विरुद्ध कठोर सजा का प्रावधान
गलत पहचान प्रकट कर यौन संबंध बनाने वाले को अपराध की श्रेणी।
मोब लिंचिंग के लिए 7 साल का कारावास
18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ रेप में मौत की सजा का प्रावधान
अपराधियों के विरुद्ध सजा में बदलाव :
मौत की सजा वाले को आजीवन में बदलाव हो सकता है लेकिन छोड़ा नहीं जायेगा किसी भी तरह
राजद्रोह को कमप्लीट खत्म किया जा रहा।
पहली बार टेररिज्म की व्याख्या और संपति को जब्त किया जायेगा।
कोर्ट ऑर्डर करेगा पुलिस नहीं
दाऊद इब्राहिम जैसे भगोड़ा अपराधी की अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और सजा का भी दिया जायेगा
थानों में टूटी फूटी गाड़ियों का ढेर खत्म होगा... उसको वीडियोग्राफी करके इनको डिस्पोज ऑफ किया जायेगा
सबको ज्यादा से ज्यादा 3 साल में सजा करवाने का प्रावधान होगा।
राजद्रोह को खत्म और संगठित अपराध और टेररिज्म पर नकेल इसमें किया गया है
इसको मैं स्टैंडिंग कमिटी में भेज कर इसमें और क्या सुधार हो सकता है ये जानना चाहता हूं
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