30 करोड़ की संपत्ति, पोता IAS अफसर, बेटे-बहू बासी रोटी देते थे, इसलिए बुजु्र्ग दंपति ने जहर खाकर सुसाइड कर लिया

Haryana Charkhi Dadri ias vivek Arya grandparents suicide case : हरियाणा कैडर के IAS विवेक आर्या के दादा दादी ने किया सुसाइड. दो वक्त की रोटी भी नहीं मिलती थी. संपत्ति 30 करोड़ की. पढ़ें पूरी खबर..

Haryana Charkhi Dadri ias vivek Arya grandparents suicide case

Haryana Charkhi Dadri ias vivek Arya grandparents suicide case

31 Mar 2023 (अपडेटेड: Mar 31 2023 4:43 PM)

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Haryana IAS Grandparents Suicide Case : एक IAS अफसर के दादा-दादी के पास बुढ़ापे में खाने के लिए दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती थी. दोनों कई साल से एक बड़ी उम्मीद के इंतजार में थे. आंखें पथरा रहीं थीं. भूख गला घोंट रही थी. लेकिन जान जाती नहीं थी. आखिरकार दोनों बुजुर्ग दादा दादी ने जहर खा लिया. अपनी दुख भर कहानी को कागज के पन्नों में सुसाइड नोट के रूप में उकेर दिया. आखिरी वक्त में पुलिस को भी फोन कर दिया. पुलिस मौके पर आ भी गई. अस्पताल में पहुंचा भी दिया. लेकिन दोनों की सांस तब तक उखड़ चुकी थी. वो भी हमेशा के लिए. 

एक IAS अफसर और 30 करोड़ की संपत्ति रहते हुए भी बुजुर्ग दंपत्ति की भूख और बेबसी ने जान ले ली. दोनों ने मजबूर होकर आत्महत्या कर ली. इन बुजुर्ग दादा दादी के हाथों लिखे सुसाइड नोट ने आज के बदलते रिश्तों में दरकती उम्मीदों को ऐसा कड़वा सच सामने लाया है जिसे पढ़कर आपकी आंखों में आंसू आएंगे और रिश्तों से भरोसा उठ जाएगा. शायद यही कहेंगे कि ये कैसा रिश्ता है. ये कैसे लोग हैं जिसने बचपन में सीने से लगाया, उंगली पकड़कर चलना सिखाया, करोड़ों की संपत्ति बनाकर बच्चों को दिया. इस लायक बनाया कि परिवार का पोता IAS बन गया. मगर वो बुजुर्ग दादा दादी बेबस और लाचार होकर मौत को गले लगा लेते हैं करोड़ों की संपत्ति रहते हुए भी कई साल तक बासी रोटी खाते हैं. ओल्ड एज होम में रहते हैं. खैर…ये कहानी किसी एक घर की नहीं…कई घरों की है..पर इसे शायद ही हम स्वीकार करते हैं..

 

पहले उन बुजुर्ग का पूरा सुसाइड नोट पढ़ लेते हैं...

मैं जगदीश चंद आर्य आपको अपना दुख सुनाता हूं. मेरे बेटों के पास बाढ़ड़ा में 30 करोड़ की संपत्ति है, लेकिन उनके पास मुझे देने के लिए दो रोटी नहीं हैं. मैं अपने छोटे बेटे के पास रहता था. 6 साल पहले उसकी मौत हो गई. कुछ दिन उसकी पत्नी ने उसे रोटी दी, लेकिन बाद में उसने गलत काम धंधा करना शुरू कर दिया. मेरे भतीजे को अपने साथ ले लिया. मैने इसका विरोध किया तो उनको यह बात अच्छी नहीं लगी. क्योंकि मेरे रहते हुए वह दोनों गलत काम नहीं कर सकते थे. इसलिए उन्होंने मुझे पीटकर घर से निकाल दिया.

सुसाइड नोट में आगे जगदीश चंद आर्य जो लिखते हैं वो और भी दर्द भरा है..आगे लिखते हैं..

 

मैं दो साल तक अनाथ आश्रम में रहा और फिर आया तो इन्होंने मकान को ताला लगा दिया. इस दौरान मेरी पत्नी को लकवा आया और हम दूसरे बेटे के पास रहने लगे. अब उन्होंने भी रखने से मना कर दिया और मुझे बासी आटे की रोटी और दो दिन का दही देना शुरू कर दिया. ये मीठा जहर कितने दिन खाता, इसलिए मैंने सल्फास की गोली खा ली. मेरी मौत का कारण मेरी दो पुत्रवधु, एक बेटा व एक भतीजा है. जितने जुल्म इन चारों ने मेरे ऊपर किए, कोई भी संतान अपने माता-पिता पर न करें. मेरी प्रार्थना है कि इतना जुल्म मां-बाप पर नहीं करना चाहिए और सरकार और समाज इनको दंड दें. तब जाकर मेरी आत्मा को शांति मिलेगी. मेरी जमा पूंजी बैंक में दो एफडी और बाढ़ड़ा में दुकान है वह आर्य समाज बाढड़ा को दी जाए.

बुजुर्ग का बेटा वीरेंद्र

बेटे बहू बासी रोटी देते थे, वो मीठा जहर था

जगदीश चंद्र ने सुसाइड नोट में लिखा है कि मुझे बासी रोटी देते थे. वो मीठा जहर जैसा होता था. आखिर कब तक खाते. उससे अच्छा हुआ कि हमने जहर खा लिया. ये लाइनें उन दादा दादी के हैं जिनका पोता अभी IAS बना है. मरने वाले दादा जगदीश चंद्र आर्य और दादी भागली देवी. जगदीश की उम्र 78 साल और दादी भागली की 77 साल थी. दोनों हरियाणा के चरखी दादरी के बाढ़डा की शिव कॉलोनी में रहते थे. यहीं पर सुसाइड किया. इनके एक बेटे का नाम वीरेंद्र है. वीरेंद्र के बेटे का नाम विवेक है. विवेक साल 2021 बैच के IAS अफसर हैं. ये हरियाणा कैडर के IAS हैं और अभी अंडर ट्रेनी हैं. विवेक के दादा दादी का नाम ही जगदीश चंद्र और भागली है. इन्हीं दोनों ने सल्फास खाकर आत्महत्या कर ली. वजह दो वक्त की रोटी का नहीं मिलना. जबकि संपत्ति 30 करोड़ से ज्यादा. दोनों की मौत 29 मार्च की रात में हुई. 

इन बुजुर्ग के बेट वीरेंद्र ने कहा, वो बीमारी से मानसिक रूप से परेशान थे

बुजुर्ग के सुसाइड करने को लेकर बेटे वीरेंद्र ने अपनी बात कही है. उनका कहना है कि जहर खाने की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची थी. उन्होंने कहा कि दोनों बीमार रहते थे. बीमारी से मानसिक रूप से परेशान थे. हमने तो दुनिया के बड़े से बड़े अस्पताल में इलाज कराया. मां को लकवा था. लेकिन दोनों बीमारी से परेशान थे. इसलिए दोनों ने सुसाइड कर लिया. यानी बेटे वीरेंद्र ने ये नहीं माना उनकी मौत के पीछे वो खुद जिम्मेदार हैं. बल्कि बुजुर्गों को उनकी बीमारी का बहाना बना दिया. इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा. इस मामले में पुलिस का कहना है कि मौके से एक लेटर मिला है. उसे हम सुसाइड नोट समझ रहे हैं. इस मामले को गंभीरता से देखते हुए सुसाइड नोट में जिन दो बहू और बेटे वीरेंद्र व भतीजे का जिक्र है, उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है. जांच की जा रही है.

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