जमीन ने अचानक उगले एक हजार कंकाल, हड्डियों में मिले हरे रंग से गहराया सस्पेंस

thousand skeletons suspense: एक जर्मनी के शहर में अचानक जमीन से एक हजार से ज़्यादा कंकाल निकले तो हड़कंप मच गया। कंकाल की हड्डियों में जो हरा रंग मिला उसने सस्पेंस को और भी गहरा कर दिया।

ऐतिहासिक शहर की एक जमीन ने जब उगले 1000 कंकाल

ऐतिहासिक शहर की एक जमीन ने जब उगले 1000 कंकाल

13 Mar 2024 (अपडेटेड: Mar 13 2024 9:45 AM)

follow google news

Skeletons Discovered: दूसरे विश्वयुद्ध का जब भी जिक्र होता है तो जर्मनी का नाम सबसे पहले जुबान पर आता है। दूसरे विश्वयुद्ध से पहले के दौर के बारे में कोई भी किस्सा जर्मनी का सुनाया जाता है तो उसमें जुल्मों सितम की भरमार होती है। हिटलर की सेना और उसके बनवाए कनसन्ट्रेशन कैंप की अनगिनत कहानियां दुनिया भर में सुनी और सुनाई जाती हैं। इसी वजह से जर्मनी के कई शहर पूरी दुनिया में मशहूर हो गए। 

Germany’s Nuremberg में सामूहिक कब्र

जर्मनी के उन्हीं तमाम मशहूर शहरों में से एक है नूर्नबर्ग। ये ऐतिहासिक शहर अचानक एक बार फिर खबरों की सुर्खियों में छा गया। वजह थी शहर की कोख में मिली एक सामूहिक कब्र। कब्र मिलने का किस्सा क्या खुला जर्मनी से लेकर पूरे यूरोप में उसे तानाशाह हिटलर से जोड़ा जाने लगा। 

जमीन की खुदाई के वक्त सामने आए कंकालों की वजह से पूरे यूरोप में हड़कंप मच गया

1500 कंकाल से मच गया हड़कंप

कब्र सामूहिक थी, लिहाजा सबसे पहले ये तय करना जरूरी था कि ये कब की है, और यहां कितने लोग दफ्न हैं। कुछ ही घंटों की कवायद के बाद ये भी खुलासा हो गया कि ये कब्र करीब 1000 से 1500 लोगों की है, जिसकी जमीन ने इसी गिनती के आस पास कंकाल उगले। चूंकि ये कब्र एक ऐतिहासिक शहर के बेहद पुराने हिस्से में मिली थी लिहाजा पुरातत्व विभाग को इसके लिए हरकत में आना पड़ा। ऑर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट के कई वैज्ञानिकों ने कब्र में उतर कर वहां से मिले कंकालों की जांच परख का सिलसिला तेज कर दिया। थोड़ी ही देर बार कब्र को लेकर चल रहे किस्से कहानियों से अचानक हिटलर का नाम गायब हो गया क्योंकि ये कब्र हिटलर से भी 200 साल पुरानी साबित हुई। 

हड्डियों में हरे रंग का राज

अब हर कोई इस कब्र के बारे में जानने को बेताब हो गया। लोग इतिहास के पन्नों को खंगालने लगे। मगर इस कब्र को लेकर इतिहास की किताबें भी गूंगी साबित हुईं...कहीं कोई ऐसा जिक्र नहीं मिला जिसको इस कब्र से जोड़ा जा सके।  इसी बीच कब्र से मिली हड्डियों में मिले हरे रंग ने और भी सस्पेंस गहरा कर दिया। कयासों का सिलसिला अब और भी ज़्यादा तेज हो गया। अब लोग शुरू से लेकर आखिर तक इस खबर के चीरफाड़ में लग गए। सबसे पहले तो यही समझने में लोग लग गए कि आखिर इस कब्र का खुलासा हुआ कैसे। 

हरकत में आया ऑर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट

तो समझ में आया कि शहर में एक रिटायरमेंट होम बनाने के लिए जमीन तलाशी गई और उस जमीन पर बड़ी सी बिल्डिंग तैयार करने के लिए उसकी खुदाई शुरू हुई। जमीन की पर्तों के हटते ही वहां से कंकाल निकलने शुरू हो गए। तब इसकी इत्तेला ऑर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट को दिया गया। तब सिस्टमेटिक तरीके से जमीन की खुदाई शुरू की गई। देखते ही देखते सामूहिक कब्र का किस्सा सामने आगया। सवाल उठता है कि आखिर ये कब्र कब और किसने बनाई। और यहां मिले कंकाल आखिर किसके हैं। ये मरने वाले लोग कौन है। 

जमीन से निकले कंकालों की हड्डियों में हरें रंग की वजह से सस्पेंस गहरा गया था

प्लेग से पीड़ितों का कब्रिस्तान

आर्कियोलॉजी के साइंटिस्टों ने कुछ वहां मिली हड्डियों का परीक्षण किया तो उनकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि यहां मरने वाले तमाम लोग प्लेग की महामारी से मरे थे। सामूहिक कब्र में मिले कंकाल प्लेग पीड़ितों के हैं। अब तक लगभग 1,000 कंकाल पाए गए। और कंकालों का मिलने का सिलसिला जारी है। ऐसे में माना जा रहा है कि यहां करीब 500 से ज्यादा कंकाल और भी हो सकते हैं। 

17वीं सदी की कब्र

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि ये कितनी पुरानी कब्र हैं, हालांकि इसका ठीक ठीक पता अभी नहीं चल पाया है पर अब तक जो कुछ भी सामने आया है उसके मुताबिक यही कहा जा रहा है कि ये 17वीं सदी की कब्र है। यहां के कंकालों में कुछ हड्डियों का रंग हरा भी पाया गया। वैज्ञानिकों का मनना है कि  इसके पीछे का कारण इसी जमीन के पास मौजूद तांबे की एक मिल हो सकता है, क्योंकि मिल का कचरा इसी हिस्से में डाला जाता रहा जिससे ये हरा रंग हड्डियों में मिल रहा है। 

ब्लैक डेथ की चपेट में शहर

नूर्नबर्ग हेरिटेज कनजर्वेशन डिपार्टमेंट की पुरातत्वविद् मेलानी लैंगबीन और मुख्य मानवविज्ञानी फ्लोरियन मेल्जर ने साइंस अलर्ट को बताया, 'हम भविष्य में निर्माण इलाके में पाए जाने वाले सभी मानव अवशेषों को सुरक्षित किया जा रहा है। मौजूदा वक्त में हम मानते हैं कि एक बार ये काम पूरा हो जाए, तब इसे यूरोप में खोजा गया प्लेग पीड़ितों यानी ब्लैक डेथ का सबसे बड़ा आपातकालीन कब्रिस्तान माना जा सकता है। ब्लैक डेथ या फिर जस्टिनियन प्लेग जैसी महामारी के लिए बुबोनिक प्लेग जिम्मेदार माना जाता रहा है। ब्लैक डेथ के बाद नूर्नबर्ग जैसे शहर काफी प्रभावित हुए थे। 

ब्लैक डेथ का शिकार हुआ शहर

जल्दबाजी में बस गाड़ दिए शव

दरअसल माना जा रहा है कि नूर्नबर्ग में प्लेग से मरने वाले लोगों को ईसाई परंपरा के मुताबिक नहीं दफनाया गया बल्कि जल्दबाजी में उन्हें जमीन में गाड़ दिया गया। अब साइंटिस्टों को लगता है कि इन कंकालों से उस वक़्त की मौत के हालात को समझने के साथ साथ शहर के इतिहास के बारे में भी और कुछ पता चल सकेगा। 

    यह भी पढ़ें...
    follow google newsfollow whatsapp