इस वजह से जर्मनी में मां ने पांच बच्चों को उतार मौत के घाट, कोर्ट ने सुनाई उम्रक़ैद की सज़ा

जर्मनी (germany) में महिला ने उतारा पांच बच्चों को मौत के घाट, कोर्ट ने सुनाई 15 साल तक बिना parole उम्रक़ैद की सज़ा read crime tak for hindi crime news

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05 Nov 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:08 PM)

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बच्चों की जान लेने वाला भी कोई और नहीं बलकि उनकी खुद की मां थी। बच्चों को मारने के तरीके के बारे में भी सुनकर लोग हैरान थे। हर किसी की जुबान पर बस यही सवाल था कि कोई मां अपने बच्चों के लिए इतनी सख्त जान कैसे हो सकती है जो डेढ़ साल से लेकर 8 साल के अपने बच्चों को एक-एक कर मौत के घाट उतारती गई और उसने इस दौरान उफ्फ तक नहीं किया।

कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कहा कि ये वारदात बेहद गंभीर है और अगर दुनिया का सबसे मजबूत रिश्तों वाला मां और बच्चों का ही रिश्ता कमजोर पड़ जाए तो इसके लिए क्या कहा जाए। जो बच्चे अपनी मां के पहलू को ही सबसे सुरक्षित मानते थे उसी मां ने अपने बच्चों को मौत के घाट उतार डाला।

ये वारदात साल 2020 में पश्चिम जर्मनी के शहर सोलिंगे हुई। यहां पर 28 साल की महिला ने अपने छह में से पांच बच्चों को मारने के लिए बाथटब का सहारा लिया। दोषी मां ने पहले तो अपने डेढ़ से आठ साल के बच्चों को बेहोश किया और बाद में उनको बाथटब में डूबो कर मार डाला। मारने से पहले उसने अपने पति को मैसेज किया था कि वो अब कभी भी अपने बच्चों की शक्ल नहीं देख पाएगा।

इस वारदात में इस महिला के 11 साल के लड़के की जान बच गई क्योंकि वो वारदात के वक्त घर पर मौजूद नहीं था। वारदात की वजह बनी एक फोटो जिसे देखने के बाद इस महिला ने अपने ही बच्चों को मार डाला। दरअसल इस महिला ने अपने पति की फोटो दूसरी महिला के साथ देखी थी। इससे वो इतनी ज्यादा नाराज हुई कि उसने अपने बच्चों को मारने का फैसला कर लिया।

वारदात के बाद महिला ने ट्रेन के सामने कूदकर अपनी जान देने की कोशिश की लेकिन उसकी जान बच गई। महिला के वकील ने कोर्ट से महिला को बरी करने की अपील की थी क्योंकि उसके खिलाफ पुलिस पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाई है।

महिला के वकील ने इस बात पर भी जोर दिया कि महिला की दिमागी हालत ठीक नहीं है लिहाजा उसे मानसिक इलाज के साथ 8 साल की जेल होनी चाहिए।

कोर्ट ने दोनों वकीलों को सुनने के बाद फैसला किया कि महिला को उसकी करतूत के लिए उम्रकैद की सजा मिलनी चाहिए। अब इस मां को अपनी तमाम जिंदगी जेल में रहना पड़ेगा। उसका इकलौता बचा बेटा उम्र भर अपनी मां के प्यार से महरूम रहेगा। साथ ही अपने भाई-बहनों को खोने का गम भी उसे उम्र भर सालता रहेगा।

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