'डायबिटीज' और 'ब्लडप्रेशर' की ये गोली खाकर आप बीमार , बहुत बीमार हो सकते हैं, पकड़ी गई नकली दवा की फैक्टरी

Fake Medicines Business: गाजियाबाद में एक नकली दवा की फैक्टरी क्या पकड़ी गई चारो तरफ हड़कंप मच गया क्योंकि यहां डायबिटीज और ब्लडप्रेशर की नकली दवाएं बन रही थीं।

गाजियाबाद में नकली फैक्टरी में नकली दवा का धंधा एकसाल से चल रहा था।

गाजियाबाद में नकली फैक्टरी में नकली दवा का धंधा एकसाल से चल रहा था।

07 Mar 2024 (अपडेटेड: Mar 7 2024 8:45 AM)

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Fake Medicines Gang:  कुछ अरसा पहले एक एड फिल्म आई थी। वो सिगरेट के चंगुल से लोगों को बचाने की मुहिम का हिस्सा थी जिसमें वायस ओवर में एक जगह कहा जाता है कि ये टार आपको बीमार और बहुत बीमार कर सकता है। यकीन जानिए गाजियाबाद में हुए एक खुलासे के बाद यही बात उन तमाम लोगों के लिए भी कही जा सकती है जो इस समय डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की दवाइयां खा रहे हैं। क्योंकि मुमकिन है जो दवाएं वो अच्छे होने के लिए वो खा रहे हैं वही दवाइयां उन्हें बीमार और बहुत बीमार बना रही हो। 

वैसे अगर डॉक्टरों को जमीन पर भगवान का दर्जा दिया जाता है तो ऐसी नकली दवा बनानेवालों को यमदूत के नाम से भी पुकारा जा सकता है। और ऐसे ही एक यमदूत को पुलिस ने धर दबोचा जिसने चंद सिक्कों के लालच में लाखों लोगों की जिंदगी दांव पर लगा दी। 

LEDBulb बनाने वाली फैक्टरी में नकली दवा 

असल में ये अंदेशा इसलिए है क्योंकि गाजियाबाद में एक LEDBulb बनाने वाली फैक्टरी में नकली दवा बनाने का असली गोरखधंधा सामने आया। और इस काले कारोबार पर जैसे ही नज़र पड़ी तो अंदाजा लगाया गया कि हो न हो, इन दवाओं की वजह से इस समय भारत के भीतर ही कई करोड़ लोग मुसीबत में घिर गए हों। इससे पहले हम इस खबर को और खोलें, जरा ये भी देख लीजिए कि वो कौन कौन सी दवाएं हैं....जो असली नाम के रैपर में नकली दवा भरकर बेची जा रही थीं। 

दवा का नाम- पैन डी

काम- गैस और एंटी एसिड से बचाव

लेकिन अभी जिसे आप देख रहे हैं ये दवा नकली है। 

दवा का नाम- आईवाब्रैडिन

काम- दिल के मरीजों के लिए

ये दवा नकली है। 

दवा का नाम- टेल्मा M 40

ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए आती है। 

ये दवा नकली है। 

इसके अलावा भी कुछ दवाएं हैं...

ब्लड प्रेशर की शिकायत वाले मरीज Telma-H जैसी दवाइयां भी खाते हैं। जो डायबिटीज का शिकार हैं उन्हें कुछ दवाएं हर रोज सुबह शाम के डोज के हिसाब से खानी पड़ती है। जिनमें से कुछ नाम हैं, Gluco-Norm G-2 और G-1 नाम की दवाइयां हैं। इसके अलावा पेट में गैस की समस्या के लिए कुछ लोग Antacid की दवाइयों में Pantocid DSR और OMEZ DSR नाम की दवाई खाते हैं। और ये सारी दवाइयां बाजार में धड़ल्ले से बिकती हैं। आलम ये है कि देश के लगभग 20 करोड़ से ज्यादा लोग नियमित रूप से इन बीमारी की दवाएं खाते हैं तो मुमकिन है कि लाखों लोगों तक ये दवाइयां भी पहुंचती ही होगी। 

एक करोड़ की दवा जब्त

दिल्ली से सटे गाजियाबाद के इंडस्ट्रियल  राजेंद्र नगर और भोपुरा इलाके में ये फैक्ट्री चल रही थी। ड्रग इंस्पेक्टर आशुतोष मिश्रा जब फैक्टरी में छापा मारने घुसे तो पहले यहां LED बल्ब बनाने का काम दिखाई पड़ा। लेकिन उसी बल्ब की रोशनी में जब भीतर झांका तो काले कारोबार की पूरी फैक्टरी नज़र आ गई...यहां नकली दवा बनाने का काम धड़ल्ले से हो रहा था। छापा मारकर जो माल जब्त किया गया उसकी कीमत बाजार में करीब एक करोड़ से कहीं ज्यादा बताई जा रही है। 

नकली दवा नकली फैक्टरी

जो नकली दवा की नकली फैक्टरी में पकड़ी गई वो ऐसी दवाएं हैं जिनका इस्तेमाल लोग शुगर कंट्रोल के लिए किया जाता है। कुछ दवाएं वो भी थीं जिन्हें ब्लड प्रेशर को काबू में रखने के लिए इस्तेमाल होता था तो कुछ एंटी एसिड के लिए भी खाई जाती थी। यहां दिल की बीमारी को दूर करने वाली दवा के पत्ते में भी नकली ही दवा पकड़ी गई। मजे की बात ये है कि दवा के साथ साथ दवा के पत्ते भी यहीं छपते थे, और उसमें दवा भी यहीं भरी जाती थी और फिर उसकी पैकेजिंग भी यहीं होती थी और उन्हें सेल्स और मार्केटिंग के लिए यहीं से डिस्पैच कर दिया जाता था। 

एक साल से चल रही थी फैक्टरी

फिर चाहे गोली हो या कैप्सूल इसी फैक्टरी के बने बल्ब की रोशनी वाले अंधेरे से कमरे में बनाए जा रहे थे। बड़ी बड़ी कंपनियों के नाम पर नकली दवा बनाने वाली ये फैक्ट्री पिछले एक साल से चल रही थी। इस छापेमारी में ये पता चला है कि इन्हीं नामों से नकली दवाइयां बाज़ारों में बेची जा रही हैं और इनकी पैकेजिंग असली दवाइयों के जैसी ही होती है। जिसकी वजह से लोग असली और नकली दवाइयों में कभी अंतर ही नहीं कर पाते। देश में बहुत सारे लोग ऐसे होंगे, जो इन दवाइयों को खाने के बाद भी बीमार रहते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ये लोग कहीं ना कहीं नकली दवाइयां खा रहे होते हैं। 

20 फीसदी दवाइयां नकली 

2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में बेची जा रही कुल दवाइयों में से लगभग 20 फीसदी दवाइयां नकली होती हैं और नकली दवाइयों का मार्केट हमारे देश में 35 हज़ार करोड़ रुपये का हो चुका है. यानी आज देश में बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जो 'असली बीमारियों' को दूर करने के लिए नकली दवाइयां खा रहे हैं

ऐसे कर सकते हैं नकली दवा की पहचान

वैसे नकली दवाइयों का पता लगाना भी इतना मुश्किल नहीं है, अगर खासतौर पर इन 5 बातों का ध्यान रखा जाए तो कोई भी नकली दवाइयों से खुद को बचा सकता है।

1- अगर कोई दवाई अपनी निर्धारित कीमत से बहुत ज्यादा सस्ती मिल रही है या दुकानदार आपको स्पेशल डिस्काउंट और ऑफर के नाम पर कोई दवाई बेहद कम दामों पर दे रहा है, तो उस दवाई की प्रमाणिकता ज़रूर चेक कीजिए। जैसे.. अभी सभी दवाइयों पर एक बार कोड ज़रूर होता है, जिसे स्कैन करके आप उस दवाई के बारे में सारी जानकारी हासिल की जा सकती है। 

2-  मुमकिन हो तो जो भी दवाइयां आप खा रहे हैं, उन्हें नियमित रूप से डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं

3- ऐसी दुकानों से ही दवाइयां खरीदें, जिन्हें सरकारी मान्यता मिली हुई है।

4- दवाइयां खरीदते समय ये ज़रूर देख लें कि पैकिंग की सील न टूटी हो। या फिर उसकी पैकेजिंग में कहीं कोई गड़बड़ी ना हो।

5- दुकानदार से दवाइयों का बिल ज़रूर लें, क्योंकि जब आप दवाइयों का बिल लेते हैं, तो दुकानदार आपको नकली दवाई देने से पहले 100 बार सोचता है, असल में उस बिल की वजह से वो कानूनी पचड़े में भी फंस सकता है। 

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