रेफ्रिजरेटर में रखी लाश का 40 महीनों का इंतजार, हैरान करने वाली मर्डर मिस्ट्री

Etawah Murder Mystery: 40 महीने बाद अचानक ऐसा हुआ कि रेफ्रिज़रेटर में क़ैद कंकाल एक ही झटके में ना सिर्फ आज़ाद हो गया, बल्कि रिहाई के फौरन बाद उसे मंजिल मिल गई ।

चालीस महीने के बाद मिला लाश को उसका अंतिम संस्कार

चालीस महीने के बाद मिला लाश को उसका अंतिम संस्कार

08 Feb 2024 (अपडेटेड: Feb 16 2024 1:05 PM)

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Etawah Murder Mystery: 40 महीने बाद अचानक एक रोज़ कुछ ऐसा हुआ कि रेफ्रिज़रेटर में क़ैद वो कंकाल एक ही झटके में ना सिर्फ आज़ाद हो गया, बल्कि रिहाई के फौरन बाद उसे उसकी सही जगह भी मिल गई यानी कंकाल का अंतिम संस्कार हो गया..। 

मर्डर का किस्सा हैरान करने वाला

उत्तर प्रदेश के इटावा से सामने आया हत्या के रहस्य का ये ऐसा किस्सा है जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। क्योंकि इस किस्से में तीन साल पहले एक लड़की की हत्या हुई थी। लेकिन हत्या के 8 रोज बाद ही लड़की का कंकाल मिलता है, मगर तीन साल बाद अब जब कानून की तमाम रस्म अदायगी हो गई तब जाकर उसका अंतिम संस्कार किया जा सका।

रीता जिसका मर्डर अब मिस्ट्री है

तीन साल पहले हुई थी लड़की गुमशुदा

हैरान करने वाली इस मर्डर मिस्ट्री की शुरू आत होती है 19 सितंबर 2020 को। यूपी के इटावा ज़िले के जसवंत नगर तहसील का गांव चक सलेमपुर। इसी चक सलेमपुर की रहनेवाली 19 साल की एक लड़की रीटा उस रोज अचानक अपने घर से गायब हो गई। रीटा किसी से मिलने जाने की बात कह कर घर से निकली और ऐसे गुम हुई कि किसी को ढूंढे नहीं मिली। इसी बीच घरवालों ने ना सिर्फ अपने तौर पर रीटा की बहुत तलाश की, बल्कि उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज करवाई। लेकिन इससे पहले कि पुलिस रीटा के बारे में कोई खास जानकारी जुटा पाती, गांव के बाहर एक बाजरे के एक खेत से एक कंकाल बरामद हुई। कंकाल को देख कर साफ था कि उसकी मौत किसी केमिकल से जलाए जाने के चलते हुई है। या फिर क़त्ल के बाद लाश पर केमिकल डाला गया है।

आठवें रोज मिली जली हुई लाश

आठवें रोज घरवालों को उसकी जली हुई लाश मिली। जो पूरी तरह से कंकाल में बदल चुकी थी। वैसे तो कंकाल को देख कर मरने वाले की पहचान नामुमकिन थी, लेकिन कंकाल के पास से मिला लेडीज चप्पल और कपड़े इस बात की तरफ इशारा कर रहे थे कि ये कंकाल किसी और की नहीं बल्कि बमुश्किल हफ्ते भर पहले गायब हुई रीटा की ही है। रीटा के घरवालों को भी जब इस कंकाल का पता चला तो वो भागे-भागे उस खेत के पास पहुंचे और कंकाल को अपनी बेटी का होने की बात कहते हुए उस पर दावा कर दिया। घरवालों का कहना था कि चूंकि कंकाल के पास से मिले कपड़े और चप्पल रीटा के ही हैं, ये लाश रीटा के सिवाय किसी और की हो नहीं सकती और तो और घरवाले रीटा को इस हाल में पहुंचाने वाले यानी उसके क़ातिलों के नाम भी बता रहे थे।ॉ

आठ रोज बाद मिली थी रीता की जली हुई लाश

कपड़े चप्पल और अंगूठी से हुई पहचान

मगर रीटा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने, गांव के बाहर से कंकाल के बरामद होने और कंकाल के साथ ही रीटा के कपड़े और चप्पल मिलने के बावजूद पुलिस ने रीटा के घरवालों के दावे पर यकीन नहीं किया और किसी साइंटिफिक रिपोर्ट के बगैर उन्हें वो कंकाल सौंपने से भी मना कर दिया... पुलिस ने कंकाल बरामद की और उसे सीधे इटावा के सरकारी अस्पताल की मॉर्चरी में रखवा दिया... और बस इसी के साथ एक कंकाल के फ्रिज में बंद होने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वो पूरे तीन साल और चार महीने तक चलता रहा।

न कंकाल मिला न अंतिम संस्कार

इस बीच रीटा के घरवालों ने हर मुमकिन कोशिश कर ली। यहां तक कि अपने ही पड़ोस में रहने वाले एक रामकुमार नाम के एक शख्स और उसके घरवालों पर अपनी बेटी के क़त्ल का मुकदमा भी दर्ज करवा दिया, लेकिन लाख शिकायत के बावजूद उन्हें ना तो वो कंकाल मिला और ना ही वो अपनी बेटी का अंतिम संस्कार कर सके। धीरे-धीरे वक़्त गुजरता रहा और दो साल पहली बार इटावा पुलिस ने साल 2022 के शुरुआती दिनों में कंकाल के साथ-साथ रीटा के माता-पिता का डीएनए सैंपल कलेक्ट किया और उसे फॉरेंसिक जांच के लिए हैदराबाद की लैबोरेट्री में भिजवा दिया।

तीन बार डीएनए जांच, नतीजा सिफर

लेकिन रीटा के घरवालों को तब ज़ोर का झटका लगा, जब 26 मार्च 2022 को लैब से आई रिपोर्ट से ये बात साफ नहीं हो सकी कि लाश उनकी बेटी की है या नहीं। असल में डीएनए का सैंपल सही नहीं होने की वजह से रिपोर्ट अस्पष्ट थी। चूंकि रिपोर्ट साफ नहीं थी, तो रीटा के घरवालों ने उनकी दोबारा डीएनए जांच करवाने की मांग शुरू कर दी। इसके बाद पुलिस ने फिर से उसी साल यानी 18 अगस्त 2022 को एक बार फिर से कंकाल के साथ-साथ रीटा के माता-पिता का डीएनए सैंपल कलेक्ट करवाया और उन्हें दोबारा जांच के लिए भिजवाया। लेकिन सितम देखिए कि इस कोशिश का नतीजा भी वही निकला, जो पहली बार निकला था। लैब से बताया गया कि सैंपल ठीक नहीं होने की वजह से डीएनए मैचिंग को लेकर किसी नतीजे पर पहुंचना मुमकिन नहीं है... यानी कंकाल को लेकर घरवालों का इंतज़ार एक बार फिर से लंबा हो गया।

फ्रीजर में पड़ा रहा कंकाल

अब हार कर रीटा के घरवालों ने हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। चूंकि इससे पहले दोनों बार रिपोर्ट साफ नहीं आई थी और कंकाल भी जस का तस फ्रीज़र में ही पड़ा था, घरवालों ने एक बार फिर से कंकाल से उनकी डीएनए मैच करवाने की गुहार लगाई... और कहा कि अगर जरूरत पड़े तो वो इसके लिए खर्च वहन करने को भी तैयार हैं। घरवालों की इस फरियाद को हाई कोर्ट ने ना सिर्फ गंभीरता से लिया, बल्कि इस बात पर भी हैरानी जताई कि आखिर कैसे पुलिस ने तीन साल से भी ज्यादा समय से एक कंकाल को फ्रीज़र में रख छोड़ा है, जबकि किसी भी लावारिस लाश को ज्यादा से ज्यादा 72 घंटे तक मॉर्चरी में रखे जाने का नियम है और इसके बाद जरूरी सैंपल सुरक्षित रख कर उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है... लेकिन ये मामला थोड़ा अलग था। यहां पूरा का पूरा कंकाल ही फ्रीज़र में पड़ा था, लेकिन सैंपल ही सही तरीके से कलेक्ट नहीं हो पा रहे थे।

कहानी में आया ट्विस्ट

लेकिन कहानी में असली ट्विस्ट तब आया, जब अदालत के आदेश पर इटावा पुलिस ने तीसरी बार डीएनए सैंपल कलेक्ट करवाए.। कंकाल के भी और रीटा के माता-पिता के भी। और इस बार जब डीएनए की रिपोर्ट सामने आई, तो वही हुआ, जिसका दावा रीटा के घरवाले तीन साल से भी ज्यादा समय से कर रहे थे। साइंटिस्ट ने रिपोर्ट दी कि कंकाल किसी और का नहीं बल्कि चक सलेमपुर गांव की लड़की रीटा का ही है। अब पुलिस ने आनन-फानन में ना सिर्फ रीटा के घरवालों को बुला कर तीन साल और चार महीने बाद अचानक वो कंकाल उनके हवाले कर दिया, बल्कि जल्दबाजी में गांव के ही एक खेत में उसका अंतिम संस्कार भी करवा दिया। रीटा के वो अवशेष पुलिस ने अपनी मौजूदगी में घरवालों से ही ज़मीन में दफ्न करवा दिए। यानी जो डीएनए सैंपल दो-दो जांच में फेल हो गया, तीसरी बार लिए गए सैंपल से ना सिर्फ़ डीएनए की रिपोर्ट क्लीयर हो गई, बल्कि ये भी साफ हो गया कि कंकाल रीटा का ही है। 

एक कंकाल की रिहाई

फिलहाल, पूरे चालीस महीने बाद मॉर्चरी में बंद एक कंकाल की रिहाई तो हो गई, उसका अंतिम संस्कार भी हो गया और तो और घरवालों को भी ये राहत मिल गई कि वो अपनी बेटी का अंतिम क्रियाएं कर सके, लेकिन जो सवाल अब सामने खड़ा है, वो है कि आखिर रीटा को इस हाल में पहुंचाने का दोषी कौन है? अगर वो वही है, जिस पर घरवाले शुरू से इल्ज़ाम लगाते रहे हैं।

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