After Gyanwapi Disputed Places: इन दिनों वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर की चारो तरफ चर्चा है। इस परिसर में 30 साल के बाद हिन्दुओं को पूजा और अर्चना करने का मौका मिला है। ज्ञानवापी परिसर पर भारतीय पुरातत्व सर्वे यानी ASI की रिपोर्ट कुछ ही समय पहले सार्वजनिक हुई। उस रिपोर्ट में ये बात साफ की गई है कि ज्ञानवापी परिसर में मंदिर के निशान मिले हैं। एएसआई की इस रिपोर्ट के बाद ही जिला अदालत का फैसला आया और तहखाने को हिन्दुओं की पूजा पाठ के लिए खोल भी दिया गया । उस तहखाने को 1993 में बंद कर दिया गया था। और उसी समय से उस जगह पर हक को लेकर बहस की जा रही थी।
ज्ञानवापी के अलावा इन-इन जगहों पर भी हो रहा है बवाल, इतने धर्मस्थल हैं विवादित!
Disputed Places in India: इस बात को भी लेकर होने लगी है कि देश में ऐसी कितनी धार्मिक जगहें हैं जिनकों लेकर विवाद चल रहा है।
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ज्ञानवापी परिसर के साथ ही देश भर में विवादित स्थलों को लेकर बहस शुरू हो गई
02 Feb 2024 (अपडेटेड: Feb 2 2024 5:20 PM)
कितनी जगह हैं विवादित?
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लेकिन इसके साथ ही साथ बहस इस बात को भी लेकर होने लगी है कि देश में ऐसी कितनी धार्मिक जगहें हैं जिनकों लेकर विवाद चल रहा है। अयोध्या के राम मंदिर और काशी के ज्ञानवापी के अलावा मथुरा के कृष्ण जन्मस्थल को लेकर भी अच्छा खासा विवाद बना हुआ है। लेकिन ये बात यहीं तक ही सीमित नहीं है। बल्कि देश भर में कई धर्मस्थल हैं जिनको लेकर अच्छा खासा बवाल मचा हुआ है। काशी में ज्ञानवापी की बहस के दौरान ही इस बात को लेकर कहा जा रहा है कि पूरे देश में करीब 50 ऐसी मस्जिद और स्मारक हैं जिनको लेकर हिन्दू और दूसरे धर्मों के पक्ष के बीच वाद विवाद चल रहा है।
विवादित जगहों पर अलग अलग दावे
हालांकि वक़्त व़क्त पर इस तरह की जगहों की संख्या को लेकर अलग अलग दावे किए जा रहे हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मुगलकाल में हजारों हिन्दू मंदिर ध्वस्त किए गए और उन्हीं जगहों पर विवादित स्थल बनाए गए हैं। और इन तमाम जगहों को लेकर अदालतों में सुनवाई चल रही है।
कुछ ऐसा है ज्ञानवापी का मामला
देश के तमाम विवादित स्थलों के बारे में समझने से पहले ज्ञानवापी मामलो को पूरी तरह से समझने की कोशिश करते हैं। असल में इस विवादित जगह को लेकर हिन्दू पक्ष का दावा है कि सतह से करीब 100 फीट नीचे आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। और उस मंदिर का निर्माण 2 हजार साल पहले महाराज विक्रमादित्य ने करवाया था। लेकिन 17वीं शताब्दी में मुगल शासक औरंगजेब ने 1664 में उस मंदिर को तुड़वाकर उसकी जगह मस्जिद बनवा दी थी।
ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की जांच
हिन्दू पक्ष के इसी दावे को लेकर जांच के लिए ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने काम किया। लेकिन अब जिन जगहों को लेकर सबसे ज़्यादा चर्चा हो रही है उसमें सबसे पहला नाम है मथुरा की शाही ईदगाह। दावा यही किया जा रहा है कि कृष्ण मंदिर को गिराकर मस्जिद निर्माण किया गया और इसे 1670 में बनाया गया था। मौजूदा सूरते हाल ये है कि स्थानीय कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह के बीच तर्क वतर्क चल रहा है।
मध्य प्रदेश की धार भोजशाला
लेकिन इसके बाद जिस जगह को लेकर लोगों के बीच सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है वो है मध्य प्रदेश की धार भोजशाला। ये जगह भी विवादित है। इस जगह को लेकर भी हिन्दू और मुस्लिम पक्ष अपने अपने तर्क के साथ मामले को लेकर अदालत तक पहुँच चुके हैं। हिन्दुओं का तर्क है कि राजवंश काल में यहां कुछ समय के लिए मुस्लिम लोगों को नमाज पढ़ने की इजाजत दे दी गई थी। जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वो इस जगह पर सालों से नमाज पढ़ रहे हैं लिहाजा इसे भोजसाला कमाल मौलाना मस्जिद कहा जाने लगा।
बदायूं की शाही इमाम मस्जिद
इसी तरह बदायूं की शाही इमाम मस्जिद है। जिसको लेकर काफी विवाद चल रहा है। करीब 800 साल पुरानी इस मस्जिद के बारे में अखिल भारतीय हिन्दू महासभा का दावा है कि ये अवैध निर्माण है। इस जगह को दसवीं सदी में बने शिव मंदिर को तोड़कर बनाया गया है। और इसी दावे को लेकर दोनों तरफ से याचिकाएं डाल दी गई हैं।
दिल्ली का कुतुब मीनार और आगरा का ताजमहल
इसके बाद जिस नाम को लेकर सबसे गर्मागर्म बहस होनी शुरू भी हो गई है वो जगह है दिल्ली का कुतुब मीनार। साथ ही साथ अजमेर में हजरत ख्वाजागरीब नवाज की दरगाह के साथ साथ आगरा के ताजमहल का जिक्र बहुत तेजी से हो रहा है। दिल्ली के कुतुब मीनार के बारे में ये कहा जा रहा है कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने करीब 27 हिन्दू और जैन मंदिरों को ध्वस्त करके वहां कुतुब मीनार का निर्माण कराया था। कहा तो यहां तक जा रहा है कि कुतुब मीनार को उम्हीं मंदिरों के अवशेषों से तैयार किया गया। साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद ढांचे को लेकर दिए गए फैसले के बाद देश भर की अलग अलग अदालतों में याचिकाएं दर्ज होने लगी और विवादित धर्मस्थल की जांच की मांग की जाने लगी।
प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पारित
ज्ञानवापी के मामले मं 1991 में वाराणसी कोर्ट में पहला मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें परिसर में पूजा की इजाजत मांगी गई थी। इसके कुछ ही समय बात उसी साल सेंटर ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पारित किया था। इस कानून के तहत 15 अगस्त 1947 से पहले बने किसी भी धार्मिक स्थल को दूसरे धर्मस्थल में बदला नहीं जा सकता। अगर कोई धार्मिक स्थलसे छेड़छाड़ कर उसे बदलना चाहे तो उसे तीन साल की कैद और जुर्माना हो सकता है।
अयोध्या मामले में अलग फैसला
हालांकि उस समय राम जन्म भूमि का मामला अदालत में चल रहा था लिहाजा उस एक्ट के तहत इसे उसके दायरे से बाहर रखा गया। लेकिन बाद में इसी एक्ट का हवाला देकर मस्जिद कमेटी ने ज्ञानवापी केस का विरोध किया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तब उस पर स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखी थी। हालांकि साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि किसी भी मामले में स्टे ऑर्डर 6 महीने के लिए ही रहेगा। इसके बाद ही वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले की सुनवाई शुरू की थी। और अगले दो सालों के भीतर उसके सर्वे को मंजूरी मिल गई।
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