गैंग्स ऑफ वासेपुर की दुश्मनी का शिकार तो नहीं बन गए धनबाद के अतिरिक्त जिला जज

dhanbad additional district judge death case

CrimeTak

29 Jul 2021 (अपडेटेड: Mar 6 2023 4:02 PM)

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धनबाद से संवाददाता सिथुन मोदक की रिपोर्ट

धनबाद में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज की मौत का मामला अब उलझता जा रहा है। जज की मौत को लेकर धनबाद से लेकर दिल्ली तक बवाल मचा हुआ है। जैसे ही हादसे की तस्वीरें मंजरेआम पर आईं वैसे ही ये पूरा हादसा साजिश में बदल गया। सीसीटीवी की तस्वीरों को देखकर साफ बताया जा सकता है कि जज उत्तम आनंद को जानबूझकर टक्कर मारी गई है।

जज की मौत को लेकर कई साजिशें सामने आ रही हैं । हालांकि पूरी कहानी का खुलासा आज शाम तक हो सकता है जब पुलिस इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी। पुलिस ने इस मामले में आरोपी दो लड़कों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने जज को ऑटो से टक्कर मारी थी। दोनों झरिया के रहने वाले हैं और इनकी गिरफ़्तारी गिरिडीह से की गई है।

पुलिस के मुताबिक 26 जुलाई की रात को इन्होंने ये ऑटो चुराया था जिसकी एफआईआर 27 जुलाई की सुबह दर्ज कराई गई थी। इस मामले की जांच के लिए SPECIAL INVESTIGATION TEAM का गठन किया गया है। फॉरेंसिक की एक टीम भी लगाई गई है जो मौके से सुबूत इकट्ठा कर रही है।

मौत के पीछे क्या है साजिश

एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज उत्तम आनंद मौत मामले को लेकर कई तरह की खबरें आ रही है। ज्यादातर लोग मौत के इस मामले को हत्या कि साजिश बता रहे हैं। इस घटना को बीजेपी नेता रंजय सिंह हत्या और उस केस कि सुनवाई से जोड़कर देखा जा रहा है। रंजय सिंह धनबाद के बाहुबली परिवार सिंह मेंशन के करीबी थे। जिनकी हत्या जनवरी 2017 में गोली मारकर कर दी गई थी। रंजय सिंह झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह के करीबी थे।

जिनकी हत्या के दो महीने बाद ही मार्च 2017 में धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह की भी हत्या कर दी गई थी। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि जज उत्तम आनंद की हत्या राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और कोयले के काले धंधे में वर्चस्व कायम रखने के लिए भी हो सकती है।

रंजय की हत्या मामले में जज उत्तम आनंद सुनवाई कर रहे थे और बीते दिनों सुनवाई के दौरान उन्होंने आरोपी अमन सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। गौरतलब है कि अमन सिंह पर रंजय सिंह की हत्या का आरोप है।

अमन सिंह झारखंड और बिहार में अपहरण और फिरौती के लिए कुख्यात है । अमन सिंह की जमानत याचिका खारिज होने के चंद दिनों बाद हुई इस घटना से शक की सुई अमन सिंह एंड गैंग की ओर मुड़ गई है।

मामले के दो आरोपी हुए गिरफ़्तार

इस मामले कि छानबीन के लिए धनबाद एसएसपी ने स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया है। इस स्पेशल टीम ने झारखंड के गिरिडीह से घटना में प्रयुक्त ऑटो को बरामद कर लिया है। जबकि ऑटो में सवार दो लोगों की गिरफ्तारी की भी खबर है, लेकिन गिरफ्तारी को आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।

गौरतलब है कि घटना को अंजाम देने वाले ऑटो दो दिन पहले चोरी हो गई थी। जिससे संबंधित मामला भी थाने में दर्ज कराया गया है। ऑटो पाथरडीह के सगुनी देवी नामक महिला के नाम पर है। महिला के पति रामदेव लोहार ने बताया कि 26 जुलाई की देर रात उनका ऑटो चोरी हो गया था। जिसकी शिकायत पाथरडीह ओपी में की थी। घटना होने के बाद थाना से बुलाकर पूछताछ की गई थी।

ऑटो बरामद होने के बाद फॉरेंसिक टीम ऑटो कि जांच कर करने धनबाद थाना पहुंची। जहां ऑटो में फिंगर प्रिंट सहित अन्य चीजों की बारीकी से जांच की जा रही है। बरामद ऑटो का नंबर प्लेट घिसा हुआ मिला ताकि कोई आसानी से ऑटो का नंबर नोट नहीं कर पाए । ये सब सुबूत किसी साजिश की ओर इशारा करते हैं ना कि हादसे की तरफ।

इस मामले पर झारखंड हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए धनबाद एसएसपी को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है। फिलहाल धनबाद एसएसपी संजीव कुमार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हाईकोर्ट के समक्ष पेश होकर पूरे मामले पर जानकारी माननीय न्यायालय को दे रहे हैं। इस बीच जज उत्तम आनंद का अंतिम संस्कार हजारीबाग के उनके पैतृक निवास स्थान पर कर दिया गया।

धनबाद के कोयला माफिया पर बनी बॉलीवुड की फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर में धनबाद के दो बाहुबली घरानों की दुश्मनी दिखाई गई है। वो बात अलग है कि इसमें नाम और पहचान बदल दी गई है लेकिन धनबाद के दो खानदानों के बीच चली आ रही दुश्मनी में ना जाने अब तक कितनी लाशें बिछ चुकी हैं। जज उत्तम आनंद की मौत को भी पुलिस इसी दुश्मनी से जोड़ कर देख रही है।

जज को टक्कर मारकर ऑटोवाले तो भाग गए लेकिन वहां से गुजर रहे लोगों ने भी उनकी मदद करने की जहमत नहीं उठाई। सीसीटीवी की तस्वीरों में टक्कर मारने के तुरंत बाद एक बाइक सवार वहां से गुजरते हुए दिख रहा है। वो इस पूरी वारदात का एक चश्मदीद भी है लेकिन वो भी अपनी बाइक रोककर जज उत्तम आनंद की मदद करने की बजाय वहां से निकल गया। कुछ ऐसा ही हाल सड़क के दूसरी तरफ से जाने वाले वाहनों का भी था। किसी ने भी सड़क पर पड़े जज उत्तम आनंद की मदद नहीं की। सही वक़्त पर अगर वो अस्पताल पहुंच जाते तो उनकी जान बच सकती थी।

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