Kolkata Rape केस में सुप्रीम कोर्ट ने बनाई नेशनल टास्क फोर्स, पुलिस, प्रशासन और अस्पताल को लगाई लताड़, चीफ जस्टिस ने लगा दी सुलगते सवालों की झड़ी

Kolkata Doctor Rape and Murder Case में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स (NTF) से तीन हफ्ते में अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने में फाइनल रिपोर्ट देने को कहा है। 22 अगस्त को इस केस में अब अगली सुनवाई होनी है। जानें सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में क्या हुआ?

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20 Aug 2024 (अपडेटेड: Aug 20 2024 1:22 PM)

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ममता सरकार को लगाई फटकार

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RG कर अस्पताल में CISF लगेगी

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अस्पताल और पुलिस को जमकर लताड़

Kolkata Doctor Rape and Murder Case: देश में हर शख्स की जुबान पर कोलकाता (Kolkata) का अभया रेप (Rape) और मर्डर (Murder) केस है। अब इस केस में देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फिक्र जाहिर की है। मंगलवार यानि 20 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में लेडी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में कोर्ट ने स्वतः संज्ञान ले लिया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में एक तीन जजों की बेंच ने इस केस पर सुनवाई की। इस पूरे मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें देश के डॉक्टरों की हिफाजत की फिक्र है। सुप्रीम कोर्ट आठ सदस्यीय टास्क फोर्स बना रहा है।

नेशनल टास्क फोर्स का गठन

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केंद्र सरकार की तरफ से एसजी तुषार मेहता ने राज्य पुलिस के डीजीपी को बदलने की मांग की। एसजी ने कोर्ट से कहा कि पश्चिम बंगाल मे किसी दूसरे अधिकारी को प्रभारी डीजीपी बनाया जाए, वर्तमान डीजीपी को हटाया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा कानून डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों के लिए संस्थागत सुरक्षा मानकों पर खरा नही उतर रहा है। डॉक्टरों के पास आराम करने के लिए जगह नहीं है। उनके लिए बुनियादी स्वच्छता का ख्याल नहीं रखा जाता है। चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा इकाइयों में सुरक्षा की कमी है। डॉक्टरों को रोगियों की भीड़ को संभालने के लिए छोड़ दिया जाता है। कई अस्पतालों में तो डॉक्टरों के लिए शौचालय तक नही हैं। उनको शौचालय तक पहुंच के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। 

अस्पताल और पुलिस को जमकर लताड़

सुनवाई के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन कर दिया। जिसमें एडमिरल आरती सरीन, महानिदेशक चिकित्सा सेवा नौसेना, डॉ डी नागेश्वर रेड्डी, डॉ एम श्रीनिवास, एम्स दिल्ली निदेशक, डॉ प्रतिमा मूर्ति, एनआईएमएचएएनएस, बैंगलुरू, डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी, एम्स जोधपुर, डॉ. सोमिक्रा रावत, सदस्य गंगाराम हॉस्पिटल दिल्ली, प्रोफेसर अनिता सक्सेना, कुलपति, पल्लवी सैपले, जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स और डॉ पद्मा श्रीवास्तव, चेयरपर्सन न्यूरोलॉजी, पारस हॉस्पिटल गुड़गांव शामिल रहेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स से तीन हफ्ते में अंतरिम रिपोर्ट और दो महीने में फाइनल रिपोर्ट मांगी। कोर्ट ने सख्ती से कहा कि इतना बड़ा कांड हो गया कॉलेज के प्रिंसिपल क्या कर रहे थे? FIR वक्त पर दर्ज नहीं की गई।

मेडिकल प्रोफेशनल की सुरक्षा के उपाए बताएंगे

शव माता-पिता को देर से सौंपा गया। पुलिस क्या कर रही है? एक गंभीर अपराध हुआ है। कोर्ट ने कहा कि उपद्रवियों को अस्पताल में घुसने दिया गया ? CJI ने डॉक्टरों को कहा कि आप हम पर भरोसा करें। जो डॉक्टर हड़ताल पर है। इस बात को समझे की पूरे देश का हेल्थ केयर सिस्टम उनके पास है। CJI ने कहा की अभिभावकों को बॉडी देने के 3 घंटे 30 मिनट के बाद एफआईआर दर्ज की गई? CJI ने पश्चिम बंगाल सरकार और हॉस्पिटल प्रशासन को फटकार लगाई? कहा एफआइआर देर से क्यों दर्ज हुई? हॉस्पिटल प्रशासन आखिर क्या कर रहा था?  CJI ने अपील की कि सभी डॉक्टर काम पर लौटें। हम उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यहां बैठे हैं। हम इस केस और डॉक्टरों की सुरक्षा को हाईकोर्ट के लिए नहीं छोडेंगे। ये बड़ा राष्ट्रहित का मामला है।

RG कर अस्पताल में CISF लगेगी

आपको बता दें कि महिला डॉक्टर का शव 9 अगस्त 2024 को दोपहर 12:44 बजे आर.जी.ओ.एम.सी.एच. (राज्य सरकार द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेज अस्पताल) में मृत अवस्था में लाया गया था. शव का निरीक्षण करने पर पता चला कि महिला की लंबाई 5 फीट 2 इंच थी और वह औसत कद और फिट महिला थी। शरीर में रिगोर मोर्टिस (मृत्यु के बाद शरीर में अकड़न) मौजूद थी, जिससे साफ पता चलता है कि मौत कुछ घंटे पहले ही हुई थी। 
महिला की आंखें बंद थीं और उनमें खून के धब्बे थे। दोनों आंखों की पुतलियाँ फैली हुई और स्थिर थीं। उसकी उंगलियों के सिरे और नाखूनों के नीचे नीला रंग था जो दर्शाता है कि वह अत्यधिक दर्द से मरी थी। महिला ने गुलाबी कुर्ती और सफेद स्लिप पहनी हुई थी, लेकिन उसकी ब्रा बगल में खिसकी हुई थी और दोनों स्तन खुले हुए थे। निचला वस्त्र गायब था और उसकी योनि से खून मिला तरल पदार्थ बह रहा था, जो यौन उत्पीड़न की पुष्टि करता है।

ममता सरकार को लगाई फटकार

महिला के शरीर पर कई जगहों पर गंभीर चोटें और खरोंचें थीं, जो किसी कठोर संघर्ष का संकेत देती हैं। चेहरे पर, दोनों गालों पर नाखून के खरोंच, निचले होंठ के मध्य भाग पर खरोंच और अंदर भी कई चोटें थीं। नाक के बाएं हिस्से पर भी खरोंच के निशान थे। गर्दन के सामने बाएं हिस्से पर नाखून के खरोंच थे और दाहिने जबड़े और गर्दन के ऊपरी हिस्से पर गोल आकार की आंतरिक चोट (लव बाइट) पाई गई थी। बाएं हाथ, कंधे, घुटने के पीछे और टखने पर भी खरोंच के निशान थे। योनि के पास भी गंभीर चोटें थीं, जिसमें हाइमन का पूरा फटना शामिल था, जिससे खून बह रहा था। इससे साफ पता चलता है कि महिला के साथ रेप किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा: 

सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर अस्पताल की सुरक्षा CISF को सौंपी।

डॉक्टरों के हॉस्टल में भी होगी सुरक्षा।

जहा रेजिडेंट डॉक्टर रहते है वहा सीआईएसएफ सुरक्षा देगा।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की ओर से SG तुषार मेहता के सुझाव पर उठाया कदम।

सुप्रीम कोर्ट- चूंकि अदालत सभी डॉक्टरों की सुरक्षा और भलाई से संबंधित मामले पर विचार कर रही है इसलिए हम उन सभी डॉक्टरों से अनुरोध करते हैं जो काम से दूर हैं। वे जल्द से जल्द अपना काम फिर से शुरू करें।

डॉक्टरों द्वारा काम से दूर रहने से समाज के उस वर्ग पर असर पड़ता है जिसे चिकित्सा देखभाल की जरूरत है।

डॉक्टर और चिकित्सा पेशेवर आश्वस्त रहें कि उनकी चिंताओं को सुप्रीम कोर्ट द्वारा संबोधित किया जा रहा है

SG ने पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगाए कि वो सीबीआई के साथ कुछ भी साझा नही कर रही है। सरकार ने कहा कि उन्होंने सीबीआई को केस डायरी दी है।

सीजेआई ने कहा कि माता-पिता द्वारा महिला डॉक्टरों को घर वापस बुलाना एक गंभीर मुद्दा है और कोलकाता पुलिस की निष्क्रियता को दोषी ठहराया। बेंच ने पूछा, "जब हज़ारों की भीड़ ने अस्पताल पर हमला किया तो पुलिस बल क्या कर रहा था?"

CJI ने कहा कि पुलिस कर क्या रही थी? सरकार ने कहा की आप वीडियो देखें। 150 पुलिस वाले तोड़फोड़ के समय वहां मौजूद थे। कोई पुलिस वाला छोड़ कर जगह को नही गया।

SC: पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा हॉस्पिटल में काम करने वाले डॉक्टरों को सुरक्षा कौन देगा? सरकार: पुलिस। SG ने कहा नही सीआईएसएफ देगी।

SC: ठीक है सीआईएसएफ सुरक्षा देगा।

CJI : हम चाहते हैं कि RG कर अस्पताल की सुरक्षा बंगाल पुलिस करने में असमर्थ है..ऐसे में CISF को इसकी सुरक्षा सौंपनी चाहिए।

सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पश्चिम बंगाल पुलिस को उसके ऊपर उठ रहे सवालों को गंभीरता से लेना चाहिए

 

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