कौन है दिल्ली पुलिस का वो इंस्पेक्टर, जो खा गया 10 लाख रुपए? लगा इल्जाम, DCP Outer बोले - जांच जारी है

Delhi Police inspector 10 Lakh Bribe Case: दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर पर संगीन इल्जाम लगा है।

Delhi Police inspector 10 Lakh Bribe Case

Delhi Police inspector 10 Lakh Bribe Case

20 Mar 2024 (अपडेटेड: Mar 20 2024 3:05 PM)

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Delhi Police inspector 10 Lakh Bribe Corruption Case: दिल्ली पुलिस के एक इंस्पेक्टर पर संगीन इल्जाम लगा है। आरोप है कि इंस्पेक्टर साहब ने ड्रग्स केस के एक आरोपी से 10 लाख रुपए डकार लिए। जैसे ही इसकी भनक सीनियर पुलिस अधिकारियों को मिली, तुरंत जांच के आदेश दे दिए गए। इस सिलसिले में डीसीपी आउटर Jimmy Chiram ने क्राइम तक से कहा, 'इस मामले की जांच कराई जा रही है।' 

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इंस्पेक्टर थाने का एडिशनल चार्ज संभाल रहा था। इंस्पेक्टर को छुट्टी पर भेज दिया गया है। इंस्पेक्टर का नाम श्याम सुंदर है। वो आउटर जिले के स्पेशल स्टाफ के इंस्पेक्टर हैं। श्याम सुंदर को एक थाने का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। जब ये घटना हुई थी, श्याम सुंदर के पास मंगोलपुरी थाने का अतिरिक्त प्रभार था।

हालांकि इंस्पेक्टर ने इस मुद्दे पर इतना कहा, ‘ये आधारहीन मामला है। जांच से सब साफ हो जाएगा।’

क्या आरोप है इंस्पेक्टर साहब पर?

Outer District of Delhi Police: सूत्रों का कहना है कि 27 फरवरी को पुलिस ने मंयक नाम के आरोपी को पकड़ा। उसके पास से 77 ग्राम स्मैक बरामद हुई। मंयक ने बताया कि ये स्मैक घोषित अपराधी मोनू से ली थी। इंस्पेक्टर साहब पर आरोप है कि उसने मोनू से ही 10 लाख रुपए वसूल लिए। 10 मार्च को उसको छोड़ दिया गया। आरोप के अनुसार, इलाके के बीट कांस्टेबल ने आरोपी को पकड़ लिया। उसे थानेदार की भूमिका निभा रहे इंस्पेक्टर के सामने पेश किया गया। ये आरोप है कि उक्त इंस्पेक्टर ने आरोपी से 10 लाख रुपए रिश्वत के तौर पर हथिया लिए। अब यहां कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

कैसे पता चला कि इंस्पेक्टर ने खा लिए पैसे?

किसने ये खबर फैलाई ?

थाने के ही कुछ पुलिस वालों या आरोपी के जानकारों ने?

क्या ये स्टाफ की टसल का मामला है?
इससे पहले दिल्ली के पीतमपुरा में एक रेस्टोबार के कर्मचारियों के साथ झगड़े में एक 23 साल के एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। घटना के बाद इलाके के SHO को हटा दिया गया था। इस मामले में इल्जाम बेहद गंभीर है। जांच जारी है। देखते है कि इस मामले में दिल की पुलिस क्या वाकई कार्रवाई करती है या नहीं या फिर पूरा मामला ही फर्जी पाया जाता है?

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